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अस्थमा-एलर्जी को दावत दे रहा धूल-धुआं, 70 फीसदी मरीज हैं संक्रमित - अस्थमा और एलर्जी के मरीज

सीवर लाइन और ओवर ब्रिज निर्माण से मुरैना शहर धूल और धुंए से ढक गया है, जिससे लगातार अस्थमा, एलर्जी, सांस और खांसी के मरीज बढ़ते जा रहे हैं.

धूल और धुंए से बढ़ रहे अस्थमा और एलर्जी के मरीज
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Published : Nov 17, 2019, 8:11 AM IST

Updated : Nov 17, 2019, 9:19 AM IST

मुरैना। सीवर लाइन निर्माण और ओवर ब्रिज निर्माण के लिए पूरे शहर में खुदाई का काम चल रहा है, जिसकी वजह से धूल और धुंए से लोगों को अस्थमा और एलर्जी हो रही है. लोगों को खिड़की और दरवाजे तक बंद करना पड़ता है. खांसी-कफ और एलर्जी के मरीजों की सांख्या रोजना बढ़ रही है. जिला चिकित्सालय के ओपीडी में लगभग 1400 से 1500 मरीज रोजाना आते हैं, जिनमें से 70 फीसदी अस्थमा, एलर्जी, सांस और खांसी के मरीज हैं.

सीवर लाइन और ओवर ब्रिज निर्माण से शहर धूल-धुंआ

मेडिकल स्टोर संचालक दलवीर शर्मा का कहना है कि प्रदूषण की वजह से 40 से 50 फीसदी तक कफ-सीरप और खांसी संबंधी दवाओं की बिक्री लगातार बढ़ रही है. एमडी योगेश तिवारी का कहना है कि लगातार सांस और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि मुंह पर मास्क लगाकर रहें. शरीर का ज्यादा हिस्सा ढकने वाले कपड़े पहनना चाहिए, ताकि एलर्जी की शिकायत से बचा जा सके. साथ ही ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना चाहिए, ताकि धूल से बचा जा सके.

मुरैना। सीवर लाइन निर्माण और ओवर ब्रिज निर्माण के लिए पूरे शहर में खुदाई का काम चल रहा है, जिसकी वजह से धूल और धुंए से लोगों को अस्थमा और एलर्जी हो रही है. लोगों को खिड़की और दरवाजे तक बंद करना पड़ता है. खांसी-कफ और एलर्जी के मरीजों की सांख्या रोजना बढ़ रही है. जिला चिकित्सालय के ओपीडी में लगभग 1400 से 1500 मरीज रोजाना आते हैं, जिनमें से 70 फीसदी अस्थमा, एलर्जी, सांस और खांसी के मरीज हैं.

सीवर लाइन और ओवर ब्रिज निर्माण से शहर धूल-धुंआ

मेडिकल स्टोर संचालक दलवीर शर्मा का कहना है कि प्रदूषण की वजह से 40 से 50 फीसदी तक कफ-सीरप और खांसी संबंधी दवाओं की बिक्री लगातार बढ़ रही है. एमडी योगेश तिवारी का कहना है कि लगातार सांस और एलर्जी के मरीज बढ़ रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि मुंह पर मास्क लगाकर रहें. शरीर का ज्यादा हिस्सा ढकने वाले कपड़े पहनना चाहिए, ताकि एलर्जी की शिकायत से बचा जा सके. साथ ही ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाना चाहिए, ताकि धूल से बचा जा सके.

Intro:विकास कर शहर के लोगों के लिए मुसीबत बनेंगे यह होना अंदाजा नहीं था । मुरैना में सीवर लाइन निर्माण और ओवरब्रिज निर्माण से लेकर पूरे शहर में खुदाई का काम चल रहा है जिससे चारों और धूल ही धूल है पूरा शहर शहर धूल और धुआं से ढका हुआ है परिणाम आम लोग अस्थमा और एलर्जी के शिकार हो रहे हैं वर्तमान में मुरैना में खांसी -कफ और एलर्जी के मरीजों की सांख्य रोज बढ़ाती जा रही है ।


Body:सड़कों के किनारे बने मकान कभी लोगों के लिए सुविधाजनक थे आज वही मकान उनके लिए मुसीबत बन गए हैं यहां ना दिन में बाहर निकल सकते हैं ना रात को स्वस्थ सांस लेकर सो सकते हैं लोगों को खिड़की दरवाजे और वेंटिलेशन तक बंद करके अपना समय व्यतीत करना पड़ रहा है । जिला चिकित्सालय की ओपीडी में लगभग 14 से 15 मरीज प्रतिदिन आते हैं जिनमें से 70 फ़ीसदी मरीज सिर्फ अस्थमा, एलर्जी, और श्वास, खांसी संबंधी शिकायतों के हैं ।


Conclusion:यह आंकड़े तो जिला सेक्स साले की ओपीडी के हैं लेकिन इसके अलावा भी सामान्यतः मेडिकल की दुकानों पर बिना डॉक्टर की सलाह के दवा खरीदने वालों में ज्यादातर मरीज कफ सिरप और खांसी से संबंधित दवा खरीदने वालों की है दवा विक्रेताओं की माने तो वर्तमान में 40 फ़ीसदी से 50 फ़ीसदी तक कफ सीरफ और खांसी स्वास्थ संबंधी दवाओं की बिक्री बढ़ गई है ।

डॉक्टरों ने आम लोगों को सलाह दी है कि वह मुंह पर मास्क लगाकर रहें। इससे मुंह और नाक के रास्ते धूल और धुआं अंदर नहीं जाएगा उससे फेफड़े और श्वसन क्रिया पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं होगा । शरीर पर ऐसे कपड़े पहने जो पूरी तरह शरीर को उठाते हो ताकि एलर्जी की शिकायत से बचा जा सके ।

बाईट 1- दलवीर शर्मा , मेडिकल स्टोर संचालक
बाईट 2- डॉ योगेश तिवारी , एमडी मेडिसन जिला चिकित्सालय मुरैना
Last Updated : Nov 17, 2019, 9:19 AM IST
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