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सोयाबीन फसल हुई बर्बाद, बीमा की निकली तारीख, किसानों की बढ़ी चिंता - Yellow Mosaic Disease

मंदसौर जिले में सोयाबीन की फसलों में पीला मोजेक रोग लगने से किसान काफी परेशान है. पहले फसल अच्छी होने से किसानों ने इस साल फसल बीमा भी नहीं कराया. लेकिन अब बीमारी लगने से सोयाबीन की फसल पूरी तरह से खराब हो गयी है, जबकि फसलों का बीमा कराने की तारीख भी निकल चुकी है. ऐसे में किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

Soybean crop
फसल में पीला मोजेक रोग का अटैक
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Published : Sep 12, 2020, 1:39 PM IST

मंदसौर। प्रदेश के मालवा इलाके के किसानों की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले साल भारी बारिश से पूरी फसल चौपट हो गई थी, वहीं इस साल सोयाबीन की फसल से उम्मीद लगाकर बैठे हजारों किसानों की फसलों को पीला मोजेट रोग ने जकड़ लिया. अभी तक किसानों को पिछले साल की चौपट हुई फसल का मुआवजा भी नहीं मिला है और इस साल भी फसल बर्बाद हो गयी. ऐसे में इस साल की बर्बादी से किसानों की चिंता बढ़ गयी है.

सोयाबीन की फसल में लगा रोग

किसानों की फसलों में लगा रोग

अचानक फसलों में आई बीमारी से किसानों के खेत में खड़ी फसलें चौपट हो गई है. जिससे एक तरफ तो किसान फसल से हाथ धो बैठे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ फसलों का बीमा कराने की तारीख निकल जाने से वे अब किसान बीमा के लाभ से भी चूक गए है.

Soybean crop
फसल में पीला मोजेक रोग का अटैक

पहले भी हुई थी बीज सड़ने से परेशानी

सोयाबीन बेल्ट माने जाने वाले मंदसौर जिले में इस साल करीब एक लाख 65 हजार हेक्टर जमीन में सोयाबीन की फसलें लगी हैं. जून महीने के आखिरी हफ्ते में दूसरी बार आए मानसून के दौरान यहां अधिकतर किसानों ने बीजों की बुवाई की थी, लेकिन शुरुआती दौर में ही कई किसानों को बीज सड़ने सड़ गए.

Soybean crop
फसल में लगा रोग

ये भी पढ़े- घर पर प्रसव होने से 141 नवजातों की मौत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों में हुआ खुलासा

फसल हुए अफलन के शिकार

जिले में दोबारा बुवाई के बाद अंकुरित हुई फसलें अल्प वर्षा के कारण अब तक ठीक हालत में खड़ी हुई थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते के दौरान कई खेतों में अचानक पीला मोजेक नामक वायरस का अटैक होने से फसल अफलन के शिकार हो गए हैं. वहीं एक ओर जहां कई पौधों में फल फूल नहीं लगे हैं और फसल खेतों में सूख ही गई है. दूसरी तरफ कई खेतों के पौधों में फल्लियां लगने के बाद रोग की चपेट में आने से उनमें दाने नहीं भर पाए हैं. इन हालातों में किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

Soybean crop
पौधें हुए पीले

फसल बीमा की निकली तारीख

पीड़ित किसानों ने कहा कि हफ्ते भर पहले तक फसलें सही सलामत खड़ी थी, जिसके कारण उन्होंने इस साल फसल बीमा नहीं करवाया है. वहीं अब फसलों में रोग लगने से किसान फसल बीमा लाभ से भी हाथ धो बैठे है. जिसके बाद पीड़ित किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

किसानों को सता रही फसलों की चिंता

मंदसौर जिले में इस साल सोयाबीन की बंपर पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मैदानी इलाके में अचानक आए रोग से अब उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. पीला मोजेक रोग ने कुछ खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है. अभी फसल कटाई में करीब दो हफ्ते का समय बाकी है, ऐसे में किसानों को इस बीमारी के बढ़ने की चिंता सता रही है.

ये भी पढ़े- खास बातचीत में बोले मंत्री राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, कहा- 50 हजार वोटों से जीतेंगे बदनावर उपचुनाव

कृषि विभाग ने भी जताई चिंता

इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी भी इन हालातों से काफी चिंतित है. वहीं विभाग के उपसंचालक डॉक्टर अजीत सिंह राठौर ने इस वायरस से उत्पादन प्रभावित होने वाली बात से इनकार किया है. हालांकि इलाके में तेजी से फैल रही इस बीमारी को देखते हुए उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सर्वे के निर्देश जारी कर दिए है.

