मुरैना। जिले का इतिहास रहा है कि यहां के लोग देश और मातृभूमि पर मर मिटने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं. इसके उदाहरण समय-समय पर मिलते रहे हैं. आजादी की लड़ाई में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल के बलिदान से लेकर कारगिल युद्ध तक मुरैना के लोगों ने बढ़-चढ़कर अपना योगदान दिया है.
मुरैना के जरा तहसील के गांव खंडोली से 12 लोगों के जाने का एक शिलालेख मिला है. यह लोग पलटन में भर्ती होकर प्रथम विश्व युद्ध में लड़ने के लिए तो गए थे, लेकिन लौटकर नहीं आए. जिला पुरातत्व अधिकारी ने इस शिलालेख को गांव से लाकर संग्रहालय में रखा है. ग्वालियर रियासत से जुड़े संग्रहालय में रखे दस्तावेजों को खंगालने का काम किया जाएगा, ताकि मुरैना से जाने वाले ऐसे लोगों को पहचान की जा सके.
प्रथम विश्व युद्ध यानी कि ग्रेट बार 1914 से 1919 तक में मुरैना जिले से कितने लोग गए होंगे इसका प्रमाण तो नहीं है, लेकिन पुरातत्व विभाग के मुताबिक खंडोली गांव से 12 और तोमर घार के हरीचे संगोली से 14 लोगों के जाने का शिला लेख मिले. इन शिलालेखों पर ग्वालियर रियासत का मोनो बना हुआ है और ग्वालियर स्टेट लिखा है, जिसके नीचे ग्रेट वार 1919 से 1914 तक जाने वाले लोगों की संख्या और उस गांव का नाम अंकित है.