मुरैना। जिले की चैना गांव में खेल मैदान की जमीन पर कांग्रेस नेता और पूर्व जिला पंचायत सदस्य के जिस मकान को डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के कारण प्रशासन तोड़ नहीं पाया था, उसी मकान को तोड़कर लिए हाईकोर्ट ने मुरैना कलेक्टर को निर्देश दिए हैं. इस मामले में कोर्ट ने मुरैना कलेक्टर को 60 दिन की मोहलत दी है, अगर इस दौरान अतिक्रमण नहीं हटा तो कोर्ट इस मामले में सुनवाई कर संज्ञान लेगा.
क्या है पूरा मामला ?
जानकारी के मुताबिक, चैना गांव में सर्वे नंबर 722 की जमीन खेल मैदान के लिए आवंटित थी. इस जमीन पर कांग्रेस नेता और पूर्व जिला सदस्य जगदीश टैगोर के अलावा बदन सिंंह, केदार सिंह और संजय राजोरिया ने मकान बना लिया. इसी जमीन को मुक्त कराने के लिए हाईकोर्ट में एक याचिका लगाई गई थी. हाईकोर्ट ने खेल मैदान की जमीन से अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए थे. कोर्ट के आदेश पर 22 दिसंबर को राजस्व और पुलिस की टीम ने खेल मैदान पर बने मकान तो तोड़ दिए, लेकिन कांग्रेस नेता जगदीश टैगोर के मकान का आधा हिस्सा ही टूट पाया. देर होने के कारण मकान तोड़ने की कार्रवाई रोकी गई और दूसरे दिन जब प्रशासन की टीम अधूरे मकान को तोड़ने वहां पहुंची, तो ग्रामीणों ने उनपर पथराव कर प्रशासन की टीम को खदेड़ दिया.
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ग्रामीणों ने आधे टूटे मकान पर लगाईअंबेडकर की तस्वीर
इसके बाद ग्रामीणों ने घरों के पास खाली जमीन पर एक पटिया गाड़ दी, जिस पर डॉ. अंबेडकर की तस्वीर बनी हुई थी. इतना ही नहीं आगरा से रातों-रात 8 फीट लंबी आंबेडकर प्रतिमा लाकर जगदीश टैगोर के आधे टूटे मकान के हॉल में भी लगा दी और भवन के चारों ओर 'डॉ. भीमराव आंबेड़कर भवन' लिख दिया. इसके बाद पूरा प्रशासन उल्टे पांव लौट गया.
'जमीन से अतिक्रमण हटाकर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करें'
इस मामले में राजेन्द्र सिंह राजपूत ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिस पर जस्टिस शील नागू और जस्टिस आनंद पाठक ने मुरैना कलेक्टर को निर्देश दिए हैं कि जिला प्रशासन 15 दिन के भीतर यह बताए कि जमीन खाली कराने की कार्रवाई कितनी हुई है. इसके अलावा 60 दिन में खेल मैदान की जमीन से अतिक्रमण हटाकर उसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के भी निर्देश दिए हैं.