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दो साल बाद भी धूल फांक रहा ट्रामा सेंटर का निर्माण, मरीज हो रहे परेशान - मंदसौर ट्रामा सेंटर

मंदसौर के जिला अस्पताल में दो साल पहले शिवराज सरकार द्वारा दी गई ट्रामा सेंटर की सौगात आज भी धूल फांक रही है क्योंकि दो साल बाद भी ट्रामा सेंटर का काम पूरा नहीं हो सका है. जिससे मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.

दो साल बाद भी मंदसौर में अधूरा पड़ा ट्रामा सेंटर का काम
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Published : Jun 5, 2019, 8:48 PM IST

मंदसौर। शहर के जिला चिकित्सालय में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बनाया जा रहा ट्रामा सेंटर का काम अधूरा पड़ा है. जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है. दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस ट्रामा सेंटर के निर्माण कार्य को मंजूरी दी थी, लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये काम अधूरा पड़ा है.

दो साल बाद भी मंदसौर में अधूरा पड़ा ट्रामा सेंटर का काम

मंदसौर के 500 बेड वाले जिला अस्पताल में 62 डॉक्टरों की पोस्टिंग को मंजूरी मिली है, फिलहाल यहां केवल 24 डॉक्टर ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं. इस अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा होने और उपचार की सुविधाएं पर्याप्त नहीं होने से यहां पदस्थ डॉक्टर भी कुछ ही महीनों बाद नौकरी छोड़ देते हैं. अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए करीब दो करोड़ की लागत से सभी व्यवस्थाएं की जानी थी, लेकिन विधानसभा और लोकसभा की चुनावी प्रक्रियाओं के चलते स्वास्थ्य विभाग ने इस स्कीम के फंड को समय पर रिलीज नहीं किया. जिससे ये पूरा काम अधूरा पड़ा है.

इस मामले में बीजेपी नेता जहां प्रदेश की कमलनाथ सरकार को घेरते नजर आते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी की सरकार ने तो अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए ट्रामा सेंटर की सौगात दी थी. प्रदेश की कमलनाथ सरकार यहां विकास के लिए कोई काम ही नहीं कर रही है. जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. अस्पताल के सिविल सर्जन एके मिश्रा कहते हैं कि फंड की कमी के चलते ट्रामा सेंटर का काम तय समय में पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने चंदा इकट्ठा करके कुछ काम करवाया है, लेकिन उससे निर्माण का पूरा काम नहीं हो सकता. जिससे यही कहा जा सकता है कि प्रशासन और सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने से मंदसौर के इस ट्रामा सेंटर अस्पताल का काम लापरवाहियों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है.

मंदसौर। शहर के जिला चिकित्सालय में मरीजों के बेहतर इलाज के लिए बनाया जा रहा ट्रामा सेंटर का काम अधूरा पड़ा है. जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ता है. दो साल पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इस ट्रामा सेंटर के निर्माण कार्य को मंजूरी दी थी, लेकिन इतना समय बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते ये काम अधूरा पड़ा है.

दो साल बाद भी मंदसौर में अधूरा पड़ा ट्रामा सेंटर का काम

मंदसौर के 500 बेड वाले जिला अस्पताल में 62 डॉक्टरों की पोस्टिंग को मंजूरी मिली है, फिलहाल यहां केवल 24 डॉक्टर ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं. इस अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा होने और उपचार की सुविधाएं पर्याप्त नहीं होने से यहां पदस्थ डॉक्टर भी कुछ ही महीनों बाद नौकरी छोड़ देते हैं. अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए करीब दो करोड़ की लागत से सभी व्यवस्थाएं की जानी थी, लेकिन विधानसभा और लोकसभा की चुनावी प्रक्रियाओं के चलते स्वास्थ्य विभाग ने इस स्कीम के फंड को समय पर रिलीज नहीं किया. जिससे ये पूरा काम अधूरा पड़ा है.

इस मामले में बीजेपी नेता जहां प्रदेश की कमलनाथ सरकार को घेरते नजर आते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी की सरकार ने तो अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए ट्रामा सेंटर की सौगात दी थी. प्रदेश की कमलनाथ सरकार यहां विकास के लिए कोई काम ही नहीं कर रही है. जिससे मरीजों को परेशान होना पड़ रहा है. अस्पताल के सिविल सर्जन एके मिश्रा कहते हैं कि फंड की कमी के चलते ट्रामा सेंटर का काम तय समय में पूरा नहीं हो पा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने चंदा इकट्ठा करके कुछ काम करवाया है, लेकिन उससे निर्माण का पूरा काम नहीं हो सकता. जिससे यही कहा जा सकता है कि प्रशासन और सरकार द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिए जाने से मंदसौर के इस ट्रामा सेंटर अस्पताल का काम लापरवाहियों की भेंट चढ़ता नजर आ रहा है.

