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मॉडल मंडी एक्ट का कर्मचारियों ने किया विरोध, कहा- किसानों से बढ़ेगी लूट धोखाधड़ी

मॉडल मंडी एक्ट लागू करने पर मुरैना में मंडी कर्मचारियों ने नाराजगी जाहिर की है. कर्मचारियों का कहना है कि इस एक्ट से वेतन के लाले पड़ने लगेंगे और किसानों के साथ लूट खसोट और धोखाधड़ी होने लगेगी.

Model Mandi Act opposed
मॉडल मंडी एक्ट का विरोध
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Published : May 15, 2020, 7:35 PM IST

Updated : May 15, 2020, 9:16 PM IST

मुरैना। प्रदेश में मॉडल मंडी एक्ट लागू करने पर स्थानीय कृषि उपज मंडियों के कर्मचारियों ने विरोध कर वर्तमान व्यवस्था लागू रखने की मांग की है, कर्मचारियों का कहना है मॉडल मंडी एक्ट से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने लगेंगे और किसानों के साथ लूट खसोट और धोखाधड़ी होने लगेगी.

मॉडल मंडी एक्ट का विरोध

हाल ही में बीजेपी सरकार ने कृषि उपज मंडियों के लिए बनाए मॉडल एक्ट के खिलाफ कृषि उपज मंडी के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा हैं. मंडी कर्मचारियों ने बीजेपी सरकार के फैसले को हम्मालों और किसानों के खिलाफ बताया. मंडी कर्मचारियों का कहना है कि इस मॉडल एक्ट के तहत संचालक कृषि विपणन का अलग से पद बनाकर प्राइवेट मंडी का रास्ता साफ कर दिया है, दूसरी तरफ सरकार ने इन्हें सरकारी मंडी समिति के नियंत्रण से बाहर रखा है.

मंडी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इस प्रस्ताव को 2017 में भी लाई थी, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के कारण बिल को रोक दिया था, अभी इस बिल को फिर से पास कर दिया है. प्राइवेट कंपनियों के लुभावने ऑफर होने से सरकारी मंडियों में अनाज की आवक नहीं होगी. जिससे प्रदेश भर के लाखों मध्यमवर्गीय व्यापारी, हम्माल और तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे. साथ ही प्रदेश की सरकारी मंडी के कर्मचारियों का वेतन निकालना मंडी समितियों के लिए मुश्किल हो जाएगा.

मुरैना। प्रदेश में मॉडल मंडी एक्ट लागू करने पर स्थानीय कृषि उपज मंडियों के कर्मचारियों ने विरोध कर वर्तमान व्यवस्था लागू रखने की मांग की है, कर्मचारियों का कहना है मॉडल मंडी एक्ट से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा, कर्मचारियों को वेतन के लाले पड़ने लगेंगे और किसानों के साथ लूट खसोट और धोखाधड़ी होने लगेगी.

मॉडल मंडी एक्ट का विरोध

हाल ही में बीजेपी सरकार ने कृषि उपज मंडियों के लिए बनाए मॉडल एक्ट के खिलाफ कृषि उपज मंडी के कर्मचारियों ने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा हैं. मंडी कर्मचारियों ने बीजेपी सरकार के फैसले को हम्मालों और किसानों के खिलाफ बताया. मंडी कर्मचारियों का कहना है कि इस मॉडल एक्ट के तहत संचालक कृषि विपणन का अलग से पद बनाकर प्राइवेट मंडी का रास्ता साफ कर दिया है, दूसरी तरफ सरकार ने इन्हें सरकारी मंडी समिति के नियंत्रण से बाहर रखा है.

मंडी कर्मचारियों का कहना है कि सरकार इस प्रस्ताव को 2017 में भी लाई थी, लेकिन कर्मचारियों के विरोध के कारण बिल को रोक दिया था, अभी इस बिल को फिर से पास कर दिया है. प्राइवेट कंपनियों के लुभावने ऑफर होने से सरकारी मंडियों में अनाज की आवक नहीं होगी. जिससे प्रदेश भर के लाखों मध्यमवर्गीय व्यापारी, हम्माल और तुलावटी बेरोजगार हो जाएंगे. साथ ही प्रदेश की सरकारी मंडी के कर्मचारियों का वेतन निकालना मंडी समितियों के लिए मुश्किल हो जाएगा.

Last Updated : May 15, 2020, 9:16 PM IST
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