मंडला। चिलचिलाती घूप में पानी की एक एक बूंद के लिये भटकते लोग, खाली पड़ा कुंआ, सूख चुके हैंडपंप, ये हालात जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर बसे बकोरा गांव के हैं. बकोरा गांव की तस्वीर रेगिस्तान की याद दिला रही है. पानी के लिये गांव में हाहाकार मचा है. जलसंकट गहराने से यहां के युवकों की शादी नहीं हो रही है.
गांव में पानी के लिए हाहाकार, युवकों की नहीं हो रही शादी - नल खाली
मंडला के बकोरा गांव में जलकंट गहराया है. लोग पानी की एक-एक बंद के लिये तरस रहे हैं.
पानी की समस्या
मंडला। चिलचिलाती घूप में पानी की एक एक बूंद के लिये भटकते लोग, खाली पड़ा कुंआ, सूख चुके हैंडपंप, ये हालात जिला मुख्यालय से महज 18 किलोमीटर दूर बसे बकोरा गांव के हैं. बकोरा गांव की तस्वीर रेगिस्तान की याद दिला रही है. पानी के लिये गांव में हाहाकार मचा है. जलसंकट गहराने से यहां के युवकों की शादी नहीं हो रही है.
Intro:मण्डला का एक गाँव ऐसा है जहाँ के दर्जन भर युवकों की शादी की उम्र निकल चुकी है इनके परिवार वाले जहाँ भी लड़की की तलाश में जाते हैं उन्हें मायूसी ही हाथ लगती है जिसका कारण है इस गाँव मे पानी का भीषण आभाव,यहाँ के निवासी बूँद बूँद पानी के साथ ही रिस्तेदारी जोड़ने को भी तरस रहे हैं।
Body:संतोष की समस्या यह है कि 32 साल से ज्यादा की उम्र पार करने के बाद भी उनकी शादी नहीं हो रही,मीना बाई का परिवार भी अपने दो भांजों की शादी के लिए पिछले तीन चार सालों से लड़कियों की तलाश में है लेकिन जहाँ जाते हैं उन्हें हर कोई अपनी लड़की इस गाँव मे देने से मना कर देता है,प्रशांत पटेल के पिता भी बहु खोज कर हार गए और शरद रघुवंशी को प्रदेश से बाहर झारखंड से अपने भाई के लिए पत्नी लाना पड़ा,ऐसे ही दर्जनों युवक हैं जो मण्डला जिंला मुख्यालय के करीबी ग्राम बकोरा के ऊपरी कॉलोनी के निवासी हैं जिनकी शादी की उम्र निकल चुकी है लेकिन इनकी तलाश अब भी जारी है इनके परिवार वाले भी हलाकान हैं क्योंकि इस गाँव मे कोई भी अपनी लडक़ी का ब्याह करना ही नहीं चाहता जिसका कारण है हर मौषम में यहाँ रहने वाला पानी का भीषण संकट,जो गर्मी में इतना विकराल रूप धर लेता है कि आप किसी के भी घर बैठने जाएँ आपको कोई एक गिलास पानी तक के लिए नहीं पूछेगा।यहाँ रहने वाले करीब सौ परिवारों का कहना है कि इस टोले में 2 हेण्डपम्प और एक कुँआ है जो गर्मी की आहट के पहले ही सूख जाते हैं ऐसी इस्थिति में उन्हें घाट से नीचे जाकर पानी भरना पड़ता है और एक किलोमीटर से ज्यादा चढ़ाई कर लाना पड़ता है,उनकी यह समस्या इतनी विकराल हो चुकी है की इसके चलते शासन को छोड़ सभी जगह इस समस्या के चर्चे हैं और इस समस्या के कारण इस गाँव मे कोई भी रिस्तेदारी जोड़ने को तैयार ही नहीं होता,क्योंकि हर माँ बाप कम से कम ये तो सोचते हैं कि उनकी लड़की को पानी का सुख तो मिले ,इसके अलावा भी और समस्याएं है जो पानी के चलते यहाँ अपने ही आप जन्म ले चुकी है जिसमें खुले में शौचालय जाना,बच्चों का आठवीं के आगे न पढ़ पाना और पानी के इंतजाम में लगे रहने के चलते समय पर मजदूरी के लिए न जा पाने के कारण गरीबी से घिरते जाना ।
