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मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता ये मंदिर, इसी की तर्ज पर बनी है सबसे बड़ी पंचायत

मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद चौसठ योगिनी मंदिर जितना बाहर से सुंदर दिखता है उतना ही अंदर से खूबसूरत है. एक समय यहां तांत्रिक साधना करने आते थे. इसके अलावा भी मंदिर के बारे में कई रहस्यमी बातें बताई गई हैं.

मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता ये मंदिर
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Published : Nov 1, 2019, 12:02 AM IST

मुरैना। देश के हृदय प्रदेश की विरासत अपने आप में मनोरम है. छह अंचलों से बना मध्यप्रदेश खुद अपने आप में एक बड़ी धरोहर है. यहां मौजूद प्राकृतिक छटाएं और अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश की शान बढ़ाते हैं. राज्य के चंबल अंचल में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, ऐसे मंदिर हैं जो अपनी बनावट के चलते देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर की तर्ज पर भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत बनाई गई है.

मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता ये मंदिर

13वीं शताब्दी के लगभग बनाया गया था मंदिर
13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौंसठ योगिनी एक समय तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय कहा जाता है था. मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर गोलाकार आकृति वाले इस मंदिर में 64 कमरे हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में तंत्र विद्या पढ़ाई जाती थी. मंदिर की मूर्तियों को भारतीय पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया है.

तांत्रिक करते थे साधना
स्थानीयों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है. एक समय यहां तांत्रिक दुनिया भर के लोग तंत्र साधना का प्रयास करते थे. इस दौरान शिव की साधना कर योगिनीयों को जागृत किया जाता था.

प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित
इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे संवारने और सुरक्षित करने का काम लगातार किया जा रहा है. क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है.

ये बात करती है आश्चर्यचकित
कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए है, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थीं, जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. मंदिर के हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है.

रोजगार के लिए नई पहल
पर्यटन के बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यहां एक कैंटीन तैयार करने जा रहा है, जहां लोगों को रोजगार दिया जाए और यहां आने वाले पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन दिए जाएंगे जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

अंदर से भी बाहर जितना खूबसूरत है मंदिर
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद ये मंदिर जितना बाहर से सुंदर दिखता है उतना ही अंदर से खूबसूरत है. यूं तो इस मंदिर के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपने अधील लिया है,त जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है, लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अब तक कोई सुविधा नहीं जुटाई गई नहीं.

मुरैना। देश के हृदय प्रदेश की विरासत अपने आप में मनोरम है. छह अंचलों से बना मध्यप्रदेश खुद अपने आप में एक बड़ी धरोहर है. यहां मौजूद प्राकृतिक छटाएं और अद्भुत मंदिर मध्यप्रदेश की शान बढ़ाते हैं. राज्य के चंबल अंचल में भी पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, ऐसे मंदिर हैं जो अपनी बनावट के चलते देश ही नहीं विदेशों में भी मशहूर हैं. इन्हीं मंदिरों में से एक मुरैना का चौसठ योगिनी मंदिर है, जो अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए पहचाना जाता है. कहा जाता है कि इसी मंदिर की तर्ज पर भारतीय लोकतंत्र की सबसे बड़ी पंचायत बनाई गई है.

मध्यप्रदेश की शान बढ़ाता ये मंदिर

13वीं शताब्दी के लगभग बनाया गया था मंदिर
13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौंसठ योगिनी एक समय तंत्र-मंत्र का विश्वविद्यालय कहा जाता है था. मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर गोलाकार आकृति वाले इस मंदिर में 64 कमरे हैं. बताया जाता है कि इस मंदिर में तंत्र विद्या पढ़ाई जाती थी. मंदिर की मूर्तियों को भारतीय पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में सुरक्षित रखवा दिया है.

तांत्रिक करते थे साधना
स्थानीयों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है. एक समय यहां तांत्रिक दुनिया भर के लोग तंत्र साधना का प्रयास करते थे. इस दौरान शिव की साधना कर योगिनीयों को जागृत किया जाता था.

प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित
इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. इसे संवारने और सुरक्षित करने का काम लगातार किया जा रहा है. क्योंकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है.

ये बात करती है आश्चर्यचकित
कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए है, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थीं, जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. मंदिर के हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है.

रोजगार के लिए नई पहल
पर्यटन के बढ़ाने के लिए जिला प्रशासन यहां एक कैंटीन तैयार करने जा रहा है, जहां लोगों को रोजगार दिया जाए और यहां आने वाले पर्यटकों को स्थानीय व्यंजन दिए जाएंगे जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार मिल सके.

अंदर से भी बाहर जितना खूबसूरत है मंदिर
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले में मौजूद ये मंदिर जितना बाहर से सुंदर दिखता है उतना ही अंदर से खूबसूरत है. यूं तो इस मंदिर के लिए मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग ने अपने अधील लिया है,त जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है, लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए अब तक कोई सुविधा नहीं जुटाई गई नहीं.

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