मुरैना। जिले में लगातार बढ़ती कोरोना मरीजों की संख्या न केवल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में चिंता का कारण बनी हुई है बल्कि यह समस्या सरकार के लिए भी चिंता है. अब सवाल उठने लगा है कि आखिर एक साथ मुरैना में कोरोना संक्रमण के मामले कैसे बढ़ने लगे हैं. वहीं जिला प्रशासन का कहना है कि मरीजों की बढ़ती संख्या चिंता का विषय नहीं है. बल्कि संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए इनका चयनित होना प्रशासन के लिए बेहद जरूरी है.
एक सप्ताह में मुरैना में सैकड़ों कोविड-19 संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है. जिस कारण मुरैना नगर निगम क्षेत्र में जिला प्रशासन को 3 दिन का कर्फ्यू घोषित करना पड़ा. वहीं जिला अस्पताल में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड की क्षमता से अधिक होने के कारण उन्हें घर पर ही क्वॉरेंटाइन और कुछ होम आइसोलेट किया गया है.
संक्रमण से निपटने की प्रशासन की तैयारियों का जायजा ले रहे संभागायुक्त प्रवीण कुमार मिश्रा ने बताया कि संक्रमित मरीजों की संख्या का बढ़ना प्रशासन के लिए चिंता का विषय नहीं है. बल्कि प्रशासन के लिए लोगों का चिन्हित होकर सामने आना जरूरी था. अब प्रशासन कोरोना पर नियंत्रण करने के लिए अपनी तैयारियां बखूबी कर सकेगा.
वहीं कलेक्टर प्रियंका दास का कहना है कि संक्रमित मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए और कोरोना संक्रमण के लिए बनाए गए आइसोलेशन वार्ड की क्षमता से अधिक मरीज होने के कारण शहर में अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के छात्रों वाले छात्रावासों को इन सेंटर में परिवर्तित किया गया है. वहां सभी आवश्यक तैयारियां की जा रही हैं और अब मुरैना जिले में 1000 मरीजों को छात्रावासों में बनाए गए क्वॉरेंटाइन सेंटर में भर्ती किया जा सकता है.
व्यापारी वर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित
ग्वालियर और धौलपुर में पहले से ही कोरोना मरीजों की संख्या ज्यादा है और मुरैना के व्यापारी व्यापार के लिए इन शहरों से सीधा संपर्क बनाए हुए हैं. जिससे शहर का व्यवसायी वर्ग संक्रमण की चपेट में आया है. इसलिए मुरैना नगर निगम क्षेत्र को कर्फ्यू ग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है. यही नहीं संक्रमण पर नियंत्रण रखने के लिए कर्फ्यू की सीमा को और बढ़ाया जाएगा.