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16वीं सदी में अद्भुत नक्काशी से बना शैव कालीन मंदिर, पुरातत्व विभाग की अनदेखी से बदहाल

ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा की मुरैना में कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे मॉन्युमेंट है जिनका एतिहासिक महत्व है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है.

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Published : Mar 5, 2019, 9:56 PM IST

शैव कालीन शिव मंदिर

मुरैना। ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा की मुरैना में कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे मॉन्युमेंट है जिनका एतिहासिक महत्व है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. ऐसा ही एक शैव कालीन शिव मंदिर जिले की जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में स्थित है.

जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में शैव संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला 16वीं शताब्दी का एक मंदिर है, जो सेंड स्टोन से निर्मित है. इसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित तो किया गया है, लेकिन उसकी देखभाल नहीं की गई. मंदिर की दीवारों में लगे पत्थरों पर कई मुद्राओं में देवी और देवताओं की प्रतिमा बनी हुई है जो टूटी हुई है.

शैव कालीन शिव मंदिर

16वीं शताब्दी का यह एतिहासिक शिव मंदिर बड़े-बड़े पत्थर की शिलाओं से निर्मित है. मंदिर की दीवारों, दरवाजों, खम्बों और छत की भीतरी और बाहरी सतह पर भी शानदार नक्काशी की गई है. इस नक्काशी से ही देवी-देवताओं की अनेक मुद्राओं में खूबसूरत प्रतिमा बनाई गई हैं, जो शैव और सनातन संस्कृति का इतिहास बताती हैं. एतिहासिक महत्व की इमारतों को सहेजने का काम पुरातत्व विभाग द्वरा किया जाना चाहिए, लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

मुरैना। ऐतिहासिक और पुरातात्विक संपदा की मुरैना में कमी नहीं है. यहां बहुत से ऐसे मॉन्युमेंट है जिनका एतिहासिक महत्व है. इसके बाद भी प्रशासन का इस ओर कोई ध्यान नहीं है. ऐसा ही एक शैव कालीन शिव मंदिर जिले की जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में स्थित है.

जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में शैव संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला 16वीं शताब्दी का एक मंदिर है, जो सेंड स्टोन से निर्मित है. इसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित तो किया गया है, लेकिन उसकी देखभाल नहीं की गई. मंदिर की दीवारों में लगे पत्थरों पर कई मुद्राओं में देवी और देवताओं की प्रतिमा बनी हुई है जो टूटी हुई है.

शैव कालीन शिव मंदिर

16वीं शताब्दी का यह एतिहासिक शिव मंदिर बड़े-बड़े पत्थर की शिलाओं से निर्मित है. मंदिर की दीवारों, दरवाजों, खम्बों और छत की भीतरी और बाहरी सतह पर भी शानदार नक्काशी की गई है. इस नक्काशी से ही देवी-देवताओं की अनेक मुद्राओं में खूबसूरत प्रतिमा बनाई गई हैं, जो शैव और सनातन संस्कृति का इतिहास बताती हैं. एतिहासिक महत्व की इमारतों को सहेजने का काम पुरातत्व विभाग द्वरा किया जाना चाहिए, लेकिन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है.

Intro:मुरैना जिला ऐतिहासिक और पुरातात्विक सम्पदाओं से भरा पड़ा है । देश के कई शहर सिर्फ एक पूरा संपदा के बिद्यमान होने से दुनिया मे प्रसिद्ध हो गए , लेकिन मुरेना में जितने मोनीमेंट ऐतिहासिक और पुरातन महत्व के है , उतने शायद ही किसी के जिले में हो ,बाबजूद प्रशासन का इस और कोई ध्यान नही है । ऐसा ही एक शैव कालीन शिव मंदिर जिले के जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में स्थित है ।


Body:जौरा तहसील के ग्राम चांचुल में शैव संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला 16 वी शताब्दी एक मंदिर है जो सेंड स्टोन से निर्मित ऐतिहासिक महत्व का है । जिसे पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित तो किया गया है , किंतु उसकी देख भाल आज तक नही की गई ।मंदिर की दीवारों में लगे पत्थरों पर विभिन्न मुद्राओं में देवी देवताओं की प्रतिमा बानी है , जो टूटी फोटी है । कुछ लोग इसे मुश्लिम आताताइयों द्वारा नस्ट करना बात रहे है । तो कुछ लोग इसे समय के साथ सेंट स्टोन का क्षरण होना बात रहे है ।


Conclusion:16 वी सताब्दी के इस ऐतिहासिक शिव मंदिर बड़ी बड़ी पत्थर की शिलाओं से निर्मित है । मंदिर की दीवारों, दरवाजों , खम्बों और छत की भीतरी और बाहरी सतह पर भी शानदार नक्कासी की गई है ।इस नक्कासी में देवी देवताओं की प्रतिमा अनेक मुद्राओ में बनी है जो शैव और सनातन संस्कृति का इतिहास बताती है । इस ऐतिहासिक महत्व की इमारतो को सहेजना का काम पुरात्तव विभाग द्वरा किया जाना चाहिए लेकिन अभी तक कोई काम विभाग द्वारा नही किया गया ।
बाईट - जगदीश शुक्ला - अंचल के ऐतिहासिक स्थलों के जानकार
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