मुरैना। लोकसभा चुनाव के लिए पुलिस को 9 मई से ट्रक और बसों का अधिग्रहण करना था, लेकिन 3 दिन पहले 6 मई से वाहनों का अधिग्रहण शुरू कर दिया गया. इधर बस ऑपरेटरों ने ग्वालियर, धौलपुर और जौरा रूट से अचानक बसों का संचालन बंद कर दिया.
प्रशासन की कार्रवाई के चलते लोग परेशान हो रहे हैं. लंबे रूट की बसों के अधिग्रहण करने से यात्री और वाहन चालक परेशान हो रहे हैं. मुरैना लोकसभा सीट पर 12 मई को मतदान होना है. सुरक्षा-व्यवस्था के मद्देनजर छतरपुर और पन्ना से अर्धसैनिक बल की 15 कंपनियों को मुरैना लाया जाएगा. पुलिस लाइन में इतनी अधिक फोर्स को लाने के लिए वाहनों की व्यवस्था नहीं है, इसलिए सूबेदार को बसों के अधिग्रहण का काम सौंपा गया.
मंगलवार की सुबह जब पुलिस का दस्ता बसों के अधिग्रहण के लिए सड़कों पर पहुंचा, तो बस मालिकों में खलबली मच गई. बस ऑपरेटरों ने परिवहन विभाग के अफसरों पर सवाल उठाए हुए कहा कि चुनाव के लिए बसों का अधिग्रहण 9 मई से किया जाना था, फिर 6 मई से ही क्यों किया जा रहा है. वहीं परिवहन विभाग ने पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उनकी टीम द्वारा बसों का अधिग्रहण नहीं किया जा रहा है. उन्होंने आशंका जताते हुए कहा कि पुलिस की कार्रवाई के दौरान ऑपरेटरों ने रूट से बसें हटा लीं. इस कार्रवाई के दौरान कई लेबर, यात्री और वाहन चालक परेशान हुए.
बता दें कि मतदान दलों को पोलिंग बूथों तक पहुंचाने के लिए परिवहन विभाग द्वारा 450 बसों का अधिग्रहण किया जाएगा. फोर्स के लिए 250 चारपहिया वाहन अधिग्रहण किए जाने हैं. 153 चारपहिया वाहन जीपीएस लगाने के लिए अधिग्रहण किए जाने हैं. मास्टर ट्रेनों की ब्लॉक मुख्यालयों पर भेजने के लिए 10 मई को 54 चार पहिया वाहन पकड़े जाने हैं. ट्रक के अधिग्रहण का जिम्मा पुलिस को सौंपा गया है.