मंदसौर। प्राकृतिक आपदाओं के अलावा यहां राजनीतिक उथल-पुथल के साथ हत्याकांड जैसे जघन्य अपराध भी इस साल में हुए हैं. एक तरफ पिछले मानसून ने यहां खेती किसानी के कारोबार को तबाही में तब्दील कर दिया. वहीं दूसरी तरफ मंदसौर शहर में एक बड़े राजनेता और एक सर्राफा व्यापारी के अलावा एक हिंदू नेता की हत्या भी इसी साल हुई.
जनवरी महीने में नगरपालिका के पूर्व अध्यक्ष और बीजेपी नेता प्रहलाद बंधवार की गोली मारकर हुई हत्या से पूरा मालवा इलाका भयभीत हो गया था. इस मामले के आरोपी मनीष बैरागी की गिरफ्तारी के बाद मामूली रकम के पीछे हुए इस हत्याकांड ने लोगों में दहशत पैदा कर दी थी.
पिछली 17 जनवरी की शाम महू नीमच मार्ग स्थित एक चाय के रेस्टोरेंट पर अपने मित्र से मिलने गए. नगर पालिका अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार की शहर के नामी बदमाश मनीष बैरागी ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. घटना के 2 दिन बाद पुलिस ने आरोपी को राजस्थान के प्रतापगढ़ से गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस पूछताछ के बाद आरोपी ने महज 25 हजार रुपये की लेनदेन को लेकर बंधवार की हत्या करने का खुलासा किया था.
आरोपी मनीष बैरागी भी एक समय बीजेपी का कार्यकर्ता था और उसने बयानों के जरिए खुलासा किया था कि अध्यक्ष प्रहलाद बंधवार ने चुनाव प्रचार में उससे 2 लाख रुपए उधार लिए थे. इसमें से बकाया रकम 25000 उन्होंने नहीं लौटाई थी. इस एवज में वह कॉलेज रोड पर एक गुमटी नुमा दुकान लगाकर हिसाब किताब बराबर करना चाहता था, लेकिन अध्यक्ष के मना कर देने से उसने गुस्से में उन्हें मौत के घाट उतार दिया.
इस घटना के बाद से ही परिजनों ने परदे के पीछे किसी बड़े माफिया का हाथ होने की आशंका जताते हुए मामले की सीबीआई जांच की मांग की थी. परिजन वारदात के 2 दिन के भीतर ही मृतक का अस्थि कलश लेकर घंटाघर पर धरना देकर बैठ गए थे, लेकिन सरकार ने इसकी अनुमति ही नहीं दी. इस घटना को अब एक साल बीतने आया है, लेकिन परिजन की मांग पर सरकार ने आज तक भी कोई सुनवाई नहीं की है.
उधर सरकार के इस रवैये से नगरपालिका के बीजेपी जनप्रतिनिधियों और पार्टी नेताओं में खासा रोष है. मंदसौर एसपी हितेश चौधरी ने इसे सीबीआई जांच के मामले में इसे सरकार की मंशा बताते हुए मामले से पल्ला झाड़ लिया है.