मंदसौर। ग्राम गोपालपुरा टैंक में वर्ष 1974 में जल संसाधन विभाग ने सिंचाई के एक तालाब का निर्माण करवाया था. इस तालाब की परिधि 8 किलोमीटर है. इस विशालकाय तालाब से दो नहरों के जरिए 9 गांवों की 4972 एकड़ जमीन में सिंचाई होती है. अक्टूबर महीने से ही ग्राम चचावदा, सोहनगढ़, डलमऊ, खेरखेड़ा गारीयां खेड़ी, लसूड़िया, कराडिया, पुनिया खेड़ी, और गोपालपुरा में नहरों के जरिए छोड़े गए पानी से यहां फसलें होती हैं. इस तालाब के निचले हिस्से में 45 परिवारों की एक बस्ती के लोग पिछले 48 सालों से नारकीय जीवन जी रहे हैं.
गांव में भर जाता है पानी : तालाब से रिसाव के कारण यहां एक फीट गहरे गड्ढे में ही पानी भर जाता है और करीब 8 महीने तक बस्ती में सीलन भरा माहौल रहता है. मार्च के आखिरी सप्ताह तक यहां यही हाल रहने से लोग ठंड के सीजन में ठिठुर कर रातें बिताते हैं. वहीं बारिश के दौरान दहशत में रहते हैं. इस मामले में यहां के लोगों द्वारा कलेक्टर कोर्ट में अपील के बाद सन् 1995 में एक आदेश पारित कर तालाब के ऊपरी हिस्से की शासकीय भूमि पर बस्ती को विस्थापित करने का फैसला दिया था.
अभी तक नहीं हुआ आदेश का पालन : इसके बाद भी तहसील के अधिकारियों द्वारा उस आदेश का आज तक पालन नहीं करने से यहां के लोग अभी भी बदहाली का जीवन ही जी रहे हैं. वहीं, मामला काफी पुराना होने से मंदसौर कलेक्टर पूरे मामले से बेखबर हैं. हालांकि उन्होंने जल्द ही कार्रवाई करने की बात कही है. MP Mandsaur Gopalpura village, Pond of Gopalpura village, Bad life of villagers