मंदसौर। जिला अस्पताल में शनिवार को नारकोटिक्स पुलिस की अभिरक्षा में एक युवक की मौत हो गई थी. इसी को लेकर जिला अस्पताल में हंगामा चल रहा था तभी यहां पिपलिया मंडी के ग्राम स्थलों से गणपत गौतम को गंभीर हालत में परिजन जिला अस्पताल पहुंचे. यहां मरीज का 9 नंबर आपातकालीन वार्ड में उपचार किया और फिर अंदर कोविड-19 वार्ड में भेज दिया गया, लेकिन मरीज को ऑक्सीजन की जरूरत होने के बाद भी उसे ऑक्सीजन नहीं लगाई गई. थोड़ी देर बाद नर्सों ने मरीज को गंभीर बताकर परिजनों को यह कहते हुए रेफलर का कार्ड थमा दिया कि बाहर एंबुलेंस खड़ी हुई है लेकिन परिजन मरीज को स्ट्रैक्चर पर लेकर बाहर आए तो यहां एंबुलेंस नहीं मिली.
मौत के बाद किया 'पंपिंग'
कई देर तक वह मरीज को लेकर खड़े रहे. इसके बाद आखिरकार एंबुलेंस आई और उसमें मरीज को रखा गया कि उसके हाथ पैर ठंडे पड़ गए. आखिर में गुस्साया गणपत के पड़ोसी धर्मेंद्र सिंह, वापस उसे लेकर अस्पताल के आपातकालीन वार्ड नंबर 9 में लेकर गया. यहां स्वास्थ्यकर्मी और डॉ मनीषी मिण्डा ने उसे पंपिंग किया लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी.
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अस्पताल स्टाफ ने किया अनदेखा
युवक गणपत की पत्नी को जैसे ही पति की मौत की जानकारी मिली वह अस्पताल में ही सिर पटक-पटक कर रोने लगी. डीके शर्मा सहित अस्पताल के अन्य डॉक्टर और नर्स स्टाफ के साथ जिला पंचायत सीईओ रिषभ गुप्ता अस्पताल के कोविड वार्ड की व्यवस्थाओ का निरीक्षण कर रहे थे लेकिन किसी का ध्यान इस तरफ नहीं गया. बताया जा रहा है कि मरीज की मौत कोरोना संभावित होने के बाद समय पर उपचार नहीं मिलने के कारण हुई पर जांच नहीं होने के कारण साफ तौर पर यह कहना गलत होगा.
पोस्टमार्टम के लिए भटकते रहे परिजन
वहीं मृतक को लेकर अस्पताल आए धर्मेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि जिला अस्पताल में गणपत को आक्सीजन नहीं लगाई गई. नर्सिंग स्टाफ ने ऑक्सीजन खत्म होना बताकर उपचार करने की बजाय रेफर करने में जल्दी की. नतीजा यह रहा कि 10:30 बजे अस्पताल आने के बाद 11 बजे उसकी मौत हो गई. इसके बाद पोस्टमार्टम के लिए भी परिजनों को भारी मशक्कत करना पड़ी.