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'कुपोषित योजना' से मिटेगा कुपोषण? एक साल बाद भी लाचार राष्ट्रपति की दत्तक संतान

आदिवासी महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिये साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने पोषण आहार अनुदान राशि देने वाली योजना शुरू की थी. जिसका लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने 9 विकास खंडों में शिविर भी लगाये थे, बावजूद इसके अब तक सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

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Published : Mar 16, 2019, 9:35 AM IST

डिजाइन फोटो

मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार दावे भी कर रही है और कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मंडला में बैगा आदिवासी की सैकड़ों महिलाएं पोषण आहार से वंचित हैं क्योंकि इसकी अनुदान राशि नहीं मिली है, जिससे वह परेशान हैं.

वीडियो, पैकेज

आदिवासी महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिये साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने पोषण आहार अनुदान राशि देने वाली योजना शुरू की थी. जिसका लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने 9 विकास खंडों में शिविर भी लगाये थे, बावजूद इसके अब तक सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

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पोषण आहार अनुदान राशि नहीं मिलने पर दूरस्थ गांवों में रहने वाली महिलाएं ग्राम पंचायत में शिकायत करने के बाद अब जिला मुख्यालय पहुंची हैं. उनका आरोप है कि उन्हें प्रदेश सरकार से हर माह मिलने वाली एक हजार रुपये की राशि अब तक नहीं मिली. इसकी शिकायत उन्होंने ग्राम पंचायत और जनपद में भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पोषण राशि नहीं मिलने का एक बड़ा कारण ये भी है कि योजना के तहत जिन कागजातों की जरूरत होती है, वह इन महिलाओं के पास नहीं हैं. उनका आरोप है कि जब से योजना शुरू की गयी है तब से उन्हें पहली किस्त भी नहीं मिल पायी है. गौर करने वाली बात ये है कि अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने सभी जरूरी कागजों के सत्यापन के लिये कई शिविर भी लगाये, जो पूरी तरह सफल नहीं हो सके.


जिले में अब तक लगभग 10 हजार 449 बैगा महिलाओं का पंजीयन हो चुका है, जिन्हें इस पोषण आहार अनुदान योजना का लाभ मिल रहा है. इधर अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के सहायक संचालक का कहना है कि पासबुक और आधार लिंक न होना और जाति प्रमाणपत्र पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज के आभाव में इन महिलाओं के खाते तक अनुदान राशि पहुंचने में दिक्कत हो रही है. जल्द ही इन महिलों की समस्या के निराकरण के लिये शिविर लगाकर उनके कागजों का सत्यापन कराया जाएगा. जिससे उन्हें योजना का लाभ मिल सके.

मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है, जिससे निपटने के लिए प्रदेश सरकार दावे भी कर रही है और कई योजनाएं भी चला रही है, लेकिन इन योजनाओं की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. मंडला में बैगा आदिवासी की सैकड़ों महिलाएं पोषण आहार से वंचित हैं क्योंकि इसकी अनुदान राशि नहीं मिली है, जिससे वह परेशान हैं.

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आदिवासी महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिये साल 2017 में तत्कालीन सरकार ने पोषण आहार अनुदान राशि देने वाली योजना शुरू की थी. जिसका लाभ पहुंचाने के लिए अनुसूचित जनजाति विभाग ने 9 विकास खंडों में शिविर भी लगाये थे, बावजूद इसके अब तक सैकड़ों महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें इस योजना का लाभ अब तक नहीं मिल सका है.

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पोषण आहार अनुदान राशि नहीं मिलने पर दूरस्थ गांवों में रहने वाली महिलाएं ग्राम पंचायत में शिकायत करने के बाद अब जिला मुख्यालय पहुंची हैं. उनका आरोप है कि उन्हें प्रदेश सरकार से हर माह मिलने वाली एक हजार रुपये की राशि अब तक नहीं मिली. इसकी शिकायत उन्होंने ग्राम पंचायत और जनपद में भी की थी, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई.

पोषण राशि नहीं मिलने का एक बड़ा कारण ये भी है कि योजना के तहत जिन कागजातों की जरूरत होती है, वह इन महिलाओं के पास नहीं हैं. उनका आरोप है कि जब से योजना शुरू की गयी है तब से उन्हें पहली किस्त भी नहीं मिल पायी है. गौर करने वाली बात ये है कि अनुसूचित जनजाति विकास विभाग ने सभी जरूरी कागजों के सत्यापन के लिये कई शिविर भी लगाये, जो पूरी तरह सफल नहीं हो सके.


