मंदसौर। प्रदेश के मालवा इलाके के किसानों की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. पिछले साल भारी बारिश से पूरी फसल चौपट हो गई थी, वहीं इस साल सोयाबीन की फसल से उम्मीद लगाकर बैठे हजारों किसानों की फसलों को पीला मोजेट रोग ने जकड़ लिया. अभी तक किसानों को पिछले साल की चौपट हुई फसल का मुआवजा भी नहीं मिला है और इस साल भी फसल बर्बाद हो गयी. ऐसे में इस साल की बर्बादी से किसानों की चिंता बढ़ गयी है.
किसानों की फसलों में लगा रोग
अचानक फसलों में आई बीमारी से किसानों के खेत में खड़ी फसलें चौपट हो गई है. जिससे एक तरफ तो किसान फसल से हाथ धो बैठे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ फसलों का बीमा कराने की तारीख निकल जाने से वे अब किसान बीमा के लाभ से भी चूक गए है.
पहले भी हुई थी बीज सड़ने से परेशानी
सोयाबीन बेल्ट माने जाने वाले मंदसौर जिले में इस साल करीब एक लाख 65 हजार हेक्टर जमीन में सोयाबीन की फसलें लगी हैं. जून महीने के आखिरी हफ्ते में दूसरी बार आए मानसून के दौरान यहां अधिकतर किसानों ने बीजों की बुवाई की थी, लेकिन शुरुआती दौर में ही कई किसानों को बीज सड़ने सड़ गए.
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फसल हुए अफलन के शिकार
जिले में दोबारा बुवाई के बाद अंकुरित हुई फसलें अल्प वर्षा के कारण अब तक ठीक हालत में खड़ी हुई थी, लेकिन पिछले एक हफ्ते के दौरान कई खेतों में अचानक पीला मोजेक नामक वायरस का अटैक होने से फसल अफलन के शिकार हो गए हैं. वहीं एक ओर जहां कई पौधों में फल फूल नहीं लगे हैं और फसल खेतों में सूख ही गई है. दूसरी तरफ कई खेतों के पौधों में फल्लियां लगने के बाद रोग की चपेट में आने से उनमें दाने नहीं भर पाए हैं. इन हालातों में किसानों की परेशानी बढ़ गई है.
फसल बीमा की निकली तारीख
पीड़ित किसानों ने कहा कि हफ्ते भर पहले तक फसलें सही सलामत खड़ी थी, जिसके कारण उन्होंने इस साल फसल बीमा नहीं करवाया है. वहीं अब फसलों में रोग लगने से किसान फसल बीमा लाभ से भी हाथ धो बैठे है. जिसके बाद पीड़ित किसानों ने सरकार से मदद की गुहार लगाई है.
किसानों को सता रही फसलों की चिंता
मंदसौर जिले में इस साल सोयाबीन की बंपर पैदावार का अनुमान लगाया जा रहा था, लेकिन मैदानी इलाके में अचानक आए रोग से अब उत्पादन प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है. पीला मोजेक रोग ने कुछ खेतों को अपनी चपेट में ले लिया है. अभी फसल कटाई में करीब दो हफ्ते का समय बाकी है, ऐसे में किसानों को इस बीमारी के बढ़ने की चिंता सता रही है.
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कृषि विभाग ने भी जताई चिंता
इस मामले में कृषि विभाग के अधिकारी भी इन हालातों से काफी चिंतित है. वहीं विभाग के उपसंचालक डॉक्टर अजीत सिंह राठौर ने इस वायरस से उत्पादन प्रभावित होने वाली बात से इनकार किया है. हालांकि इलाके में तेजी से फैल रही इस बीमारी को देखते हुए उन्होंने विभागीय अधिकारियों को सर्वे के निर्देश जारी कर दिए है.
किसानों को अब सरकार से मदद की आस
जिले में देरी से आए मानसून के कारण इस साल सोयाबीन की फसलों में किसानों को भारी लागत का सामना करना पड़ रहा है. फसल को रोगों से बचाने के लिए किसान कई तरह की महंगे दवाओं का इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसे में हरी भरी फसलों में अचानक वायरस आने से किसान बेबसी के शिकार हो गए हैं. ऐसे में सभी किसानों को अब सरकार से मदद की आस हैं.