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दुनिया में घड़ियालों की संख्या में एमपी की चंबल नदी पहले नंबर पर - Chambal is Asia's biggest century

मुरैना जिले में बहने वाली चंबल नदी को विश्व में ख्याति मिली है. वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने घड़ियालों की सबसे अधिक संख्या चंबल नदी में बताई है. चंबल की घड़ियाल सेंचुरी एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी है.

Most gongs in Chambal river
चंबल नदी में सबसे अधिक घड़ियाल
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Published : Jan 19, 2020, 10:16 AM IST

Updated : Jan 19, 2020, 11:09 AM IST

मुरैना। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट ने एक बार फिर से चंबल को विश्व स्तर पर नई ख्याति दिलाई है. दरअसल 2019 की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में अतिसंकट प्रजाति की श्रेणी में आने वाले घड़ियालों की संख्या चंबल नदी में सबसे अधिक पाई गई है. सर्वे में बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित नेपाल की उन नदियों को लिया गया जहां पर घड़ियाल पाए जाते हैं.

चंबल नदी में सबसे अधिक घड़ियाल


सबसे अधिक घडियालों की संख्या 1255 चंबल नदी में पाए गए हैं. दूसरे नंबर पर बिहार की गंडक नदी में 251, उत्तर प्रदेश की गिरवा नदी में 143, उत्तराखंड के रामगंगा नदी में 90, नेपाल की नारायणी में 84 घड़ियाल हैं. 2005 में चंबल सेंचुरी का निर्माण किया गया था, जिसके बाद से चंबल में घड़ियालों के संरक्षण पर काम शुरू हुआ और आज घड़ियालों की सबसे अधिक संख्या चंबल नदी में पाई गई.


चंबल की घड़ियाल सेंचुरी एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी है. अब इस रिपोर्ट के बाद वन्य प्राणियों को चाहने वालों में खुशी की लहर है. चंबल नदी घड़ियालों के मामले में विश्व में पहले स्थान पर आ गई है. वन विभाग के अनुसार घड़ियालों के लिए सबसे अधिक साफ पानी जरूरी होता है. बता दें कि फरवरी माह में एक बार फिर से सर्वे किया जाना है, जिसमें घड़ियालों की संख्या बढ़ने की संभावना है.

मुरैना। वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट ने एक बार फिर से चंबल को विश्व स्तर पर नई ख्याति दिलाई है. दरअसल 2019 की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में अतिसंकट प्रजाति की श्रेणी में आने वाले घड़ियालों की संख्या चंबल नदी में सबसे अधिक पाई गई है. सर्वे में बिहार, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड सहित नेपाल की उन नदियों को लिया गया जहां पर घड़ियाल पाए जाते हैं.

चंबल नदी में सबसे अधिक घड़ियाल


सबसे अधिक घडियालों की संख्या 1255 चंबल नदी में पाए गए हैं. दूसरे नंबर पर बिहार की गंडक नदी में 251, उत्तर प्रदेश की गिरवा नदी में 143, उत्तराखंड के रामगंगा नदी में 90, नेपाल की नारायणी में 84 घड़ियाल हैं. 2005 में चंबल सेंचुरी का निर्माण किया गया था, जिसके बाद से चंबल में घड़ियालों के संरक्षण पर काम शुरू हुआ और आज घड़ियालों की सबसे अधिक संख्या चंबल नदी में पाई गई.


चंबल की घड़ियाल सेंचुरी एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी है. अब इस रिपोर्ट के बाद वन्य प्राणियों को चाहने वालों में खुशी की लहर है. चंबल नदी घड़ियालों के मामले में विश्व में पहले स्थान पर आ गई है. वन विभाग के अनुसार घड़ियालों के लिए सबसे अधिक साफ पानी जरूरी होता है. बता दें कि फरवरी माह में एक बार फिर से सर्वे किया जाना है, जिसमें घड़ियालों की संख्या बढ़ने की संभावना है.

