मण्डला। डिंडौरी रोड पर बना यह दुर्गा पंडाल बहुत खास है क्योंकि यहां दुर्गा जी के पूरे 9 रूपों के दर्शन एक ही पंडाल में हो जाते हैं. यहां माता के सभी रूपों का श्रृंगार ठीक उसी तरह होता है जैसा कि दुर्गा पुराण या दुर्गा सप्तशती में वर्णन किया गया है. पहली नजर में तो इस पंडाल की सुंदरता और भव्यता सभी को आकर्षित करती है लेकिन पास में जाकर ध्यान से देखने पर इन माताओं की पलकें भी झपकती दिखाई देती हैं.
यहां बिराजी है दुर्गा जी की नव रूप माताएं जो हंसती भी हैं, मुस्कुराती भी हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद भी देती हैं. लेकिन कठिन साधना ऐसी कि पहली नजर में जो भी देखे यही कहे कि ये सब दूसरी दुर्गा प्रतिमाओं की तरह ही माटी की मूरत हैं, जिन्हें किसी कलाकार की कल्पना ने अपने हाथों से गढ़ा है.
सजीव रूप में विराजी हैं माता
श्रद्धालु यहां माता के 9 रूपों की प्रतिमाओं के दर्शनों के लिए आते हैं लेकिन इन माताओं की पलक झपकने से अहसास होता है कि यहां तो सजीव रूप में दुर्गा की स्थापना की गई है. जब ईटीवी भारत की टीम भी इस पंडाल मे पहुंची, तो टीम ने पलक झपकाती दुर्गा जी का इंटरव्यू भी ले लिया. इंटरव्यू में पता चला कि यह कठिन साधना का नतीजा है जो लगभग चार घण्टे बिना हिले डुले 9 कन्याएं यहां रोज ही पूरे श्रंगार के साथ बैठती हैं.
अभ्यास से आयी सहनशीलता
ये कन्याएं महीनों से एकाग्र होकर बिना हिले डुले बैठने का अभ्यास कर रहीं थीं और फिर दुर्गापर्व में इस अभ्यास के सहारे पूरे चार घण्टे तक एक ही स्थान पर माता के अलग-अलग रूपों में यहां बैठ रही हैं. इन माता का रूप धरने वाली बहनों में कोई पढ़ाई करता है तो कोई ऑफिस में जॉब, लेकिन शाम होते ही वे यहां पहुंचकर पहले पूरा श्रंगार कराती हैं फिर अस्त्र शस्त्र और वाधय यंत्रों के साथ एक ही मुद्रा में घण्टों बैठ कर सभी को मातारानी के हर एक रूप के दर्शन देती हैं.
भारतीय योग साधना के अभ्यास का लोहा दुनिया ने माना है और योग साधना का इस से बढ़ा और कोई उदाहरण हो ही नहीं सकता कि अपने तन और मन के साथ ही प्राकृतिक क्रियाओं को वश में करके ये देवियां ऐसा मोहक दृश्य प्रस्तुत कर रहीं की हर कोई इन्हें अपलक निहारने के साथ ही तारीफ किये बिना रह ही नहीं पाता.