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कोरोना काल में कृषि से जुड़े उद्योग धंधे और कारोबार चौपट, मालिकों ने राज्य सरकार से लगाई मदद की गुहार

कोरोना काल में देश को आर्थिक रुप से भारी नुकसान उठाना पड़ा है. जिसे देखते हुए शासन ने उद्योग धंधों में छूट दी है, इसके बावजूद कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबार अब पूरी तरह चौपट हो गए हैं. जिसे लेकर मंदसौर जिले के कारोबारियों ने सरकार से आर्थिक मदद की गुहार लगाई है.

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Published : Jun 11, 2020, 1:24 PM IST

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कारोबार बंद से घाटे में कारोबारी

मंदसौर। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिक स्थिति और रोजगार की गतिविधियों में अधिक प्रभाव पड़ा है. जिसे देखते हुए शासन ने लॉक डाउन में ढील देकर उद्योग धंधों को फिर से शुरू करने की परमिशन तो जारी कर दी है, लेकिन कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबार अब पूरी तरह चौपट हो गए हैं.

कारोबार बंद से घाटे में कारोबारी

सबसे ज्यादा मार फसलों के विपणन और उनके पैकेजिंग करने के कारोबार से जुड़े उद्योग धंधों के मालिकों पर पड़ी है. करीब ढाई महीने से जारी लॉक डॉउन से उद्योग धंधों में माल की आवक-जावक जाम रही और लॉक डॉउन के बाद, अब मानसून पास आने से माल भी नहीं मिल पा रहा है. इन हालातों में कारोबारियों ने अपने उद्योग बंद कर दिए है, साथ ही जो कारोबारी धंधों को चला रहे हैं, वे भी भारी घाटे के शिकार हो रहे हैं.

कृषि उत्पाद कारोबारियों को काफी नुकसान

मसाला और औषधि फसलों के उत्पादन वाले जिले मंदसौर में कलौंजी ,चंद्रशुर, अलसी, धनिया और मेथी की भरपूर पैदावार होती है. इन तमाम कृषि उत्पादों की पूरे देश के अलावा खाड़ी देशों में भी भारी डिमांड है. इस लिहाज से यहां कृषि मंडियों में बिक्री के लिए आने वाली इन फसलों की पोस्ट हार्वेस्टिंग और उनके पैकेजिंग से भी सैकड़ों कारोबारी जुड़े हुए हैं.

कारोबार बंद से घाटे में कारोबारी

जिले में सार्टेक्स मशीनों के अलावा माल की क्लीनिंग और उनकी पैकिंग की कई इकाइयां स्थापित है. लॉकडॉउन की वजह से माल की कमी रही और ये तमाम कारोबार बंद हो गए. लगातार बंद के हालातों से कई कारोबारी भारी घाटे में चले गए हैं. कई कारोबारियों ने बैंकों से कर्ज लेकर अपनी इकाइयां स्थापित की है. ऐसे में तमाम मालिक कर्ज की मासिक किस्तों की अदायगी और बिजली बिल के अलावा मजदूरों और नौकरों के वेतन का भुगतान करने संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

कोरोबारियों ने राज्य सरकार से लगाई गुहार

लॉक डॉउन खत्म होने के बाद अब कुछ छूट मिली है, लेकिन मंडियों में फिर से माल नहीं मिलने से ये कारोबारी अभी भी अपने कारोबार को ठीक से नहीं चला पा रहे हैं. छोटे कारोबारियों ने बिजली बिल और ऋण में ब्याज पर छूट के अलावा टैक्स वसूली नहीं करने की भी राज्य सरकार से गुहार लगाई है.

अधिकारियों ने शासन को भेजे कारोबारियों के मांग पत्र

कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लॉकडाउन की चपेट में आए कारोबारियों के घाटे के हालात से उद्योग विभाग के अधिकारी भी खासी चिंता में हैं. विभागीय अधिकारी भी इलाके के कारोबारियों के भारी घाटे में होने की बात मान रहे हैं. टैक्स में छूट और बैंक ऋण की वसूली निरस्त करने के मामले में अधिकारियों ने भी शासन को कारोबारियों के मांग पत्र भेज दिए हैं.

कृषि उपज के विपणन और पैकेजिंग के कारोबार से जुड़े कारोबारी काफी मुश्किलों में अब दोबारा अपने कारोबार को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में एक तरफ उन्हें सरकार मदद करती है, तो निश्चित तौर पर ये इकाइयां जल्द जीवित होगी. वहीं दूसरी तरफ इन इकाइयों से जुड़े कई बेरोजगार श्रमिकों को भी रोजगार मिलेगा.

