मुरैना। बीते 12 मार्च को मुरैना जिला न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया था. इसमे प्रधान न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा के नेतृत्व में हिन्दू विवाह संबंधी 8 मामलों में अलग रह रहे दंपतियों का समझौता कराया था. इनमें से एक गणेशपुरा निवासी 28 वर्षीय शारदा जाटव पत्नी मनोज जाटव भी थी. अदालत ने पति और पत्नी से बात की और उनके बीच चल रहे मतभेदों को दूर कर मिलन करवा दिया. दोनों ने भविष्य में प्रेम से रहने की बात कही. लेकिन दो दिन बाद ही विवाहिता ने घर में फांसी लगा ली.
शादी के 9 साल बाद अलग हो गए थे
शारदा मूलतः बानमोर की रहने वाली थी. वर्ष 2010 में उसकी शादी मनोज जाटव के साथ हुई थी. शादी के बाद दोनों के दो बच्चे भी हुए, लेकिन आपसी खटपट के कारण वर्ष 2019 में दोनों अलग हो गए. पति से अलग होने के बाद शारदा अपने मायके में बानमोर रहने लगी. आरोप है कि शारदा के पति ने दूसरी महिला को रख लिया था. इस वजह से वह ठीक तरह से उसका ख्याल नहीं रखता है. यह मामला परिवार न्यायालय में चल रहा था.
सुसाइड नोट मिला, पुलिस कर रही है पड़ताल
नेशनल लोक अदालत में प्रधान न्यायाधीश सतीशचंद्र शर्मा ने पति-पत्नी की बात सुनने के बाद उनके बीच राजीनामा करा दिया था. राजीनामा होने के बाद शारदा अपने दोनों बच्चों को लेकर पति के साथ खुशी-खुशी ससुराल चली गई थी. सुलह होने के बाद दोनों ने एक साथ दो दिन भी पूरे नहीं गुजारे. सोमवार को शारदा ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली. शारदा ने किन कारणों के चलते फांसी लगाई, सिटी कोतवाली थाना पुलिस इसकी जांच कर रही.
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सुसाइड नोट में ससुराल वालों पर गंभीर आरोप
मृतका के परिजनों का कहना है कि अदालत से घर आने के बाद शारदा का पति समेत ससुराल पक्ष के लोगों से विवाद हुआ था. जेठ कल्लू जाटव का कहना था कि शारदा उसके खिलाफ लिखाई एफआइआर में राजीनामा दे. इस पर शारदा ने कहा कि उसे बीच बाजार पीटा गया, तब नहीं सोचा कि बहू पर हाथ नहीं उठाना चाहिए. इसलिए अब कल्लू के केस में राजीनामा नहीं करेगी. इस बात पर ससुराल के लोगों ने दबाव बनाया तो पति मनोज के घर से बाजार जाने के बाद उसने घर की पहली मंजिल के कमरे में छत के कुंदे से दुपट्टे का फंदा बनाकर फांसी लगा ली. महिला अपने पीछे 8 साल के बेटे व 5 साल की बेटी को छोड़ गई है.
(After compromise wife hanged herself)