मंदसौर। दौर बदल रहा है, देश बदल रहा है, महिलाएं भी हर क्षेत्र में पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिला रही हैं, बीते कुछ सालों में महिलाओं ने सियासी जगत में अलग मुकाम हासिल किया है. कांग्रेस की ऐसी ही एक महिला नेत्री पर पूरे प्रदेश की निगाहें टिकी हैं. जिसने 2009 के आम चुनाव में बीजेपी के सबसे मजबूत किले को ताश के पत्तों की तरह बिखेर दिया था और पहली ही बार में आठ बार के सांसद रहे डॉक्टर लक्ष्मी नारायण पाण्डेय को मैदान में चित कर सियासी कौशल का लोहा मनवाया था.
मंदसौर में लक्ष्मीनारायण पाण्डेय अंगद के पैर की तरह जमे थे, लेकिन युवा जोश से लबरेज मीनाक्षी के आगे वह टिक नहीं सके और 9वीं बार सांसद बनते-बनते रह गये. इस जीत ने मीनाक्षी को एक झटके में स्टार बना दिया. धीरे-धीरे वह पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की आंखों का तारा बनती गयीं. अब उनकी गिनती कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के करीबियों में होती है.
साधारण परिवार में जन्मीं मीनाक्षी नटराजन की गिनती प्रदेश कांग्रेस की ताकतवर महिलाओं में होती है. छात्र राजनीति से सियासी सफर की शुरुआत करने वाली मीनाक्षी नटराजन का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया, जब उन्हें कांग्रेस छात्र संगठन एनएसयूआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया था, जिसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा. अब तक के उनके सियासी सफर पर नजर डालें तो...
कांग्रेस छात्र संगठन NSUI की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
मध्यप्रदेश युवा कांग्रेस की अध्यक्ष रहीं
नेहरु युवा केंद्र की राष्ट्रीय अध्यक्ष रहीं
कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव पद पर रहीं
2009 में पहली बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ीं
8 बार सांसद रहे लक्ष्मीनारायण को हराकर सांसद बनीं
2014 के आम चुनाव में बीजेपी के सुधीर गुप्ता से हार गयीं
2019 में तीसरी बार मंदसौर से लोकसभा चुनाव लड़ रही हैं
मीनाक्षी नटराजन मालवाचंल सहित पूरे प्रदेश में महिला कांग्रेस का सबसे मजबूत स्तंभ बन चुकी हैं. 2014 के चुनाव में भले ही उन्हें बीजेपी प्रत्याशी सुधीर गुप्ता से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन नटराजन की पहली जीत के चलते उनकी सियासी समझ का लोहा आज भी कांग्रेस का हर दिग्गज मानता है. यही वजह है इस बार भी कांग्रेस ने उन्हें मंदसौर के सियासी दंगल में हिसाब बराबर करने का मौका दिया है. अब मीनाक्षी हार का हिसाब चुकता कर पाती हैं, या सुधीर दो एक से बढ़त बनाते हैं, इस पर फाइनल मुहर 23 मई को आने वाले नतीजे ही लगाएंगे.