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उपार्जन के तीन दिन शेष, 35 फीसदी किसानों की फसलों की नहीं हुई खरीदी - मुरैना के किसान परेशान

मुरैना में फसल खरीदी के तीन दिन शेष रह गए हैं. लेकिन अभी 35 फीसदी से ज्यादा किसानों की फसलों की खरीदी नहीं हुई है. लेकिन प्रशासन के पास फिलहाल बारदाने का अभाव है.

35% of farmers' crops were not purchased
35 फीसदी किसानों की फसलों की नहीं हुई खरीदी
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Published : May 29, 2020, 11:37 PM IST

मुरैना। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं और सरसों की खरीदी के मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं. जबकि अभी 35 फीसदी से अधिक किसानों की फसलों की खरीदी होना शेष है. ऐसी स्थिति में इन तीन दिनों में किसानों से खरीदी भी संभव नहीं है, क्योंकि ना तो जिला प्रशासन के पास बारदाने की व्यवस्था है और ना ही किसानों को बुलाने के लिए किसी तरह के मैसेज भेजे जा रहे हैं.

35 फीसदी किसानों की फसलों की नहीं हुई खरीदी

जिले में सरसों को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 21 हजार पांच सौ से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया था. जबकि गेहूं की बिक्री के लिए 19 हजार सात सौ से अधिक किसानों ने पंजीयन कर अपनी उपज बेचने का निर्णय लिया था.

खरीदी केंद्र को चालू हुए 40 दिन से अधिक दिन का समय हो गया और अब समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं. जबकि अभी तक समर्थन मूल्य पर 13 हजार पांच सौ पंद्रह किसानों ने अपनी सरसों की उपज बेची है और 14 हजार एक सौ निन्यानबे किसानों ने गेहूं की फसल बेची है. शेष 35 फीसदी किसान समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बिक्री के लिए शेष हैं. इसके अलावा लगभग पांच हजार किसान ऐसे हैं, जिनको 40 क्विंटल से अधिक फसल बेचनी है. लगभग पंद्रह हजार किसान अभी उपज बेचने के लिए मैसेज आने का इंतजार कर रहे हैं.

कलेक्टर ने बताया बारदाने का अभाव

जब इस बारे में सवाल कलेक्टर प्रियंका दास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बारदाने का अभाव है, जिसके लिए केंद्र सरकार से बात की गई है. पोर्टल की तकनीकी समस्या का समाधान हो गया है. ऐसे में सिर्फ तीन दिन में मैसज प्राप्त होने के बाद इन किसानों की उपज तुलाई संभव है.

मुरैना। जिले में समर्थन मूल्य पर गेहूं और सरसों की खरीदी के मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं. जबकि अभी 35 फीसदी से अधिक किसानों की फसलों की खरीदी होना शेष है. ऐसी स्थिति में इन तीन दिनों में किसानों से खरीदी भी संभव नहीं है, क्योंकि ना तो जिला प्रशासन के पास बारदाने की व्यवस्था है और ना ही किसानों को बुलाने के लिए किसी तरह के मैसेज भेजे जा रहे हैं.

35 फीसदी किसानों की फसलों की नहीं हुई खरीदी

जिले में सरसों को समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 21 हजार पांच सौ से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया था. जबकि गेहूं की बिक्री के लिए 19 हजार सात सौ से अधिक किसानों ने पंजीयन कर अपनी उपज बेचने का निर्णय लिया था.

खरीदी केंद्र को चालू हुए 40 दिन से अधिक दिन का समय हो गया और अब समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए मात्र तीन दिन शेष रह गए हैं. जबकि अभी तक समर्थन मूल्य पर 13 हजार पांच सौ पंद्रह किसानों ने अपनी सरसों की उपज बेची है और 14 हजार एक सौ निन्यानबे किसानों ने गेहूं की फसल बेची है. शेष 35 फीसदी किसान समर्थन मूल्य पर अपनी फसल बिक्री के लिए शेष हैं. इसके अलावा लगभग पांच हजार किसान ऐसे हैं, जिनको 40 क्विंटल से अधिक फसल बेचनी है. लगभग पंद्रह हजार किसान अभी उपज बेचने के लिए मैसेज आने का इंतजार कर रहे हैं.

कलेक्टर ने बताया बारदाने का अभाव

जब इस बारे में सवाल कलेक्टर प्रियंका दास से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बारदाने का अभाव है, जिसके लिए केंद्र सरकार से बात की गई है. पोर्टल की तकनीकी समस्या का समाधान हो गया है. ऐसे में सिर्फ तीन दिन में मैसज प्राप्त होने के बाद इन किसानों की उपज तुलाई संभव है.

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