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8 बार के सांसद को धूल चटाकर सियासी पारी शुरू करने वाली मीनाक्षी के पास हिसाब चुकाने का मौका

मंदसौर लोकसभा सीट से तीसरी बार लोकसभा चुनाव लड़ रही कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की करीबी मानी जाती है. 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने आठ बार के सांसद डॉ. लक्ष्मीनारायण पांडे को हराया था.

मंदसौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन
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Published : May 18, 2019, 12:21 AM IST

मंदसौर। दौर बदल रहा है, देश बदल रहा है, महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला रही हैं, बीते कुछ सालों में महिलाओं ने सियासी जगत में अलग मुकाम हासिल किया है. कांग्रेस की ऐसी ही एक महिला नेत्री पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं. जिसने 2009 के आम चुनाव में बीजेपी के सबसे मजबूत किले को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया था और पहली ही बार में आठ बार के सांसद रहे डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पाण्डेय को मैदान में चित कर सियासी कौशल का लोहा मनवाया था.

मंदसौर में लक्ष्मीनारायण पाण्डेय अंगद के पैर की तरह जमे थे, लेकिन युवा जोश से लबरेज मीनाक्षी के आगे वह टिक नहीं सके और 9वीं बार सांसद बनते-बनते रह गये. इस जीत ने मीनाक्षी को एक झटके में स्टार बना दिया. धीरे-धीरे वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आंखों का तारा बनती गयीं. अब उनकी गिनती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती है.

मंदसौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन का सियासी सफर

साधारण परिवार में जन्मीं मीनाक्षी नटराजन की गिनती प्रदेश कांग्रेस की ताकतवर महिलाओं में होती है. छात्र राजनीति से सियासी सफर की शुरुआत करने वाली मीनाक्षी नटराजन का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया, जब उन्हें कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब तक के उनके सियासी सफर पर नजर डालें तो...

कांग्रेस छात्र संगठन NSUI की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं
नेहरु युवा केंद्र की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पद पर रहीं
2009 में पहली बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ीं
8 बार सांसद रहे लक्ष्मीनारायण को हराकर सांसद बनीं
2014 के आम चुनाव में बीजेपी के सुधीर गुप्ता से हार गयीं
2019 में तीसरी बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं

मीनाक्षी नटराजन मालवाचंल सहित पूरे प्रदेश में महिला कांग्रेस का सबसे मजबूत स्तंभ बन चुकी हैं. 2014 के चुनाव में भले ही उन्हें बीजेपी प्रत्याशी सुधीर गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन नटराजन की पहली जीत के चलते उनकी सियासी समझ का लोहा आज भी कांग्रेस का हर दिग्गज मानता है. यही वजह है इस बार भी कांग्रेस ने उन्हें मंदसौर के सियासी दंगल में हिसाब बराबर करने का मौका दिया है. अब मीनाक्षी हार का हिसाब चुकता कर पाती हैं, या सुधीर दो एक से बढ़त बनाते हैं, इस पर फाइनल मुहर 23 मई को आने वाले नतीजे ही लगाएंगे.

मंदसौर। दौर बदल रहा है, देश बदल रहा है, महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला रही हैं, बीते कुछ सालों में महिलाओं ने सियासी जगत में अलग मुकाम हासिल किया है. कांग्रेस की ऐसी ही एक महिला नेत्री पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं. जिसने 2009 के आम चुनाव में बीजेपी के सबसे मजबूत किले को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया था और पहली ही बार में आठ बार के सांसद रहे डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पाण्डेय को मैदान में चित कर सियासी कौशल का लोहा मनवाया था.

मंदसौर में लक्ष्मीनारायण पाण्डेय अंगद के पैर की तरह जमे थे, लेकिन युवा जोश से लबरेज मीनाक्षी के आगे वह टिक नहीं सके और 9वीं बार सांसद बनते-बनते रह गये. इस जीत ने मीनाक्षी को एक झटके में स्टार बना दिया. धीरे-धीरे वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आंखों का तारा बनती गयीं. अब उनकी गिनती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती है.

मंदसौर लोकसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी मीनाक्षी नटराजन का सियासी सफर

साधारण परिवार में जन्मीं मीनाक्षी नटराजन की गिनती प्रदेश कांग्रेस की ताकतवर महिलाओं में होती है. छात्र राजनीति से सियासी सफर की शुरुआत करने वाली मीनाक्षी नटराजन का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया, जब उन्हें कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब तक के उनके सियासी सफर पर नजर डालें तो...

कांग्रेस छात्र संगठन NSUI की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं
नेहरु युवा केंद्र की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पद पर रहीं
2009 में पहली बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ीं
8 बार सांसद रहे लक्ष्मीनारायण को हराकर सांसद बनीं
2014 के आम चुनाव में बीजेपी के सुधीर गुप्ता से हार गयीं
2019 में तीसरी बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं

मीनाक्षी नटराजन मालवाचंल सहित पूरे प्रदेश में महिला कांग्रेस का सबसे मजबूत स्तंभ बन चुकी हैं. 2014 के चुनाव में भले ही उन्हें बीजेपी प्रत्याशी सुधीर गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन नटराजन की पहली जीत के चलते उनकी सियासी समझ का लोहा आज भी कांग्रेस का हर दिग्गज मानता है. यही वजह है इस बार भी कांग्रेस ने उन्हें मंदसौर के सियासी दंगल में हिसाब बराबर करने का मौका दिया है. अब मीनाक्षी हार का हिसाब चुकता कर पाती हैं, या सुधीर दो एक से बढ़त बनाते हैं, इस पर फाइनल मुहर 23 मई को आने वाले नतीजे ही लगाएंगे.

