मंडला। कोरोना संकट को मात देने के लिए देश भर में लॉकडाउन लगा है, जिससे लोगों के जीवन पर खासा असर पड़ा है. खाने पीने की समस्यओं से लेकर रहने और जीविका पर संकट आ खड़ा हुआ है, ऐसे में हमारे देश में कोरोना वॉरियर्स और समाजसेवी समाज को आगे बढ़ाने का काम कर रहे है. ऐसे ही एक युवक हैं, पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले अंचल राय, जो घर-घर जाकर लोगों को पेंशन मुहैया करा रहे हैं.
गुहरी उइके इतनी बुजुर्ग हो चुकी की चल-फिर भी नहीं सकतीं, रमेश प्रसाद की दोनों आंखों में ज्योति ही नहीं. सुमंत्री बाई बिस्तर पर ही अपने आखरी पड़ाव पर हैं. जिनके लिए सरकार द्वारा मिलने वाली पेंशन आखिरी सहारे से कम नहीं, लेकिन जब ये राशि इन तक लॉकडाउन के चलते न पहुंचे तो किस काम की. क्योंकि यही वो समय है जब इसकी उन्हें सबसे ज्यादा जरूरत है. ऐसे में इनके पास पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले अंचल राय जब पेंशन की राशि लेकर पहुंचते हैं तो किसी फरिस्ते से कम नज़र नहीं आते.
लोग चाहें तो समाजसेवा के बहुत से रूप हो सकते हैं फिर चाहे तो सरकारी पद में भी रहकर जरूरतमंदों की सेवा की जा सकती है. कुछ यही कर रहे हैं पोस्ट ऑफिस में काम करने वाले अंचल राय जो बिना फोटो खिंचाए और और सोशल मीडिया में बिना अपडेट किये उन जरूरतमंदों के घर तक पहुंच रहे जो बीमार और लाचार हैं या उम्र के उस पड़ाव पर हैं कि बैंक या पोस्ट ऑफिस तक निराश्रित,सामाजिक सुरक्षा या वृद्धावस्था पेंशन नहीं लेने जा सकते और उन्हें मदद दे रहे हैं.
दूसरी तरफ टोटल लॉकडाउन के चलते कोई आवागमन के साधन न होने से इन पर मुसीबतों का जैसे पहाड़ से टूट पड़ा है. घर की जरूरत पूरी करनी हैं और पास में पैसे नहीं. ऐसे लोगों की मदद के लिए डोर स्टेप बैंकिंग के तहत लोगों के घर जाकर इन्हें पेंशन की राशि दे रहे हैं.
कहने को तो ये सरकारी ड्यूटी हो सकती है लेकिन जरूरत के समय बुजुर्ग और लाचार जरूरतमन्दों तक विपरीत परिस्थितियों में कोरोना महामारी के खतरे के बीच अंचल राय ये जो काम कर रहे है. ऐसे कोरोना योद्धा के लिए भी एक सेल्यूट जरूर बनता है.