मंदसौर। कोरोना वायरस के चलते हुए लॉकडाउन के कारण देश की आर्थिक स्थिति और रोजगार की गतिविधियों में अधिक प्रभाव पड़ा है. जिसे देखते हुए शासन ने लॉक डाउन में ढील देकर उद्योग धंधों को फिर से शुरू करने की परमिशन तो जारी कर दी है, लेकिन कृषि उत्पादों से जुड़े कारोबार अब पूरी तरह चौपट हो गए हैं.

कारोबार बंद से घाटे में कारोबारी

सबसे ज्यादा मार फसलों के विपणन और उनके पैकेजिंग करने के कारोबार से जुड़े उद्योग धंधों के मालिकों पर पड़ी है. करीब ढाई महीने से जारी लॉक डॉउन से उद्योग धंधों में माल की आवक-जावक जाम रही और लॉक डॉउन के बाद, अब मानसून पास आने से माल भी नहीं मिल पा रहा है. इन हालातों में कारोबारियों ने अपने उद्योग बंद कर दिए है, साथ ही जो कारोबारी धंधों को चला रहे हैं, वे भी भारी घाटे के शिकार हो रहे हैं.

कृषि उत्पाद कारोबारियों को काफी नुकसान

मसाला और औषधि फसलों के उत्पादन वाले जिले मंदसौर में कलौंजी ,चंद्रशुर, अलसी, धनिया और मेथी की भरपूर पैदावार होती है. इन तमाम कृषि उत्पादों की पूरे देश के अलावा खाड़ी देशों में भी भारी डिमांड है. इस लिहाज से यहां कृषि मंडियों में बिक्री के लिए आने वाली इन फसलों की पोस्ट हार्वेस्टिंग और उनके पैकेजिंग से भी सैकड़ों कारोबारी जुड़े हुए हैं.

कारोबार बंद से घाटे में कारोबारी

जिले में सार्टेक्स मशीनों के अलावा माल की क्लीनिंग और उनकी पैकिंग की कई इकाइयां स्थापित है. लॉकडॉउन की वजह से माल की कमी रही और ये तमाम कारोबार बंद हो गए. लगातार बंद के हालातों से कई कारोबारी भारी घाटे में चले गए हैं. कई कारोबारियों ने बैंकों से कर्ज लेकर अपनी इकाइयां स्थापित की है. ऐसे में तमाम मालिक कर्ज की मासिक किस्तों की अदायगी और बिजली बिल के अलावा मजदूरों और नौकरों के वेतन का भुगतान करने संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं.

कोरोबारियों ने राज्य सरकार से लगाई गुहार

लॉक डॉउन खत्म होने के बाद अब कुछ छूट मिली है, लेकिन मंडियों में फिर से माल नहीं मिलने से ये कारोबारी अभी भी अपने कारोबार को ठीक से नहीं चला पा रहे हैं. छोटे कारोबारियों ने बिजली बिल और ऋण में ब्याज पर छूट के अलावा टैक्स वसूली नहीं करने की भी राज्य सरकार से गुहार लगाई है.

अधिकारियों ने शासन को भेजे कारोबारियों के मांग पत्र

कोरोना वायरस संक्रमण के दौरान लॉकडाउन की चपेट में आए कारोबारियों के घाटे के हालात से उद्योग विभाग के अधिकारी भी खासी चिंता में हैं. विभागीय अधिकारी भी इलाके के कारोबारियों के भारी घाटे में होने की बात मान रहे हैं. टैक्स में छूट और बैंक ऋण की वसूली निरस्त करने के मामले में अधिकारियों ने भी शासन को कारोबारियों के मांग पत्र भेज दिए हैं.

कृषि उपज के विपणन और पैकेजिंग के कारोबार से जुड़े कारोबारी काफी मुश्किलों में अब दोबारा अपने कारोबार को शुरू करने की तैयारी कर रहे हैं. ऐसे में एक तरफ उन्हें सरकार मदद करती है, तो निश्चित तौर पर ये इकाइयां जल्द जीवित होगी. वहीं दूसरी तरफ इन इकाइयों से जुड़े कई बेरोजगार श्रमिकों को भी रोजगार मिलेगा.

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