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विश्व मधुमक्खी दिवस:जैव व्यवस्था को संरक्षित करने में मधुमक्खी का विशेष योगदान, किसानों की उन्नति का खोलता है रास्ता

मधुमक्खी पालन अपने क्षेत्र में जैविक फसलों के साथ परागण करते हैं, जो उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाती है. जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है. यही कारण है कि पूरे विश्व में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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विश्व मधुमक्खी दिवस
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Published : May 20, 2020, 9:49 PM IST

मुरैना। क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खियों के सहारे फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. मधुमक्खी पालन जैव विविधता के संतुलन के लिए बहुत जरुरी है. विश्व की 35 फ़ीसदी धरती पर कई प्रकार के कीटों पर आधारित फसलें होती हैं. जो जैव को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मधुमक्खी पालन भी अपने क्षेत्र में जैविक फसलों के साथ परागण करते हैं, जो उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाती है. जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है. यही कारण है कि पूरे विश्व में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र आम सभा (जनरल असेम्बली) ने साल 2017 में 20 मई को पूरे विश्व में मधुमक्खी दिवस मनाने का संकल्प लिया.

विश्व मधुमक्खी दिवस

किसानों के लिए उपयोगी है मधुमक्खी

विभिन्न प्रजाति के कीटों में मधुमक्खी ही एक ऐसा कीट है जो कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में जैव विविधता के संतुलन को बनाते हुए किसानों को कई प्रकार के उत्पाद शहद के रूप में देता है. जो उसकी आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं. लॉक डाउन के चलते किसानों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सीधा संवाद नहीं कर सकते थे, इसलिए मुरैना में जिन किसानों के पास ऑनलाइन सुविधा थी. उन किसानों को विश्व मधुमक्खी दिवस पर ऑनलाइन मधुमक्खी के पालन में नई तकनीकों के साथ ज्यादा उत्पादन करने संबंधी जानकारियां दी गई.

किसानों को ऑनलाइन दी गई जानकारी

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में मई और जून का महीना ऐसा होता है, जिसमें फूल देने वाली फसलें नहीं होती और अंचल में फूलों की खेती भी ज्यादा नहीं है. ऐसी स्थिति में मधुमक्खियों को कृत्रिम भोजन और पानी उपलब्ध कराने की समुचित व्यवस्था की जाए. हालांकि इस का अनुपात क्या है इस संबंध में भी किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा ऑनलाइन जानकारी देकर विश्व मधुमक्खी पालन दिवस मनाया गया. चंबल अंचल में सबसे ज्यादा फूलों और रस वाली फसल सरसों व बरसीम का उत्पादन होने की वजह से यहां की भौगोलिक स्थिति मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसीलिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को एक दशक पहले मधुमक्खी पालन के लिए जागृत किया गया.

30 करोड़ से ज्यादा का होता है मधुमक्खी पालन

मुरैना जिले में 5 से 6000 किसान मधुमक्खी का पालन करते हैं. 80 हजार से ज्यादा मधुमक्खी की कॉलोनी इस समय जिले में बनाई गई है.जिसके माध्यम से किसान अपनी सामान्य परंपरागत खेती के साथ-साथ शहर मॉम और प्रपॉलिस जैसे अति महत्वपूर्ण पदार्थों को प्राप्त कर 30 करोड़ से ज्यादा का कारोबार मधुमक्खी पालन के माध्यम से कर रहे हैं. किसानों के शहद का उचित बाजार मूल्य उन्हें मिले इसके लिए शहर को रेडी टू पैकेज करने की तैयारी भी शासन स्तर पर अंचल में कराई गई है. आज शहद शोधन की 4 इकाइयां स्थापित की गई हैं. जिसमें किसानों के शहद को शोधन करने के बाद उसे 21 दिन में तैयार कर सीधे बाजार में बेचने योग्य बनाया जाता है. जिससे किसानों को मधुमक्खी पालन से मिलने वाले उत्पाद जैसे शहद मॉम और प्रपोलिस का पूरा मूल्य मिले और किसानों को ज्यादा लाभ हो. यही कारण है कि चंबल अंचल में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को बड़ी संख्या में अपना रहे हैं.