किसानों को अब सरकार से मदद की आस

जिले में देरी से आए मानसून के कारण इस साल सोयाबीन की फसलों में किसानों को भारी लागत का सामना करना पड़ रहा है. फसल को रोगों से बचाने के लिए किसान कई तरह की महंगे दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में हरी भरी फसलों में अचानक वायरस आने से किसान बेबसी के शिकार हो गए हैं. ऐसे में सभी किसानों को अब सरकार से मदद की आस हैं.

मंदसौर। प्रदेश के मालवा इलाके के किसानों की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले साल भारी बारिश से पूरी फसल चौपट हो गई थी, वहीं इस साल सोयाबीन की फसल से उम्मीद लगाकर बैठे हजारों किसानों की फसलों को पीला मोजेट रोग ने जकड़ लिया. अभी तक किसानों को पिछले साल की चौपट हुई फसल का मुआवजा भी नहीं मिला है और इस साल भी फसल बर्बाद हो गयी. ऐसे में इस साल की बर्बादी से किसानों की चिंता बढ़ गयी है.

सोयाबीन की फसल में लगा रोग

किसानों की फसलों में लगा रोग

अचानक फसलों में आई बीमारी से किसानों के खेत में खड़ी फसलें चौपट हो गई है. जिससे एक तरफ तो किसान फसल से हाथ धो बैठे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ फसलों का बीमा कराने की तारीख निकल जाने से वे अब किसान बीमा के लाभ से भी चूक गए है.

Soybean crop
फसल में पीला मोजेक रोग का अटैक

पहले भी हुई थी बीज सड़ने से परेशानी

सोयाबीन बेल्ट माने जाने वाले मंदसौर जिले में इस साल करीब एक लाख 65 हजार हेक्टर जमीन में सोयाबीन की फसलें लगी हैं. जून महीने के आखिरी हफ्ते में दूसरी बार आए मानसून के दौरान यहां अधिकतर किसानों ने बीजों की बुवाई की थी, लेकिन शुरुआती दौर में ही कई किसानों को बीज सड़ने सड़ गए.

Soybean crop
फसल में लगा रोग

ये भी पढ़े- घर पर प्रसव होने से 141 नवजातों की मौत, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के आंकड़ों में हुआ खुलासा

फसल हुए अफलन के शिकार

जिले में दोबारा बुवाई के बाद अंकुरित हुई फसलें अल्प वर्षा के कारण अब तक ठीक हालत में खड़ी हुई थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते के दौरान कई खेतों में अचानक पीला मोजेक नामक वायरस का अटैक होने से फसल अफलन के शिकार हो गए हैं. वहीं एक ओर जहां कई पौधों में फल फूल नहीं लगे हैं और फसल खेतों में सूख ही गई है. दूसरी तरफ कई खेतों के पौधों में फल्लियां लगने के बाद रोग की चपेट में आने से उनमें दाने नहीं भर पाए हैं. इन हालातों में किसानों की परेशानी बढ़ गई है.

Soybean crop
पौधें हुए पीले

फसल बीमा की निकली तारीख

पीड़ित किसानों ने कहा कि हफ्ते भर पहले तक फसलें सही सलामत खड़ी थी, जिसके कारण उन्होंने इस साल फसल बीमा नहीं करवाया है. वहीं अब फसलों में रोग लगने से किसान फसल बीमा लाभ से भी हाथ धो बैठे है. जिसके बाद पीड़ित किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.

किसानों को सता रही फसलों की चिंता

मंदसौर जिले में इस साल सोयाबीन की बंपर पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मैदानी इलाके में अचानक आए रोग से अब उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. पीला मोजेक रोग ने कुछ खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है. अभी फसल कटाई में करीब दो हफ्ते का समय बाकी है, ऐसे में किसानों को इस बीमारी के बढ़ने की चिंता सता रही है.

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कृषि विभाग ने भी जताई चिंता

इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी भी इन हालातों से काफी चिंतित है. वहीं विभाग के उपसंचालक डॉक्टर अजीत सिंह राठौर ने इस वायरस से उत्पादन प्रभावित होने वाली बात से इनकार किया है. हालांकि इलाके में तेजी से फैल रही इस बीमारी को देखते हुए उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सर्वे के निर्देश जारी कर दिए है.

किसानों को अब सरकार से मदद की आस

जिले में देरी से आए मानसून के कारण इस साल सोयाबीन की फसलों में किसानों को भारी लागत का सामना करना पड़ रहा है. फसल को रोगों से बचाने के लिए किसान कई तरह की महंगे दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में हरी भरी फसलों में अचानक वायरस आने से किसान बेबसी के शिकार हो गए हैं. ऐसे में सभी किसानों को अब सरकार से मदद की आस हैं.

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