Karwa Chauth Vrat 2022: करवा चौथ 2022 यानि कार्तिक मास का कृष्ण पक्ष और तिथि चतुर्थी. इस दिन ही चांद का दीदार कर करवा चौथ व्रत रखने और व्रत का पारण करने की परंपरा है. जाहिर तौर पर ये करवा चौथ उन जोड़ों के लिए काफी खास है जिनका विवाद इस साल हुआ है. उनमें उत्साह भी काफी ज्यादा है साथ ही व्रत के विधि विधान को लेकर कंफ्यूजन भी है कि क्या करें, क्या ना करें (dulhan first karwa chauth kya karen kya na karen). नवविवाहित महिलाएं अपने पति के लिए इस निर्जला व्रत को शुरु करने जा रही है. पति की लंबी उम्र के साथ वैवाहिक जीवन में सुख और संपन्नता के लिए वो चांद का दीदार होने तक इंतजार करेंगी. मगर इस साल का व्रत कुछ खगोलीय घटनाओं के चलते काफी अलग होने वाला है.
इस बार शुक्र ग्रह अस्ताचल है: (shukra grah ast hone ka prabhav) शुक्र के अस्त होने से किसी भी किस्म के व्रत और मांगलिक कार्यों को शुरु करने को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं. शुक्र के अस्त होने के कारण कई काम को लेकर कई तरह की बाध्यता है. शुभ कार्य जैसे गृह प्रवेश शामिल है, को लेकर पंड़ित ऐसा करने से मना कर रहे हैं. शुक्र इस साल 20 नवंबर, 2022 तक अस्त हैं ऐसे में जो लोग पहली दफा करवा चौथ करने जा रही हैं उन्हें कुछ खास बातों का ध्यान रखना होगा. कई कार्य इस दौरान वर्जित रहेंगे.
मध्य भारत के ज्योतिषाचार्य क्या कहते हैं: आचार्य शिव मल्होत्रा के मुताबिक करवा चौथ चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर बुधवार आधी रात से ही लग रही है और रात्रि 2.03 मिनट से शुरू होकर यह शुभ मुहुर्त 13 अक्टूबर गुरुवार रात 2.58 मिनट तक चलेगा. जाहिर है इस दौरान किया गया काम ही विशेष फलदायी होगा. इस दौरान ही व्रत का विधि विधान है. इससे इतर व्रत करना दोषपूर्ण माना जाएगा. करवा चौथ पर सुहागिनें निर्जला व्रत रखें, भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना करें. शाम में चांद का दीदार कर पारण करें और व्रत को खोलें. (karwa chauth kya karen kya na karen)
करवा चौथ के चांद का टाइम टेबल, सारिका ने बताया चांद को देखने का सही समय
नई नवेली दुल्हन क्या करें क्या ना करें: उन महिलाओं के लिए जिनकी शादी 2022 में हुई है उन्हे व्रत के दौरान कुछ खास बातों का ध्यान रखना है. इस माह में शुक्र अस्त हैं, मगर व्रत को सामान्य तरीके से रखें और पूरे विधि विधान का पालन करें. कोई भी चूक ना करें. व्रत में बताए गए सारे नियमों को पूरा करें अन्यथा उनके लिए यह भविष्य में अनिष्टकारी हो सकता है. अपनी मर्जी से व्रत के नियमों को ना तोड़ें. गौरा-गौरी की पूजा करें. शुक्र के अस्त होने के दौरान ही आपके लिए सबसे शुभकारी समय लेकर आएगा. किसी भी किस्म की बातों में आने की बजाए धर्म और मान्यताओं के मुताबिक ही इस लोकपर्व को करें. इसे स्किप करने की भूल ना करें.
Disclaimer: इस व्रत को लेकर जो भी बातें की गई हैं वो ज्योतिष के निजी आंकलन और गणना के मुताबिक है. Etv Bharat इसकी पुष्टि नहीं करता.
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