मुरैना। क्या आप जानते हैं कि मधुमक्खियों के सहारे फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. मधुमक्खी पालन जैव विविधता के संतुलन के लिए बहुत जरुरी है. विश्व की 35 फ़ीसदी धरती पर कई प्रकार के कीटों पर आधारित फसलें होती हैं. जो जैव को बनाए रखने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. मधुमक्खी पालन भी अपने क्षेत्र में जैविक फसलों के साथ परागण करते हैं, जो उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाती है. जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होता है. यही कारण है कि पूरे विश्व में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. संयुक्त राष्ट्र आम सभा (जनरल असेम्बली) ने साल 2017 में 20 मई को पूरे विश्व में मधुमक्खी दिवस मनाने का संकल्प लिया.

विश्व मधुमक्खी दिवस

किसानों के लिए उपयोगी है मधुमक्खी

विभिन्न प्रजाति के कीटों में मधुमक्खी ही एक ऐसा कीट है जो कृषि और पर्यावरण के क्षेत्र में जैव विविधता के संतुलन को बनाते हुए किसानों को कई प्रकार के उत्पाद शहद के रूप में देता है. जो उसकी आर्थिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करते हैं. लॉक डाउन के चलते किसानों के साथ कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक सीधा संवाद नहीं कर सकते थे, इसलिए मुरैना में जिन किसानों के पास ऑनलाइन सुविधा थी. उन किसानों को विश्व मधुमक्खी दिवस पर ऑनलाइन मधुमक्खी के पालन में नई तकनीकों के साथ ज्यादा उत्पादन करने संबंधी जानकारियां दी गई.

किसानों को ऑनलाइन दी गई जानकारी

उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में मई और जून का महीना ऐसा होता है, जिसमें फूल देने वाली फसलें नहीं होती और अंचल में फूलों की खेती भी ज्यादा नहीं है. ऐसी स्थिति में मधुमक्खियों को कृत्रिम भोजन और पानी उपलब्ध कराने की समुचित व्यवस्था की जाए. हालांकि इस का अनुपात क्या है इस संबंध में भी किसानों को वैज्ञानिकों द्वारा ऑनलाइन जानकारी देकर विश्व मधुमक्खी पालन दिवस मनाया गया. चंबल अंचल में सबसे ज्यादा फूलों और रस वाली फसल सरसों व बरसीम का उत्पादन होने की वजह से यहां की भौगोलिक स्थिति मधुमक्खी पालन के लिए उपयुक्त मानी जाती है. इसीलिए कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से किसानों को एक दशक पहले मधुमक्खी पालन के लिए जागृत किया गया.

30 करोड़ से ज्यादा का होता है मधुमक्खी पालन

मुरैना जिले में 5 से 6000 किसान मधुमक्खी का पालन करते हैं. 80 हजार से ज्यादा मधुमक्खी की कॉलोनी इस समय जिले में बनाई गई है.जिसके माध्यम से किसान अपनी सामान्य परंपरागत खेती के साथ-साथ शहर मॉम और प्रपॉलिस जैसे अति महत्वपूर्ण पदार्थों को प्राप्त कर 30 करोड़ से ज्यादा का कारोबार मधुमक्खी पालन के माध्यम से कर रहे हैं. किसानों के शहद का उचित बाजार मूल्य उन्हें मिले इसके लिए शहर को रेडी टू पैकेज करने की तैयारी भी शासन स्तर पर अंचल में कराई गई है. आज शहद शोधन की 4 इकाइयां स्थापित की गई हैं. जिसमें किसानों के शहद को शोधन करने के बाद उसे 21 दिन में तैयार कर सीधे बाजार में बेचने योग्य बनाया जाता है. जिससे किसानों को मधुमक्खी पालन से मिलने वाले उत्पाद जैसे शहद मॉम और प्रपोलिस का पूरा मूल्य मिले और किसानों को ज्यादा लाभ हो. यही कारण है कि चंबल अंचल में किसान परंपरागत खेती के साथ-साथ मधुमक्खी पालन को बड़ी संख्या में अपना रहे हैं.

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