जिले में अब तक लगभग 10 हजार 449 बैगा महिलाओं का पंजीयन हो चुका है, जिन्हें इस पोषण आहार अनुदान योजना का लाभ मिल रहा है. इधर अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के सहायक संचालक का कहना है कि पासबुक और आधार लिंक न होना और जाति प्रमाणपत्र पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज के आभाव में इन महिलाओं के खाते तक अनुदान राशि पहुंचने में दिक्कत हो रही है. जल्द ही इन महिलों की समस्या के निराकरण के लिये शिविर लगाकर उनके कागजों का सत्यापन कराया जाएगा. जिससे उन्हें योजना का लाभ मिल सके.

Intro:मण्डला जिले की सैकड़ों बैगा माताएँ सरकार द्वारा मिलने वाली पोषण आहार अनुदान की राशि के लिए भटक रही हैं सरकार के द्वारा दिसम्बर 2017 में कुपोषण से बचाव के लिए यह योजना चालू की थी लेकिन जाति प्रमाण पत्र से लेकर आधार कार्ड का बैंक से लिंक न हो पाना इनकी राशि के मिलने में बाधा बना हुआ है जिले के 9 विकास खण्ड में अनुसूचित जनजाती विकास विभग के द्वारा शिविर लगाने के बाबजूद भी अब तक सैकड़ों बैगा माताओं के रिकार्ड दुरुस्त नहीं हो पाए हैं


Body:मण्डला जिले के दूरस्त ग्रामों में रहने वाली बैगा माताओं को शासन द्वारा बैगा,सहरिया और भरिया जैसी विशेष पिछड़ी जनजातियों के लिए चलाई जा रही कुपोषण दूर करने के लिए हर महीने मिलने वाली राशि की योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है और ये बैगा जाति की महिलाएं ग्राम पंचायत से लेकर जनपद और जिला मुख्यालय तक के चक्कर काटने को मजबूर हैं निरक्षर होने और सरकारी तंत्र का ज्ञान न होने के चलते ये सैकड़ो महिलाएं जो निवास,घुघरी,मवई या अन्य विकासखण्ड जैसे दूर के गाँवो में रहती है हर माह मिलने वाली राशि को प्राप्त करने से वंचित हैं बता दें कि प्रदेश सरकार ने दिसम्बर 2017 में बैगा माताओं को कुपोषण से बचाने और उन्हें स्वस्थ रखने की दिशा में कदम उठाते हुए हर माह एक हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता की योजना बनाई थी लेकिन योजना के लाभ पाने के लिए इन महिलाओं को जो जरूरी दस्तावेज जमा कराने थे उनके न होने के कारण इन महिलाओं को इस ऑफिस से उस ऑफिस के चक्कर काटने पड़ रहे हैं ऐसे में समझा जा सकता है कि लगभग 15 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक यह राशि इन तक नहीं पहुँच पा रही मतकब इसकी रफ्रतार कितनी धीमी है वहीं अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के द्वारा जिले के सभी 9 विकासखण्ड में शिविर भी लगाए गए पर नतीजा कुछ खास नहीं निकला


Conclusion:मण्डला जिले में अब तक लगभग 10 हज़ार 449 बैगा महिलाओं का पंजीयन हो चुका जिन्हें इस पोषण आहार अनुदान योजना का लाभ मिल रहा अनुसूचित जनजाति विकास विभाग के सहायक संचालक का कहना है कि पासबुक और आधार का लिंक न होना और जाति प्रमाणपत्र पत्र जैसे जरूरी दस्तावेज के आभाव मे इन महिलाओं के खाते तक अनुदान राशि पहुँचने में दिक्कत हो रही है जिसे जल्द ही सुलझाने के प्रतास किये जा रहे हैं लेकिन सवाल यही है कि जब दो साल गुजरने के बाद भी इन माताओं को योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा तो कुपोषण से लड़ने के लिए बनाए गए सारे प्लान के औचित्य पर ही प्रश्न चिन्ह लग रहे हैं।

बाइट --ग्रामीण बैगा महिलाएं

बाईट--विजय कुमार टेकाम,सहायक आयुक्त अनुसूचित जनजाति विकास विभाग
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