मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार दावे भी कर रही है और कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मंडला में बैगा आदिवासी की सैकड़ों महिलाएं पोषण आहार से वंचित हैं क्योंकि इसकी अनुदान राशि नहीं मिली है, जिससे वह परेशान हैं.
आदिवासी महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिये साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने पोषण आहार अनुदान राशि देने वाली योजना शुरू की थी. जिसका लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने 9 विकास खंडों में शिविर भी लगाये थे, बावजूद इसके अब तक सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.
पोषण आहार अनुदान राशि नहीं मिलने पर दूरस्थ गांवों में रहने वाली महिलाएं ग्राम पंचायत में शिकायत करने के बाद अब जिला मुख्यालय पहुंची हैं. उनका आरोप है कि उन्हें प्रदेश सरकार से हर माह मिलने वाली एक हजार रुपये की राशि अब तक नहीं मिली. इसकी शिकायत उन्होंने ग्राम पंचायत और जनपद में भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.
पोषण राशि नहीं मिलने का एक बड़ा कारण ये भी है कि योजना के तहत जिन कागजातों की जरूरत होती है, वह इन महिलाओं के पास नहीं हैं. उनका आरोप है कि जब से योजना शुरू की गयी है तब से उन्हें पहली किस्त भी नहीं मिल पायी है. गौर करने वाली बात ये है कि अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने सभी जरूरी कागजों के सत्यापन के लिये कई शिविर भी लगाये, जो पूरी तरह सफल नहीं हो सके.
जिले में अब तक लगभग 10 हजार 449 बैगा महिलाओं का पंजीयन हो चुका है, जिन्हें इस पोषण आहार अनुदान योजना का लाभ मिल रहा है. इधर अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के सहायक संचालक का कहना है कि पासबुक और आधार लिंक न होना और जाति प्रमाणपत्र पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज के आभाव में इन महिलाओं के खाते तक अनुदान राशि पहुंचने में दिक्कत हो रही है. जल्द ही इन महिलों की समस्या के निराकरण के लिये शिविर लगाकर उनके कागजों का सत्यापन कराया जाएगा. जिससे उन्हें योजना का लाभ मिल सके.