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मंडला: महंगाई ने तोड़ी मूर्तिकारों की कमर, मेहनताना भी निकलना हुआ मुश्किल

प्रशासन ने पीओपी की मूर्तियां बनाने पर रोक लगा दी है, जिसका असर मूर्तिकारों के धंधे पर पड़ रहा है. मिट्टी की मूर्तियों को बनाने में उतनी ही मेहनत लगती है, लेकिन पीओपी के मुकाबले इसकी कीमत कम होती है.

मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों का दर्द
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Published : Aug 24, 2019, 5:35 PM IST

मण्डला। गणेश उत्सव आने में कुछ दिन बाकी हैं. ऐसे में मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों का दर्द सामने आ रहा हैं, मूर्तिकारों का कहना है कि एक तो कच्चे सामानों के दाम बढ़ गए है, ऊपर से प्रशान प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां को बैन करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है, जिससे इन कलाकरों को वो कीमत नहीं दिला पाती जितनी लागत और मेहनत मिट्टी की मूर्तियों को बनाने में लगती है.

मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों का दर्द
गणेशउत्सव की शुरुआत होने वाली है, लेकिन प्रशासन के द्वारा अब तक पीओपी की मूर्ति स्थापना की मनाही के आदेश जारी नहीं हुए हैं. ऐसे में मिट्टी की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को यह चिंता सताने लगी है कि सस्ती कीमत में बनने वाली प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां उनकी मेहनत पर पानी न फेर दें, वैसे भी मिट्टी की मूर्ति बनाने में लगने वाली लकड़ियों,भूसा,मिट्टी और रंग रोगन की कीमत आसमान छू रही है और मुश्किल से कलाकारों का मेहनताना निकल पा रहा है, ग्राहक मूर्तियों को सस्ते दामों पर ही खरीदना चाहते हैं, जिसके चलते पीओपी की मूर्तियां आसानी से बिक जाती हैं.

पीओपी की मूर्तियों से जल प्रदूषण का खतरा बहुत ज्यादा होता है साथ ही ये पानी मे विसर्जन के बाद घुलती नहीं जबकि ये मूर्तिकारों के द्वारा बनाने में आसान,कम लागत,और मिट्टी की मूर्तियों की अपेक्षा सफाई से बनाई जा सकती हैं,ग्राहक इन्हें कम कीमत और मजबूती के चलते पसन्द करते हैं, ऐसे में मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने वालों को व्यापार में घाटा सहना पड़ सकता है.

मण्डला। गणेश उत्सव आने में कुछ दिन बाकी हैं. ऐसे में मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों का दर्द सामने आ रहा हैं, मूर्तिकारों का कहना है कि एक तो कच्चे सामानों के दाम बढ़ गए है, ऊपर से प्रशान प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां को बैन करने के लिए कुछ नहीं कर रहा है, जिससे इन कलाकरों को वो कीमत नहीं दिला पाती जितनी लागत और मेहनत मिट्टी की मूर्तियों को बनाने में लगती है.

मिट्टी की मूर्तियां बनाने वाले कलाकारों का दर्द
गणेशउत्सव की शुरुआत होने वाली है, लेकिन प्रशासन के द्वारा अब तक पीओपी की मूर्ति स्थापना की मनाही के आदेश जारी नहीं हुए हैं. ऐसे में मिट्टी की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को यह चिंता सताने लगी है कि सस्ती कीमत में बनने वाली प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां उनकी मेहनत पर पानी न फेर दें, वैसे भी मिट्टी की मूर्ति बनाने में लगने वाली लकड़ियों,भूसा,मिट्टी और रंग रोगन की कीमत आसमान छू रही है और मुश्किल से कलाकारों का मेहनताना निकल पा रहा है, ग्राहक मूर्तियों को सस्ते दामों पर ही खरीदना चाहते हैं, जिसके चलते पीओपी की मूर्तियां आसानी से बिक जाती हैं.

पीओपी की मूर्तियों से जल प्रदूषण का खतरा बहुत ज्यादा होता है साथ ही ये पानी मे विसर्जन के बाद घुलती नहीं जबकि ये मूर्तिकारों के द्वारा बनाने में आसान,कम लागत,और मिट्टी की मूर्तियों की अपेक्षा सफाई से बनाई जा सकती हैं,ग्राहक इन्हें कम कीमत और मजबूती के चलते पसन्द करते हैं, ऐसे में मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने वालों को व्यापार में घाटा सहना पड़ सकता है.

Intro:गणेश उत्सव की शुरुआत के लिए कुछ ही दिन बाकी रह गए हैं और मूर्तिकार दिन रात एक कर गणेश प्रतिमा बनाने में जुटे हैं लेकिन उनकी अपनी मुसीबतें है उनकी अपनी दिक्कतें हैं जिनसे कलाकारों को दो चार होना पड़ रहा है,कच्चे सामानों की महंगाई भी एक बड़ी समस्या है जो कलाकरों की कला को वो कीमत नहीं दिला पाती जितनी लागत और मेहनत मूर्तियों को बनाने में लगती है।


Body:आने वाले महीने की शुरुआत से दस दिनों के गणेशउत्सव की शुरुआत होने जा रही है लेकिन प्रशासन के द्वारा अब तक पीओपी की मूर्ति स्थापना के लिए कोई भी मनाही के आदेश जारी हुए हैं ऐसे में मिट्टी की मूर्ति बनाने वाले कलाकारों को यह चिंता सताने जा रही कि सस्ती कीमत में बनने वाली प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां उनकी मेहनत पर पानी न फेर दें,वैसे भी मिट्टी की मूर्ति बनाने में लगने वाली लकड़ियों,भूसा,मिट्टी और रंग रोगन की कीमत आसमान छू रही है और बमुस्किल कलाकरों का मेहनताना निकल पा रहा है, मूर्तिकारों के अनुसार जो भूसा 6 सौ रुपये ट्राली मिलता था वो अब तीन हजार का हो चुका है वहीं लकड़ी की कीमत भी दोगुनी हो गयी है ऊपर से रेत वाली मिट्टी जो बाहर से लाई जाती है उसकी धुलाई भी अब ज्यादा लग रही जबकि ग्राहक मूर्तियों को सस्ते दामों पर ही खरीदना चाहते हैं जिसके चलते पीओपी की मूर्तियां आसानी से बिक जाती हैं


Conclusion:पीओपी की मूर्तियों से जल प्रदूषण का खतरा बहुत ज्यादा होता है साथ ही ये पानी मे विसर्जन के बाद घुलती नहीं जबकि ये मूर्तिकारों के द्वारा बनाने में आसान,कम लागत,और मिट्टी की मूर्तियों की अपेक्षा सफाई से बनाई जा सकती हैं,ग्राहक इन्हें कम कीमत और मजबूती के चलते पसन्द करते हैं ऐसे में मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने वालों को व्यापार में घाटा सहना पड़ता है।

बाईट--रजनीश यादव,मूर्तिकार
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