मुरैना। केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन 23 दिन से जारी है. इस कड़ी में एकता परिषद के भी दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन किया है और दिल्ली कूच कर दिया है. एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल बताया कि सरकार और किसान आंदोलनकारियों के बीच संवाद की प्रक्रिया बंद हो गई है इसलिए किसानों के समर्थन में संवाद करने के लिए किसी ना किसी को आगे आना पड़ेगा. एकता परिषद उस संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए किसानों के साथ सरकार से बातचीत करने के लिए दिल्ली जा रही हैं.
सामाजिक संगठन के साथ राजनीतिक दलों को भी होती है फंडिंग
विदेशी आर्थिक मदद से चल रहे किसान आंदोलन के सवाल पर कहा कि सामाजिक संगठन ही नहीं सभी राजनीतिक संगठनों को भी मिलता है. विदेश से फंड और इस बात की जानकारी सरकार के अलावा सभी राजनीतिक दलों के पास भी है, इसलिए इसमें कोई नई बात नहीं है, सरकार चाहे तो जांच कर सकती है.
मध्यस्थता का काम करेगी एकता परिषद
एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल उर्फ राजू भाई ने कहा कि पिछले 23 दिन से किसान आंदोलन दिल्ली बॉर्डर पर चल रहा है, लेकिन एक दो बार की वार्ता के बाद सरकार और किसान आंदोलनकारियों के बीच चल रहे संवाद बेनतीजा निकले और अब संवाद का ब्रेक डाउन हो गया है. यह आंदोलनकारियों और किसानों के हित में नहीं है. एकता परिषद ने निर्णय लिया है कि वह किसानों के समर्थन में मध्यस्थता करने के लिए आगे बढ़ेगी और सरकार और किसानों के बीच संवाद की प्रक्रिया को आगे बढ़ने का काम करेगी.
1000 किसानों ने दिल्ली किया कूच
एकता परिषद के नेतृत्व में महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से लगभग एक हजार किसानों ने एकता परिषद के नेतृत्व में दिल्ली के लिए कूच कर दिया है. जहां कांग्रेसी विधायकों सहित अन्य सामाजिक संगठनों के नेताओं ने किसानों को संबोधित किया. राजगोपाल किसानों से कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री के संसदीय क्षेत्र से जब किसान आंदोलन के लिए जाएंगे. तो पूरे देश में यह मैसेज जाएगा कि किसान आंदोलन केवल पंजाब और हरियाणा के किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश के किसानों का है. किसान कृषि मंत्री के क्षेत्र में भी तीन विधायक संतुष्ट नहीं है. इसलिए इस आंदोलन की शुरुआत मुरैना से की जा रही है.
एकता परिषद को उत्तर प्रदेश की सीमा में नहीं मिला प्रवेश
छत्तीसगढ़ के रायपुर से चलकर दिल्ली की ओर जाने वाली एकता परिषद के काफिले को झांसी और ललितपुर की सीमा में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रवेश नहीं दिया. मुरैना से पैदल मार्च के बाद 50 किलोमीटर की दूरी पर उन्हें उत्तर प्रदेश की सीमा लगने वाली है. ऐसे में वह दिल्ली तक कैसे पहुंचेंगे. इस पर राजगोपाल ने कहा अभी हम पैदल जा रहे हैं और अगर उत्तर प्रदेश सरकार हमें रोकेगी तो हम पैदल मार्च न करते हुए वाहनों के माध्यम से रास्ते बदल कर दिल्ली बॉर्डर तक जाएंगे और किसान आंदोलन को समर्थन करने के लिए वह शामिल होंगे.