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गाय के गोबर से बनी ईको फ्रेंडली गणेश प्रतिमाओं की भारी डिमांड, दूसरे राज्यों तक जाती हैं मूर्तियां

हिंदू त्योहारों को ध्यान में रखते हुए मुरैना के दिलीप गोयल ने गाय के गोबर और पंचगव्य से गणेश प्रतिमाएं बनानी शुरू की हैं, ताकि ईको फ्रेंडली मूर्तियों से पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान नहीं पहुंचे.

देशी गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं
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Published : Sep 3, 2019, 2:28 PM IST

मुरैना। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए मुरैना के दिलीप गोयल ने सराहनीय पहल की है. दिलीप गाय के गोबर और पंचगव्य से गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं. इस ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं की खासी डिमांड भी है.

देशी गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं
दिलीप गोयल उर्फ गोबर्ट अपनी इस कला को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते हैं. उनका कहना है कि जेलों में बंद कैदी और अनाथ आश्रम में रह रहे बालकों को प्रशिक्षण देने का मौका भी सरकार उन्हें दे, ताकि वो जन-जन को इस काम के बारे में बता सकें और पर्यावरण का संरक्षण कर सकें.

दिलीप गोयल के मुताबिक गौ माता की सेवा, रक्षा और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से उन्होंने ये काम शुरू किया है. दिलीप गोयल की बनाई प्रतिमाओं की पहचान अब देश के तमाम शहरों तक पहुंच चुकी है. उनके द्वारा बनाई गई गोबर की मूर्तियां मुंबई से लेकर दिल्ली और तमाम शहरों तक जाती हैं.

हालांकि जितनी मूर्तियों की मांग होती है, उतनी मूर्तियां तैयार करने में उन्हें परेशानी होती है, इसलिए दिलीप चाहते हैं कि इस अभियान में उनके साथ ऐसे लोगों को जोड़ा जाए, जो शहर-शहर इस काम को कर सकें. दिलीप गोयल के मुताबिक गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए देशी गाय के गोबर और पंचगव्य से बनने वाली मूर्ति की स्थापना कराकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उनका मानना है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं अति शीघ्र पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है.

मुरैना। पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए मुरैना के दिलीप गोयल ने सराहनीय पहल की है. दिलीप गाय के गोबर और पंचगव्य से गणेश प्रतिमाएं बना रहे हैं. इस ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं की खासी डिमांड भी है.

देशी गाय के गोबर से बनी गणेश प्रतिमाएं
दिलीप गोयल उर्फ गोबर्ट अपनी इस कला को देश के कोने-कोने तक पहुंचाना चाहते हैं. उनका कहना है कि जेलों में बंद कैदी और अनाथ आश्रम में रह रहे बालकों को प्रशिक्षण देने का मौका भी सरकार उन्हें दे, ताकि वो जन-जन को इस काम के बारे में बता सकें और पर्यावरण का संरक्षण कर सकें.

दिलीप गोयल के मुताबिक गौ माता की सेवा, रक्षा और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के मकसद से उन्होंने ये काम शुरू किया है. दिलीप गोयल की बनाई प्रतिमाओं की पहचान अब देश के तमाम शहरों तक पहुंच चुकी है. उनके द्वारा बनाई गई गोबर की मूर्तियां मुंबई से लेकर दिल्ली और तमाम शहरों तक जाती हैं.

हालांकि जितनी मूर्तियों की मांग होती है, उतनी मूर्तियां तैयार करने में उन्हें परेशानी होती है, इसलिए दिलीप चाहते हैं कि इस अभियान में उनके साथ ऐसे लोगों को जोड़ा जाए, जो शहर-शहर इस काम को कर सकें. दिलीप गोयल के मुताबिक गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है, इसलिए देशी गाय के गोबर और पंचगव्य से बनने वाली मूर्ति की स्थापना कराकर पूजा-अर्चना करनी चाहिए. उनका मानना है कि ऐसा करने से मनोकामनाएं अति शीघ्र पूरी होती हैं और सुख-समृद्धि और वैभव की प्राप्ति होती है.

Intro:
त्योहारों को ध्यान में रखते हुए इस समय गोवर की आर्ट का काम करने वाले दिलीप गोयल ने गाय के गोबर और पंचगव्य से गणेश प्रतिमाएं बनाने का काम शुरू किया है ताके इको फ्रेंडली मूर्तियां लोक गणेश उत्सव के दौरान स्थापित करें और बाद में उत्सव समापन पर जो विसर्जन हो तो पर्यावरण को किसी तरह का नुकसान ना पहुंचे यही नहीं दिलीप गोयल उर्फ गोबर्ट अपनी इस कला को देश के कोने कोने में पहुंचाना चाहता है इसीलिए उनका कहना है कि जेलों में बंद कैदी और अनाथ आश्रम में रह रहे बालकों को प्रशिक्षण देने का अवसर मुझे सरकार प्रदान करें जन-जन तक बनाने का काम तथा पहुंचे तो पर्यावरण का भविष्य सुरक्षित रहेगा ।


Body:दिलीप गोयल के अनुसार गौ माता की सेवा गौ माता की रक्षा और गौशालाओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य तथा पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने के लिए एक अद्भुत और अनुपम पहल की जा रही है इसके तहत वह गाय के गोबर से और पंचगव्य से त्योहारों से पहले मूर्तियां बनाने का काम करते हैं दिलीप गोयल और फॉरवर्ड की या पहचान अब देश के तमाम शहरों तक पहुंच चुकी है इसलिए उनके गो के द्वारा बनाई गई गोवर की मूर्तियां मुंबई दिल्ली से लेकर देश के तमाम शहरों तक जाती हैं हालांकि जितनी मूर्तियों की मांग होती है उतनी मूर्तियां तैयार करने में उन्हें परेशानी होती है इसलिए वह चाहते हैं कि इस अभियान में उनके साथ ऐसे लोगों को जोड़ा जाए जो शहर शहर इस काम को कर सकें । दिलीप गोयल के अनुसार गाय के गोबर में लक्ष्मी का वास होता है इसलिए देसी गाय के गोबर से और पंचगव्य से बनने वाली मूर्ति की स्थापना करा कर विधि विधान से पूजा अर्चना करते हैं तो लोगों की मनोकामनाएं अति शीघ्र पूरी होती हैं और उन्हें सुख समृद्धि एवं वैभव की लक्ष्मी प्रदाता होती हैं ।


Conclusion:वर्तमान में आर्मी गोबर और मिट्टी की से बनी इको फ्रेंडली मूर्तियां उत्सव के दौरान लेना तो चाहता है लेकिन उसे आसानी से बाजारों में उपलब्ध नहीं होती इसलिए दिलीप गोयल यह भी चाहते हैं कि विभिन्न शहरों में आश्रमों में रहने वाले बच्चों को और जेलों में रहने वाले बंदियों को गोबर से बनी मूर्तियां बनाने का प्रशिक्षण अगर दिया जाए तो यह काम व्यापक हो सकता है और पर्यावरण के लिए लाभकारी भी होगा इसलिए शासन को चाहिए कि वह उनकी मदद करें दिलीप गोयल परंपरागत मेडिकल के व्यवसाई हैं वे चाहते हैं कि सरकार से मदद मिलना शुरू हो जाए तो अपना 100 फ़ीसदी समय देसी गाय के गोबर और पंच कब से बनी मूर्तियों को शहर शहर तक पहुंचाने में सफल होंगे और देश में गौशाला में आत्मनिर्भर होगी ।
बाईट 1 - दिलीप गोयल , गोबर्ट , गोबर आर्ट का कारीगर
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