Conclusion:पानी की समस्या को लेकर पत्र और आवेदन, निवेदन का नतीजा हमेसा सर्वे के अलावा कुछ नहीं रहता पानी की टंकी भी लगी,बोरिंग भी खोदी गयी लेकिन हुआ कुछ नहीं,वहीं एसडीएम को दिए गए आवेदन के बाद एक बोरिंग पुराने हेण्डपम्प के पास की गई जो 4 सौ फीट होने के बाद सूख चुका है लेकिन इसे लापरवाही के अलावा सरकारी रुपयों की बर्वादी ही कहा जाएगा कि 350 फिट नई बोरिंग खोदी गयी,सर्वे अब भी हो रहे है लेकिन कब इन ग्रामीणों को पानी मिलेगा यह पता नहीं,वहीं लोगों के बहु के सपने और युवाओं की गृहस्ती कब बसेगी और कब लोग यहाँ अपनी बेटियों को ब्याहने के लिए होंगे तैयार,यह यक्ष प्रश्न जस के तस बना हुआ है।
बाईट--संतोष,कुँवारा
बाईट--मीना बाई,भांजों के लिए बहु की तलाश में
बाईट--सोहाराम पटेल,प्रशांत के पिता
बाईट--आर एन मरकाम,पीसीओ
पी टू सी मंयक तिवारी
Body:संतोष की समस्या यह है कि 32 साल से ज्यादा की उम्र पार करने के बाद भी उनकी शादी नहीं हो रही,मीना बाई का परिवार भी अपने दो भांजों की शादी के लिए पिछले तीन चार सालों से लड़कियों की तलाश में है लेकिन जहाँ जाते हैं उन्हें हर कोई अपनी लड़की इस गाँव मे देने से मना कर देता है,प्रशांत पटेल के पिता भी बहु खोज कर हार गए और शरद रघुवंशी को प्रदेश से बाहर झारखंड से अपने भाई के लिए पत्नी लाना पड़ा,ऐसे ही दर्जनों युवक हैं जो मण्डला जिंला मुख्यालय के करीबी ग्राम बकोरा के ऊपरी कॉलोनी के निवासी हैं जिनकी शादी की उम्र निकल चुकी है लेकिन इनकी तलाश अब भी जारी है इनके परिवार वाले भी हलाकान हैं क्योंकि इस गाँव मे कोई भी अपनी लडक़ी का ब्याह करना ही नहीं चाहता जिसका कारण है हर मौषम में यहाँ रहने वाला पानी का भीषण संकट,जो गर्मी में इतना विकराल रूप धर लेता है कि आप किसी के भी घर बैठने जाएँ आपको कोई एक गिलास पानी तक के लिए नहीं पूछेगा।यहाँ रहने वाले करीब सौ परिवारों का कहना है कि इस टोले में 2 हेण्डपम्प और एक कुँआ है जो गर्मी की आहट के पहले ही सूख जाते हैं ऐसी इस्थिति में उन्हें घाट से नीचे जाकर पानी भरना पड़ता है और एक किलोमीटर से ज्यादा चढ़ाई कर लाना पड़ता है,उनकी यह समस्या इतनी विकराल हो चुकी है की इसके चलते शासन को छोड़ सभी जगह इस समस्या के चर्चे हैं और इस समस्या के कारण इस गाँव मे कोई भी रिस्तेदारी जोड़ने को तैयार ही नहीं होता,क्योंकि हर माँ बाप कम से कम ये तो सोचते हैं कि उनकी लड़की को पानी का सुख तो मिले ,इसके अलावा भी और समस्याएं है जो पानी के चलते यहाँ अपने ही आप जन्म ले चुकी है जिसमें खुले में शौचालय जाना,बच्चों का आठवीं के आगे न पढ़ पाना और पानी के इंतजाम में लगे रहने के चलते समय पर मजदूरी के लिए न जा पाने के कारण गरीबी से घिरते जाना ।
Conclusion:पानी की समस्या को लेकर पत्र और आवेदन, निवेदन का नतीजा हमेसा सर्वे के अलावा कुछ नहीं रहता पानी की टंकी भी लगी,बोरिंग भी खोदी गयी लेकिन हुआ कुछ नहीं,वहीं एसडीएम को दिए गए आवेदन के बाद एक बोरिंग पुराने हेण्डपम्प के पास की गई जो 4 सौ फीट होने के बाद सूख चुका है लेकिन इसे लापरवाही के अलावा सरकारी रुपयों की बर्वादी ही कहा जाएगा कि 350 फिट नई बोरिंग खोदी गयी,सर्वे अब भी हो रहे है लेकिन कब इन ग्रामीणों को पानी मिलेगा यह पता नहीं,वहीं लोगों के बहु के सपने और युवाओं की गृहस्ती कब बसेगी और कब लोग यहाँ अपनी बेटियों को ब्याहने के लिए होंगे तैयार,यह यक्ष प्रश्न जस के तस बना हुआ है।
बाईट--संतोष,कुँवारा
बाईट--मीना बाई,भांजों के लिए बहु की तलाश में
बाईट--सोहाराम पटेल,प्रशांत के पिता
बाईट--आर एन मरकाम,पीसीओ
पी टू सी मंयक तिवारी