Intro:एंकर - वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया की ताजा रिपोर्ट ने एक बार फिर से चंबल को विश्व पटल पर नई ख्याति दिला दी है। दरअसल 2019 की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में अति संकट प्रजाति की श्रेणी में आने वाले घड़ियालों की संख्या चंबल नदी में सबसे अधिक पाई गई है। सर्वे में बिहार,उत्तर प्रदेश उत्तराखंड सहित नेपाल की उन नदियों को लिया गया जहां पर घड़ियाल पाए जाते हैं और इनमें सबसे अधिक घडियालों की संख्या 1255 चंबल नदी में पाई गई है। दूसरे नंबर पर बिहार की गंडक नदी आती है जिसमें 251 घड़ियाल ही पाए गए। इस तरह से देखा जाए तो पूरे विश्व के घडियालों की संख्या से अधिक केवल चंबल नदी में ही घड़ियाल पाए गए।इस रिकॉर्ड ने चंबल के नाम को एक बार फिर विश्व पटल पर रोशन किया है। गौरतलब है कि 2005 में चंबल सेंचुरी का निर्माण किया गया था,जिसके बाद से चंबल में घड़ियालों के संरक्षण पर काम शुरू हुआ और आज घड़ियालों की सबसे अधिक संख्या चंबल नदी में पाई जाती है। चंबल की घड़ियाल सेंचुरी एशिया की सबसे बड़ी सेंचुरी है। अब इस रिपोर्ट के बाद वन्य प्राणियों को चाहने वालों में खुशी की लहर है।




Body:वीओ1 - चंबल नदी घड़ियालों के मामले में विश्व में पहले स्थान पर आ गई है। अतिसंकट ग्रस्त प्राणियों में आने वाले घड़ियालों की संख्या इतनी हो गई है। कि बिहार की गंडक नदी इनकी संख्या के मामले में अब दुनिया में दूसरे नंबर पर पहुंच गई है। पहले नंबर पर मध्य प्रदेश की चंबल नदी है, वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया डब्ल्यूटीआई की ओर से वर्ष 2019 में सोनपुर से वाल्मीकि नगर तक करीब 325 किलोमीटर लंबी नदी में 14 दिनों तक किए गए सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। रिपोर्ट के मुताबिक गंडक में 251 घड़ियाल देखे गए हैं। जबकि मध्यप्रदेश की चंबल नदी में 1255 घड़ियाल है। गंडक में घड़ियालों की संख्या पिछले 3 वर्षों में दोगुनी से ज्यादा हो गई है। वर्ष 2017 में यहां करीब 119 घड़ियाल देखे गए थे। तीसरे स्थान पर उत्तर प्रदेश की गिरवा नदी है, यहां 143 घड़ियाल है। चौथे नंबर पर उत्तराखंड के रामगंगा नदी जलाशय है, इसमें 90 घड़ियाल है। पांचवें नंबर पर नेपाल की नारायणी नदी है, नारायणी में 84 है।वहीं नेपाल की राप्ती में 82 घड़ियाल है। वन विभाग के अनुसार घड़ियालों के लिए स्वच्छ पानी सबसे अधिक जरूरी होता है और चंबल नदी का पानी बाकी नदियों में सबसे अधिक स्वच्छ माना गया है। इसी के साथ यहां पर पाया जाने वाला रेत घड़ियालों के लिए सबसे अधिक उपयोगी है। हाल ही में चंबल में आई बाढ़ के बावजूद भी घड़ियालों को कोई नुकसान नही हुआ है,अधिकारियों की मानें तो आगामी फरवरी माह में एक बार फिर से सर्वे किया जाना है। जिसमें घड़ियालों की संख्या में और इजाफा होने की संभावना है।

बाइट - पीड़ी गेब्रियल - डीएफओ मुरैना।





Conclusion:वीओ2 - विभिन्न संगठनों के विशेषज्ञों ने भारत व नेपाल और बांग्लादेश की नदियों में वोट से घड़ियालों पर फरवरी 2019 में सर्वे शुरू किया था, तीनों देशों में घड़ियालों के अंडे देने की 14 जगहों को देखा गया।
Last Updated : Jan 19, 2020, 11:09 AM IST
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