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मिलावटखोरी के खिलाफ प्रशासन चल रहा डाल-डाल तो मिलावटखोर चल रहे पात-पात - मिलावटी कारोबार

लगातार प्रशासन की कार्रवाई के बावजूद मिलावट का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है. ये शहरी क्षेत्रों के अलावा ग्रामीण इलाके में भी अपनी जड़ें जमा चुका है.

मिलावटखोरों के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी
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Published : Oct 23, 2019, 11:58 PM IST

Updated : Oct 24, 2019, 12:07 AM IST

मुरैना। प्रशासन मिलावटखोर कारोबारियों के खिलाफ जितना सख्त नजर आ रहा है, कारोबारी भी प्रशासन पर उससे भारी नजर आते हैं, लगातार मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बावजूद, मिलावटखोरी दिन दूना रात चौगुना तरक्की पर है. इसकी जड़ें शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक फैला हुआ है.

मिलावट का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है

खाद्य सुरक्षा विभाग ने अभी तक लगभग 400 सैंपल लिए है. इनमें से 80 की जांच रिपोर्ट में 37 से ज्यादा सैंपल फेल पाए गए हैं. जिनके विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दायर किया गया है तो वहीं 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है, इसके अलावा चार पर रासुका लगाकर जेल भेज दिया गया है. खाद्य विभाग के मुताबिक मिलावट का धंधा दूध तक सीमित था, लेकिन मिलावटखोर खाद्य तेल, दाल, गुड़ और मसाले में अपना जाल फेंक रहे हैं.

खाद्य विभाग ने अभी तक जितनी भी कार्रवाई की है. उनमें मावा बनाने वालों के 8 सैंपल लिए गए तो वही सिंथेटिक दूध बनाने वालों के 888, घी के 26 नमूने और पनीर के 23, साथ ही दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों की संख्या 9 है.

मुरैना। प्रशासन मिलावटखोर कारोबारियों के खिलाफ जितना सख्त नजर आ रहा है, कारोबारी भी प्रशासन पर उससे भारी नजर आते हैं, लगातार मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करने के बावजूद, मिलावटखोरी दिन दूना रात चौगुना तरक्की पर है. इसकी जड़ें शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्र तक फैला हुआ है.

मिलावट का कारोबार थमने का नाम नहीं ले रहा है

खाद्य सुरक्षा विभाग ने अभी तक लगभग 400 सैंपल लिए है. इनमें से 80 की जांच रिपोर्ट में 37 से ज्यादा सैंपल फेल पाए गए हैं. जिनके विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दायर किया गया है तो वहीं 17 लोगों पर एफआईआर दर्ज कराई गई है, इसके अलावा चार पर रासुका लगाकर जेल भेज दिया गया है. खाद्य विभाग के मुताबिक मिलावट का धंधा दूध तक सीमित था, लेकिन मिलावटखोर खाद्य तेल, दाल, गुड़ और मसाले में अपना जाल फेंक रहे हैं.

खाद्य विभाग ने अभी तक जितनी भी कार्रवाई की है. उनमें मावा बनाने वालों के 8 सैंपल लिए गए तो वही सिंथेटिक दूध बनाने वालों के 888, घी के 26 नमूने और पनीर के 23, साथ ही दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों की संख्या 9 है.

Intro:शासन और प्रशासन मिलावट खोर कारोबारियों के खिलाफ जितना सत नजर आता है कारोबारी प्रशासन पर भारी नजर आते हैं क्योंकि लगातार हो रही कार्रवाइयों के बावजूद भी मिलावट का कारोबार दिन दूना रात चौगुना फैलता जा रहा है और इसकी जड़ें शहर से लेकर दूरदराज स्थित ग्रामीण क्षेत्र तक फैल चुके हैं । खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा कि वह कार्यवाही के तहत अभी तक लगभग 400 सैंपल इन की कार्यवाही की गई है इनमें से 80 की जांच रिपोर्ट सामने आई है जिनमें 37 से अधिक सैंपल फेल हो गए जिनके विरुद्ध न्यायालय में परिवाद दायर किए गए तो वहीं 17 लोगों पर f.i.r. कराई गई और चार पर रासुका लगाकर जेल भेजे गए। अभी तक यह दूध मिलावट का कारोबार खाद्य तेल और 22 तक सीमित था लेकिन अब यह दाल गुड़ और मसाले में भी फैलता नजर आ रहा है अभी हर रोज कैलाश में हुई कार्यवाही में नकली मसाले बनाने की फैक्ट्री पकड़ी गई यह साबित करती है कि प्रशासन की कार्यवाही महेश सरकार को आंकड़ों में कार्यवाही दिखाने के लिए की जाने वाली साबित हो रही है ।


Body:खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा जितनी कार्यवाही की गई हैं उनमें मावा बनाने वालों पर के 8 सैंपल लिए गए तो सिंथेटिक दूध बनाने वालों के 888 घी के 26 नमूने लिए गए पनीर के 23 एवं दूध से बनने वाले अन्य उत्पादों के संख्या 9 है इसके अलावा मिलावटी पदार्थों के 24 नमूने लिए गए हैं वही अपर द्रव्य पदार्थ पाए जाने वाले 219 नमूने पाए गए इन सभी को सैंपल इन की कार्यवाही कर जांच के लिए भेजा गया लेकिन लगभग 400 नमूनों में से सिर्फ 80 के जांच सामने आई है जिनमें से 37 नमूने फेल हुए और कार्यवाही सिर्फ चार पर हो सकी इसके पीछे का कारण यह है सरकार द्वारा मिलावट को रोकने के लिए कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया जो भी कानून बने हैं उनमें व्यवसायियों के हितों का ध्यान अधिक रखा गया है परिणाम स्वरूप सैंपल इन की कार्यवाही की रिपोर्ट अमानक पाए जाने पर या अमृत पाए जाने पर उनके खिलाफ प्रशासन सीधे कार्यवाही नहीं कर सकता बल्कि उसे अलग-अलग स्तर पर अपील करने के लिए समय दिया जाता है और इस प्रक्रिया के दौरान उसके कारोबार को भी प्रशासन द्वारा प्रभावित नहीं किया जा सकता ऐसी स्थिति में हवा मिलावट के कारोबार को लेकर लंबे समय चला सकता है और इसी का फायदा लगातार व्यापारी उठा रहे हैं ।


Conclusion:अभी तक जो 37 मामले अमानक और अप में सिर्फ पाए पाए गए उनमें से 32 प्रकरण एडीएम कार्यालय में प्रचलित हैं दो-तीन प्रकरण सीजीएम कार्यालय में विचाराधीन है । जब तक इनका निर्णय आएगा तब तक बरसो गुजर चुके होंगे और इस दौरान उनके कारोबार और तेज गति से अधिक मुनाफा कमाने की दृष्टि से मिलावट के साथ फलते फूलते रहेंगे । और और नागरिकों को खाद्य पदार्थों के माध्यम से धीमा जहर खाने के लिए बाजारों में मिलता रहेगा जो कैंसर और किडनी जैसी गंभीर बीमारियों को जन्म देने के लिए काफी है ।
बाईट 1 - डीके जैन - जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी मुरैना
बाईट 2 - विजय तिवारी - पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता मुरैना
Last Updated : Oct 24, 2019, 12:07 AM IST
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