Intro: मंदसौर: जिला चिकित्सालय में मरीजों की बेहतर देखभाल के लिए मंजूर हुई कायाकल्प और ट्रामा सेंटर की सौगाते , प्रशासनिक लापरवाही के चलते अधर में लटक गई है ।मालवा इलाके के आखिरी छोर पर बसे ,इस जिले में आकस्मिक दुर्घटनाओं के शिकार हुए लोगों के तत्काल इलाज के लिए भी कोई व्यवस्था नही है।इस मामले में 2 साल पहले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा मंजूर की गई ट्रामा सेंटर की, सौगात भी स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के चलते लालफीताशाही की भेंट चढ़ गई है।


Body:500 मरीजों की भर्ती वाले इस बड़े अस्पताल में ,रिकार्ड के मुताबिक यहां 62 डॉक्टरों की पोस्टिंग स्वीकृत है ।लेकिन इन दिनों यहां केवल 24 डॉक्टर ही मरीजों का उपचार कर रहे हैं। इस अस्पताल में मरीजों की संख्या ज्यादा होने और उपचार की सुविधाएं पर्याप्त न होने से यहां पदस्थ होने वाले डॉक्टर भी,अक्सर कुछ ही महीनों बाद नौकरी छोड़ देते हैं। इस लिहाज से पश्चिम मालवा के सबसे बड़े इस अस्पताल में बेहतर सुविधाओं के लिए शासन ने 6 महीने पहले कायाकल्प स्कीम मंजूर की थी। करीब दो करोड़ की लागत से इस अस्पताल में रंग रोगन, बिजली उपकरण ,फर्नीचर,बिल्डिंग के रिपेयरिंग वर्क के अलावा आधुनिक टॉयलेट और छोटी मशीनों की व्यवस्था भी पूरी की जानी थी।लेकिन विधानसभा और लोकसभा की चुनावी प्रक्रियाओं के चलते स्वास्थ्य विभाग ने इस स्कीम का फंड समय पर रिलीज़ नहीं किया। लिहाजा यंहा की यह बड़ी स्कीम भी अधर में लटक गई है ।उधर अस्पताल प्रबंधन ने इस स्किम के शुरू होने के बाद, अधूरे पड़े कामों की पूर्ति के लिए यहां के दानदाताओं द्वारा कुछ राशियों की व्यवस्था कर छोटे-मोटे काम पूरे किए हैं। लेकिन निर्माण और उपकरणों संबंधी व्यवस्थाओं पर अभी तक कोई काम नहीं किया जा सका है ।


Conclusion:मंदसौर जिला ,नयागांव -लेबड़ फोर लाइन सड़क से भी जुड़ा होने के कारण यहां पिछले कुछ सालों के दौरान आकस्मिक दुर्घटनाओं की संख्याओं में भी तेजी से बढ़ोतरी हुई है। इस संबंध में त्वरित इलाज के लिए मंदसौर दौरे पर आए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने वर्ष 2017 में ही इस अस्पताल के लिए आधुनिक ट्रामा सेंटर की सौगात मंजूर की थी ।लेकिन स्वास्थ्य विभाग भोपाल के अधिकारी आज तक भी यहां ट्रामा सेंटर की जमीन का चयन नहीं कर पाए हैं। खास बात यह है कि इस संबंध में अस्पताल प्रबंधन ने दो बार शिशु और मेटरनिटी वार्ड के स्थान पर ट्रामा सेंटर बनाने का प्रस्ताव भी भेज दिया है ।लेकिन स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल के अधिकारियों द्वारा अभी तक भी इस स्कीम पर कोई पहल ना करने से यहां यह सौगात भी ठंडे बस्ते में चली गई है। सीमावर्ती जिले के इस बड़े हॉस्पिटल की बदहाली से,यंहा अब अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी भी परेशान है।
byte 1: हिम्मत डांगी ,भाजपा नेता, मंदसौर
byte 2:ए के मिश्र, सिविल सर्जन ,जिला अस्पताल मंदसौर



विनोद गौड़, रिपोर्टर, मंदसौर
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