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हवा में जहर घोल रहे उद्योग धंधे, ग्रीन बेल्ट पर नहीं कोई स्पष्ट दिशा-निर्देशः एके तिवारी

बढ़ते उद्योग धंधे और इंडस्ट्रीयल डेवेलपमेंट के बीच ग्रीन बेल्ट निर्माण की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. जिससे दिन पर दिन ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है और लोगों को भीषण गर्मी का सामना करना पड़ रहा है.

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Published : Jun 13, 2019, 1:48 PM IST

फैक्टरीयों से होता प्रदुषण

मुरैना। औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य जगह लगाई जाने वाली औद्योगिक इकाइयों के साथ ही ग्रीन बेल्ट डेवलप करना औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही होती है, जिसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी शासन के कई विभागों की है, लेकिन वर्तमान में उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं कर आम लोगों के जनजीवन से बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

ग्रीन बेल्ट के नाम पर छोड़ी गई 40 फीसदी जमीन पर पौधा लगाना जरुरी है कि नहीं. इसके लिए सरकार ने भी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है. जिसके चलते उद्योगपति ग्रीन बेल्ट की जमीन पर पार्किंग जैसे अन्य काम करते हैं. पर्यावरणविद प्रोफेसर डॉक्टर विनायक तोमर का कहना है कि ऐसे पौधे लगाने चाहिए, जो बड़े तनों वाले हो, जिनमें ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता अधिक हो और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम हो.

जिला व्यापार समिति के महाप्रबंधक एके तिवारी का कहना है कि लगातार 47 डिग्री तापमान होने के पीछे कारण ये है कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और अपशिष्ट पदार्थ से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है. ग्रीन बेल्ट डेवलप करने के लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया है. जिसके चलते विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. यही हालात रहे तो दो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाएगा.

मुरैना। औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य जगह लगाई जाने वाली औद्योगिक इकाइयों के साथ ही ग्रीन बेल्ट डेवलप करना औद्योगिक इकाइयों की जवाबदेही होती है, जिसकी मॉनिटरिंग करने की जिम्मेदारी शासन के कई विभागों की है, लेकिन वर्तमान में उद्योगों को बढ़ावा देने के नाम पर पर्यावरण को बड़ा नुकसान पहुंचाया जा रहा है. ग्रीन बेल्ट विकसित नहीं कर आम लोगों के जनजीवन से बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है, प्रशासन मूकदर्शक बना हुआ है.

ग्रीन बेल्ट के नाम पर छोड़ी गई 40 फीसदी जमीन पर पौधा लगाना जरुरी है कि नहीं. इसके लिए सरकार ने भी कोई दिशा-निर्देश जारी नहीं किया है. जिसके चलते उद्योगपति ग्रीन बेल्ट की जमीन पर पार्किंग जैसे अन्य काम करते हैं. पर्यावरणविद प्रोफेसर डॉक्टर विनायक तोमर का कहना है कि ऐसे पौधे लगाने चाहिए, जो बड़े तनों वाले हो, जिनमें ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता अधिक हो और कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर वातावरण को शुद्ध करने में सक्षम हो.

जिला व्यापार समिति के महाप्रबंधक एके तिवारी का कहना है कि लगातार 47 डिग्री तापमान होने के पीछे कारण ये है कि फैक्ट्रियों से निकलने वाला धुआं और अपशिष्ट पदार्थ से वातावरण प्रदूषित हो रहा है. ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है. ग्रीन बेल्ट डेवलप करने के लिए संबंधित विभागों और अधिकारियों को कोई स्पष्ट दिशा निर्देश नहीं दिया है. जिसके चलते विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर रहा है. यही हालात रहे तो दो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल ही नहीं असंभव हो जाएगा.

Intro:आपको यह जानकर हैरानी होगी कि औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य जगह लगाई जाने वाली औद्योगिक इकाइयों के साथ साथ ग्रीन बेल्ट डेवलप करना औद्योगिक इकाइयों की जवाबदारी होती थी उसकी मोनिटरिंग शासन के कई विभाग करते थे । लेकिन वर्तमान में उद्योग बढ़ावा देने के नाम पर न केवल पर्यावरण आम लोगों के जनजीवन के खिलाफ बड़ा खिलवाड़ किया जा रहा है , प्रशासन और शासन मूकदर्शक बना हुआ है ।


Body:ग्लोबल वार्मिंग के बढ़ने के कारणो में एक कारण पर्यावरण संरक्षण ना देना तो है ही दूसरा कारण औद्योगिक इकाइयों को विकसित करना और उनकी विकास दी जाने वाली शब्दों को प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा उदासीनता और लापरवाही के कारण पुरा ना करानाभी है , यह जानकर आप को चालू होगा औद्योगिक क्षेत्र सब करने के साथ ग्रीन बेल्ट के नाम पर सब छोड़ी जाने वाली 40 फ़ीसदी जमीन पर पौधा लगाना जरूरी है या नहीं इस बात के लिए सरकार ने उद्योग विभाग को कोई निर्देश नहीं दिए और ना ही उसके सदमा ने ट्रेन के लिए प्रशासनिक अधिकारी कोई स्पष्ट आदेश जारी किए गए परिणाम स्वरूप उद्योगपति ग्रीन बेल्ट की जमीन पर अपने अन्य उपयोग के काम करते हैं जैसे उस जमीन पर ना पार्किंग बनाना और अन्य उपयोगी कार्य करना। मौलाना साद जितनी भूमि पर उद्योग डिवेलप किया जाना है उसकी 40 फ़ीसदी में सेक्स ग्रीन बेल्ट के लिए निर्धारित की जाती है और ऐसे पौधे लगाने चाहिए बड़े बड़े तनाव वाले हो जिन ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता अधिक हो तथा कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करना कर वातावरण को शुद्ध करना में सक्षम हो ।
बाईट - 1 प्रो डॉ विनायक तोमर - पर्यावरणविद


Conclusion:लगातार 47 डिग्री तापमान होने के पीछे अंचल के कारणों में मुख्य कारण यह भी है कि विकास के नाम पर औद्योगिक इकाई स्थापित की गई, उनसे निकलने वाले प्रदूषण करने के नियंत्रण न होने से गर्मी से हाहाकार मचने लगी , तो पता चला सरकार ग्रीन बेल्ट डिवेलप करने के लिए संबंधित विभागों को और अधिकारियों को कोई स्पष्ट दिशानिर्देश नहीं दिया । परिणाम स्वरूप विभाग सिर्फ खानापूर्ति कर , अपनी औपचारिकता पूरी करने में लगे और लोग उद्योग से फैल रहे प्रदूषण से परेशान हैं। यही हालात रहे दो ग्लोबल वार्मिंग को नियंत्रित करना सरकार के लिए मुश्किल ही नही असंभव होगा।

बाईट - ए के तिवारी - महाप्रबंधक , जिला व्यापार और उद्योग केंद्र मुरैना
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