मंदसौर। जिले का सरकारी अस्पताल इन दिनों कई कमियों का शिकार है. 500 बेड वाले इस अस्पताल में इलाज करने के लिए डॉक्टर नहीं हैं. वहीं दूसरी तरफ आधुनिक संसाधनों की भारी कमियों के कारण यहां मामूली बीमारी तक का इलाज नहीं हो पाता है. ऐसे में सरकारी अस्पताल से हरेक केस रेफर कर दिया जाता है.
अस्पताल में 62 डॉक्टरों की पोस्टिंग है, लेकिन फिलहाल यहां 11 डॉक्टर ही ड्यूटी कर रहे हैं. मेडिकल संसाधनों की कमी से डॉक्टर यहां इलाज करने से कतराते हैं. यहां की सोनोग्राफी और एक्स-रे मशीन अक्सर तकनीकी खराबी और ऑपरेटरों की कमी से बंद रहती है. वहीं दूसरी तरफ सीटी स्कैन और एमआरआई व्यवस्थाएं नहीं होने से मरीजों को बाहर रेफर कर दिया जाता है. जांच भी यहां की पैथोलॉजी के बदले मरीजों को भारी खर्च कर निजी संस्थानों से करवानी पड़ती है.
मंदसौर जिला अस्पताल मध्य प्रदेश के मालवा और सीमावर्ती राजस्थान के मेवाड़ इलाके का सबसे बड़ा हॉस्पिटल है. यहां आने वाले गंभीर मरीजों के इलाज के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने तीन साल पहले यहां एक आधुनिक ट्रॉमा सेंटर खोलने की मंजूरी दी थी, लेकिन विभाग के अधिकारियों की लापरवाही से ये अभी तक नहीं बन पाया है. जिला अस्पताल में कमियों की बात यहां के अधिकारी भी मानते हैं.