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चौंसठ योगिनी मंदिर कहलाता था तांत्रिक विश्वविद्यालय , विदेशी भी करते थे तंत्र-मंत्र

मुरैना का चौंसठ योगिनी मंदिर अपनी वास्तुकला के लिए मशहूर है. इस मंदिर का निर्माण तंत्र साधना के लिए करवाया गया था. जिस तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था. देश दुनिया से लोग इस मंदिर में तांत्रिक साधना के लिए आया करते थे.

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Published : Sep 27, 2019, 11:34 AM IST

Updated : Sep 27, 2019, 1:04 PM IST

विश्व पर्यटन दिवस विशेष, चौसठ योगिनी मंदिर

मुरैना। 13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौंसठ योगिनी मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए देश-विदेश में पहचाना जाता है. इस मंदिर में तंत्र विद्या की पढ़ाई की जाती थी, इसलिए इसे तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था. इस मंदिर की वास्तुकला की तर्ज पर ही संसद भवन का निर्माण कराया था.


मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर चौंसठ योगिनी मंदिर है. गोलाकार आकृति में बने इस मंदिर को तंत्र विद्या की पढ़ाई के लिए बनाया गया था. देश में प्रचीन काल के बने चौसठ योगिनी मंदिरों में सबसे अच्छे हालात में यही मंदिर बचा हुआ है. इस मंदिर में शिव और योगिनी की मूर्तियां बनी हुई थी. जिसे पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में रखवा दिया है.

विश्व पर्यटन दिवस विशेष: चौंसठ योगिनी मंदिर

इस तांत्रिक विश्वविद्यालय में दुनिया भर के लोग तंत्र साधना का प्रयास करते थे. जहां शिव का साधना कर योगिनीयों को जागृत किया जाता था. स्थानीयों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है.


अद्भुत है मंदिर की वास्तुकला

इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है. ये मंदिर गोलाकार रुप में बना हुआ है जिसके अंदर एक गोलाकार मुख्य मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर में शिव और योगिनी विराजित है.

कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए है, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थी जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है. इस विशालकाय मंदिर में पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है बावजूद इसके यहां पानी की एक बूंद भी नहीं टिकती है.


मंदिर के तर्ज पर है संसद भवन

ये मंदिर जैसे बाहर से दिखता है वैसे ही संसद भवन की बनावट है. अंग्रेजों के शासनकाल के समय ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने मुरैना आकर इस मंदिर का दौरा किया था. जिसके बाद दिल्ली में संसद भवन का नक्शा बनाया था. हालांकि इसका कोई प्रमाण अब तक नहीं मिले है. लेकिन हुबहु मिलते आर्किटेक्ट को देखकर ये कहा जा सकता है कि संसद भवन इसे देखकर ही बनाया गया है.

Chausath Yogini Temple morena was called Tantric University
संसद भवन की बनावट जैसा चौसठ योगिनी मंदिर

मुरैना। 13वीं शताब्दी में कच्छप राजाओं के समय बनाया गया चौंसठ योगिनी मंदिर अपनी अद्भुत वास्तुकला के लिए देश-विदेश में पहचाना जाता है. इस मंदिर में तंत्र विद्या की पढ़ाई की जाती थी, इसलिए इसे तांत्रिक विश्वविद्यालय कहा जाता था. इस मंदिर की वास्तुकला की तर्ज पर ही संसद भवन का निर्माण कराया था.


मुरैना से 40 किलोमीटर दूर मितावली की पहाड़ी पर चौंसठ योगिनी मंदिर है. गोलाकार आकृति में बने इस मंदिर को तंत्र विद्या की पढ़ाई के लिए बनाया गया था. देश में प्रचीन काल के बने चौसठ योगिनी मंदिरों में सबसे अच्छे हालात में यही मंदिर बचा हुआ है. इस मंदिर में शिव और योगिनी की मूर्तियां बनी हुई थी. जिसे पुरातत्व विभाग ने दिल्ली के संग्रहालय में रखवा दिया है.

विश्व पर्यटन दिवस विशेष: चौंसठ योगिनी मंदिर

इस तांत्रिक विश्वविद्यालय में दुनिया भर के लोग तंत्र साधना का प्रयास करते थे. जहां शिव का साधना कर योगिनीयों को जागृत किया जाता था. स्थानीयों का मानना है कि तंत्र कवच के चलते आज भी दिन ढलने के बाद किसी को भी इस मंदिर में रुकने की अनुमति नहीं दी जाती है.


अद्भुत है मंदिर की वास्तुकला

इस मंदिर की वास्तुकला को देखते हुए मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग ने इसे अपने अधीन लिया है, जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है. वहीं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे प्राचीन ऐतिहासिक स्मारक घोषित किया है. ये मंदिर गोलाकार रुप में बना हुआ है जिसके अंदर एक गोलाकार मुख्य मंदिर बना हुआ है, इस मंदिर में शिव और योगिनी विराजित है.

