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श्रावण का दूसरा सोमवार आज, वन खंडेश्वर महादेव मंदिर में भक्तों ने की पूजा-अर्चना

श्रावण के दूसरे सोमवार को वन खंडेश्वर महादेव मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान शिव की आराधना करने पहुंचे, जहां श्राद्धालुओं ने बेलपत्र, धतूरा, पुष्प और जल से भगवान शिव का अभिषेक किया गया.

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Published : Jul 13, 2020, 10:46 AM IST

Updated : Jul 13, 2020, 12:21 PM IST

van Khandeshwar Mahadev Temple
वन खंडेश्वर महादेव मंदिर

मुरैना आज श्रावण का दूसरा सोमवार है. सुबह से ही शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. कोरोना महामारी के बीच शहर के वन खंडेश्वर महादेव मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान शिव की आराधना करने पहुंचे. जहां श्राद्धालुओं ने बेलपत्र, धतूर, पुष्प और जल से भगवान शिव का अभिषेक कराया. श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व होता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. इस दिन शिव भक्त मंदिर जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं.मान्यता है कि श्रावण माह में शिव आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

भक्तों ने की पूजा अर्चना

वन खंडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी का कहना है कि शहर के बसने से पहले यहां कृषि और जंगल हुआ करता था, लगभग 100 साल पहले पीपल के पेड़ से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. जो वन क्षेत्र में होने के कारण वन खंडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा. बाद में यहां मंदिर बनावाया गया. जो मुरैना शहर के सबसे प्राचीन और शिव मंदिरों में से एक है. इस क्षेत्र के विकसित होने के साथ-साथ यहां की बस्ती और सड़कों का नाम भी वन खंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर रखा गया.

मुरैना आज श्रावण का दूसरा सोमवार है. सुबह से ही शिवालयों में भक्तों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया. कोरोना महामारी के बीच शहर के वन खंडेश्वर महादेव मंदिर में सैकड़ों की संख्या में भक्त भगवान शिव की आराधना करने पहुंचे. जहां श्राद्धालुओं ने बेलपत्र, धतूर, पुष्प और जल से भगवान शिव का अभिषेक कराया. श्रावण माह में सोमवार का विशेष महत्व होता है. सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित होता है, इसलिए इसका महत्व बढ़ जाता है. इस दिन शिव भक्त मंदिर जाकर शिवलिंग पर जलाभिषेक और पूजा अर्चना करते हैं.मान्यता है कि श्रावण माह में शिव आराधना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.

भक्तों ने की पूजा अर्चना

वन खंडेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी का कहना है कि शहर के बसने से पहले यहां कृषि और जंगल हुआ करता था, लगभग 100 साल पहले पीपल के पेड़ से एक शिवलिंग प्रकट हुआ था. जो वन क्षेत्र में होने के कारण वन खंडेश्वर महादेव के नाम से जाना जाने लगा. बाद में यहां मंदिर बनावाया गया. जो मुरैना शहर के सबसे प्राचीन और शिव मंदिरों में से एक है. इस क्षेत्र के विकसित होने के साथ-साथ यहां की बस्ती और सड़कों का नाम भी वन खंडेश्वर महादेव मंदिर के नाम पर रखा गया.

Last Updated : Jul 13, 2020, 12:21 PM IST
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