Intro:मंदसौर। मालवा इलाके की सबसे हाईप्रोफाइल मानी जाने वाली मंदसौर सीट पर इस चुनाव में भी कांग्रेस ने लगातार तीसरी बार राहुल गांधी की टीम में शामिल मीनाक्षी नटराजन को ही चुनावी मैदान में उतारा है। मीनाक्षी नटराजन पिछले 25 सालों से गांधी परिवार और राहुल गांधी की काफी करीबी नेता मानी जाती है। हालांकि जनप्रतिनिधित्व के क्षेत्र में मीनाक्षी नटराजन का कोई लंबा कैरियर नहीं है ।लेकिन पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव में मीनाक्षी नटराजन ने, मंदसौर सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा के कद्दावर नेता डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे को हराकर सीधे सांसद चुनी गई। मीनाक्षी नटराजन फिर से लगातार तीसरी बार चुनावी मैदान में हैं। आइए उनके राजनीतिक सफर पर डालते हैं, एक नजर.....


Body:ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के दूसरे दर्जे के बड़े नेताओं में शुमार मीनाक्षी नटराजन का जन्म 23 जुलाई 1973 को रतलाम के एक साधारण परिवार में हुआ। उनके पिता श्री ए आर नटराजन उज्जैन जिले के नागदा की ग्रेसिम इंडस्ट्रीज में नौकरी करते थे। मीनाक्षी नटराजन की प्रारंभिक शिक्षा रतलाम में ही हुई और वह शुरू से ही पढ़ने में काफी होनहार थी। शांत स्वभाव और कुशल वक्ता होने के कारण पिता ने उन्हें पोस्ट ग्रेजुएशन के बाद वकालत की पढ़ाई की भी सलाह दी।लिहाजा उन्होंने एलएलबी फर्स्ट क्लास श्रेणी में पास की ।इसके पहले मीनाक्षी नटराजन ने बायो केमिस्ट्री में भी अच्छे अंको से एमएससी पास की । राजनीति में रुचि होने के कारण ही कांग्रेस पार्टी ने उन्हें पढ़ाई के दौरान एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना और यहीं से उनके राजनीतिक जीवन की शुरूआत भी हुई। महिला राजनीति और कुशल नेतृत्व की क्षमता के कारण पार्टी ने उन्हें प्रदेश संगठन की कमान सौंपते हुए उन्हें यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पद का दायित्व सौंपा।इस पद पर रहकर पार्टी की साख बढ़ाने से ही अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उन्हें वापस केंद्रीय नेतृत्व की कमान सौंपते हुए उन्हें नेहरू युवा केंद्र की वाइस चेयरमैन के पद का भार सौंपा। इस दौरान मीनाक्षी नटराजन ने देश के तमाम राज्यों में भ्रमण कर पार्टी संगठन की भी काफी साख बढ़ाई ।इसके बाद वे पार्टी के दूसरे दर्जे के बड़े नेताओ की लाइन में शामिल होगई। पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय संगठन में नेतृत्व की कमान सौंपते हुए ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव पद का दायित्व सौंपा। गांधीवादी विचारधारा और सरल स्वभाव के जरिए ही पार्टी संगठन का ब खू बी नेतृत्व करने के कारण ही पार्टी ने उन्हें 2009 में पंद्रहवीं लोकसभा चुनाव के लिए पहली बार मंदसौर सीट से चुनावी मैदान में उतारा। इस चुनाव में उन्होंने संगठन के कार्यकर्ताओं के दम पर विपक्षी पार्टी भाजपा के दिग्गज नेता और 8 बाहर सांसद चुने गए डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पांडे को करीब सवा लाख वोटों से हराकर जीत हासिल की ।सांसद चुने जाने के बाद मीनाक्षी नटराजन ने सत्तारूढ़ पार्टी की कांग्रेस सरकार के दौरान, सदन में भी क्षेत्र की समस्याओं को उठाते हुए एक अच्छे सांसद का परिचय दिया। यही वजह रही कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के संगठन ने वर्ष 2014 के चुनाव में भी उन्हें दूसरी बार मौका देते हुए चुनावी मैदान में उतारा लेकिन भगवा लहर के चलते व विपक्षी पार्टी के प्रत्याशी सुधीर गुप्ता से 3 लाख 3 हजार से भी ज्यादा वोटों से हार गई। इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी ने उन्हें केंद्रीय संगठन में शामिल करते हुए राजीव गांधी पंचायती राज संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंपी। मीनाक्षी नटराजन पिछले 5 सालों से इस पद पर आसीन हैं और उन्होंने पार्टी संगठन के दायित्वों का बखूबी निर्वाह करते हुए संगठन की साख बढ़ाई। यही वजह है कि मीनाक्षी नटराजन राहुल गांधी की व्यक्तिगत टीम में शामिल नेता मानी जाती है। गांधीवादी और शांत स्वभाव की इस नेता को पार्टी ने इस बार भी इसी सीट से चुनाव मैदान में उतारा है।


विनोद गौड़ ,रिपोर्टर, मंदसौर


Conclusion:
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