कुल 101 खंभों के साथ बने इस मंदिर पर छोटे-छोटे बरामदे बने हुए है, हर बरामदे में शिव और योगिनी की प्रतिमाएं हुआ करती थी जहां बैठकर लोग अपनी साधना करते थे. हर बरामदे की ऊंचाई 6.30 फीट पर है, लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि यहां 4 फीट लंबाई का आदमी भी इसे झुक कर पार करता है. इस विशालकाय मंदिर में पानी निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है बावजूद इसके यहां पानी की एक बूंद भी नहीं टिकती है.


मंदिर के तर्ज पर है संसद भवन

ये मंदिर जैसे बाहर से दिखता है वैसे ही संसद भवन की बनावट है. अंग्रेजों के शासनकाल के समय ब्रिटिश आर्किटेक्ट एडविन लुटियंस ने मुरैना आकर इस मंदिर का दौरा किया था. जिसके बाद दिल्ली में संसद भवन का नक्शा बनाया था. हालांकि इसका कोई प्रमाण अब तक नहीं मिले है. लेकिन हुबहु मिलते आर्किटेक्ट को देखकर ये कहा जा सकता है कि संसद भवन इसे देखकर ही बनाया गया है.

Chausath Yogini Temple morena was called Tantric University
संसद भवन की बनावट जैसा चौसठ योगिनी मंदिर
Intro:13वी शताब्दी में कच्छप रात राजाओं के समय निर्मित वास्तुकला का अद्भुत नमूना जिसे चौसठ योगिनी मंदिर के रूप में पहचाना जाता है यह कभी देश का तांत्रिक विश्वविद्यालय में हुआ करता था लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा संरक्षित किए जाने के बाद भी इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कोई पहचान नहीं मिल सकी ।
मुरैना से 40 किलोमीटर दूर स्थित मितावली की पहाड़ी पर चौसठ योगिनी मंदिर है जिसमें गोलाकार आकृति में बने मंदिर की प्रत्येक बारादरी में एक शिवलिंग और एक योगिनी स्थापित थी मंदिर के बीचों-बीच एक मुख्य मंदिर था जिसमें शिवलिंग स्थापित है मुख्य मंदिर में संत क्रियाओं के दौरान विशेष पूजा-अर्चना की जाती थी और शेष मंदिरों में अलग अलग यजमान बैठकर अपनी-अपनी तंत्र क्रियाओं की साधना किया करते थे चौसठ योगिनी मंदिर किसी जन्म समय देश का तांत्रिक विश्वविद्यालय भी माना जाता था यहां दुनिया भर की तंत्र साधनाओं की अभ्यास हुआ करता था ।


Body:वास्तुकला की दृष्टि से इस मंदिर की बाहरी दीवारों पर गोल गोल खंबे की आकृति बनी हुई है तो उसी दृष्टि में अंदर गोल गोल खंभे बने हुए जिनके अंदर एक-एक शिव मंदिर बना हुआ है यहां शिवलिंग के साथ-साथ एक योगिनी भी विराजमान है इस मंदिर में गोलाकार परिषद के अनुसार ही एक बरामदा भी बना हुआ है जिस बरामदा की ऊंचाई 6:30 फीट है लेकिन इसकी आश्चर्यचकित विशेषता है कि कोई भी व्यक्ति इस गैलरी से होकर निकलता है तो उसे झुक कर ही निकलना पड़ता है चाहे उसकी लंबाई 6 फीट से अधिक हो या फिर 4 फीट हो इसके अलावा इस मंदिर में कहीं भी पानी के निकास के लिए कोई नाली नहीं है बावजूद इसके विशालकाय मंदिर में एक बूंद पानी की कहीं रुकती नहीं ।


Conclusion:मितावली स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के नक्शे की तर्ज पर ब्रिटिश शासन के काल के दौरान ब्रिटिश इंजीनियर लुटियन का मुरैना दौरा हुआ था और इस मंदिर के नक्शे पर ही उस समय दिल्ली में विशाल भवन का निर्माण कराया गया जिसे आज भारत के संसद भवन के रूप में पहचाना जाता है यानी कि मितावली स्थित चौसठ योगिनी मंदिर के नक्शे पर भारत की संसद बनाई गई वास्तु कला और आर्किटेक्ट का एक अद्भुत उदाहरण भी है मुरैना स्थित ईश्वर महादेव मंदिर ।

यूं तो यह मंदिर मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा अपने अधीन लिया गया है जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित किया गया है लेकिन यहां पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कोई सुविधा नहीं जुटाई गई नहीं अद्भुत वास्तुकला और आर्किटेक्ट के धरोहर वाले पुरातन काल के तांत्रिक विश्वविद्यालय के प्रचार प्रसार के लिए कोई विशेष कार्य योजना शासन द्वारा तैयार की गई यही कारण है कि देश और दुनिया में इसे अभी तक कोई पहचान नहीं मिल सकी ।
बाईट 1- अशोक शर्मा , जिला पुरातत्व अधिकारी मुरैना
Last Updated : Sep 27, 2019, 1:04 PM IST
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