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पर्यावरण की रक्षा कर रहीं ये महिलाएं, मकर संक्रांति पर प्रदूषण नहीं होने का रखती हैं ध्यान

मंडला की कुछ ऐसी महिलाएं जो ना केवल समाजसेवा कर रहीं हैं बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के भी उपाय बता रहीं हैं. इनके द्वारा हवन पूजन के लिए जो कंडे बनाए जाते हैं, वे भी शुद्ध वातावरण रखने में सहायक होते हैं.

These women are protecting the environment
पर्यावरण की रक्षा कर रहीं ये महिलाएं
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Published : Jan 15, 2020, 12:02 AM IST

Updated : Jan 15, 2020, 12:09 AM IST

मंडला। मकर संक्रांति में हवन पूजन के साथ ही गुड़ और तिल के लड्डू का भी काफी महत्व होता है. वहीं इस पर्व के समय ठंड भी पूरे शबाब पर होती है लेकिन समाजिक कार्यकर्ता सरिता अग्निहोत्री के साथ दर्जनों ऐसी महिलाएं हैं. जो त्यौहार से लेकर गरीब और लाचार के लिए ऐसे काम करती हैं जो हर किसी के लिए एक नजीर हो सकती है.

ये महिलाएं संक्रांति पर प्रदूषण नहीं होने का रखती हैं ध्यान

ठंड से बचाव के लिए इन महिलाओं के द्वारा पतले कम्बल से घर पर सिलाई कर मफलर, हैंड ग्लब्स, टोपी, इनर वियर पाजामा से लेकर कुर्ते तक बनाए जाते हैं. जिनकी लागत कम होती है, वहीं महिलाओं को रोजगार भी मिलता है और जरूरतमंदों को ठंड से राहत भी मिलती है.

सामाजिक कार्यकर्ता सरिता अग्निहोत्री ने बताया कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में पूजन के बाद हवन का काफी महत्व है और लोगों को ये जानकारी नहीं होती कि हवन में जिन लकड़ियों का प्रगोग किया जाता है वो 9 ग्रहों की शान्ति के लिए होता है और इसी के चलते इनके द्वारा खैर, पीपल, शमी, गूलर, चिरचिटा दूर्वा जैसी चीजों को पाउडर के रूप में या ऐसे ही मिला कर कंडे बनाए जाते हैं.

Ladies made laddus
महिलाओं के बनाए हुए लाई के लड्डू

ये हवन के दौरान पर्यावरण को कम प्रदूषित करते हैं, साथ ही प्लास्टिक के खिलाफ इन महिलाओं के द्वारा पुरानी साड़ी या कपड़े के थैले भी बनाए जाते हैं और ये सभी चीज़ों को बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही इन महिलाओं के द्वारा बाजरे और मुरमुरे के लड्डू बनाए जाते हैं कुपोषण को रोकने में भी कारगर शिद्ध होते हैं.

मंडला। मकर संक्रांति में हवन पूजन के साथ ही गुड़ और तिल के लड्डू का भी काफी महत्व होता है. वहीं इस पर्व के समय ठंड भी पूरे शबाब पर होती है लेकिन समाजिक कार्यकर्ता सरिता अग्निहोत्री के साथ दर्जनों ऐसी महिलाएं हैं. जो त्यौहार से लेकर गरीब और लाचार के लिए ऐसे काम करती हैं जो हर किसी के लिए एक नजीर हो सकती है.

ये महिलाएं संक्रांति पर प्रदूषण नहीं होने का रखती हैं ध्यान

ठंड से बचाव के लिए इन महिलाओं के द्वारा पतले कम्बल से घर पर सिलाई कर मफलर, हैंड ग्लब्स, टोपी, इनर वियर पाजामा से लेकर कुर्ते तक बनाए जाते हैं. जिनकी लागत कम होती है, वहीं महिलाओं को रोजगार भी मिलता है और जरूरतमंदों को ठंड से राहत भी मिलती है.

सामाजिक कार्यकर्ता सरिता अग्निहोत्री ने बताया कि किसी भी धार्मिक कार्यक्रम में पूजन के बाद हवन का काफी महत्व है और लोगों को ये जानकारी नहीं होती कि हवन में जिन लकड़ियों का प्रगोग किया जाता है वो 9 ग्रहों की शान्ति के लिए होता है और इसी के चलते इनके द्वारा खैर, पीपल, शमी, गूलर, चिरचिटा दूर्वा जैसी चीजों को पाउडर के रूप में या ऐसे ही मिला कर कंडे बनाए जाते हैं.

Ladies made laddus
महिलाओं के बनाए हुए लाई के लड्डू

ये हवन के दौरान पर्यावरण को कम प्रदूषित करते हैं, साथ ही प्लास्टिक के खिलाफ इन महिलाओं के द्वारा पुरानी साड़ी या कपड़े के थैले भी बनाए जाते हैं और ये सभी चीज़ों को बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है. साथ ही इन महिलाओं के द्वारा बाजरे और मुरमुरे के लड्डू बनाए जाते हैं कुपोषण को रोकने में भी कारगर शिद्ध होते हैं.

Intro:मण्डला की कुछ ऐसी महिलाएं जो न केवल समाजसेवा कर रहीं हैं बल्कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के भी उपाय बता रहीं हैं,इनके द्वारा हवन पूजन के लिए जो कंडे बनाए जाते हैं वे भी वातावरण को शुद्ध करने में सहायक होते हैं


Body:मकरसंक्रांति मे हवन पूजन के साथ ही गुड़ और तिल के लड्डू का भी काफी महत्व होता है वहीं इस पर्व के समय ठंड भी पूरी तरह से शबाब पर होती है लेकिन समाजिक कार्यकर्ता सरिता अग्निहोत्री के साथ दर्जनों ऐसी महिलाएं हैं जो त्यौहार से लेकर गरीब और लाचार के लिए ऐसे काम करती हैं जो हर किसी के लिए एक नजीर हो सकती है,ठंड से बचाव के लिए इन महिलाओं के द्वारा पतले कम्बल से घर पर सिलाई कर मफलर,हैंड ग्लब्स, टोपी,इनर एयर पाजामा से लेकर कुर्ते तक बनाए जाते हैं जिनकी लागत कम होती है वहीं महिलाओं को रोजगार भी मिलता है और जरूरत मन्दों को ठंड से राहत भी मिलती है वहीं इन महिलाओं के द्वारा खास तरह का गुड़ भी बनाया जाता है जो बर्फी के आकार लिये होता है और इसमें सौंठ मिलाया जाता है जो शर्दी के लिए रामबाण से कम नहीं सरिता अग्निहोत्री जो सामाजिक कार्यकर्ता के साथ ही ज्योतिष शास्त्र की भी ज्ञाता हैं उन्होनें बताया कि किसी भी धार्मिक पर में पूजन के बाद हवन का काफी महत्व है और लोगों को यह जानकारी नहीं होती कि हवन में जिन लकड़ियों का प्रगोग किया जाता है वो 9 ग्रहों की शान्ति के लिए होता है और इसी के चलते इनके द्वारा खैर,पीपल,शमी,गूलर,चिरचिटा दूर्वा जैसी चीजों को पाउडर के रूप में या ऐसे ही मिला कर कंडे बनाए जाते हैं जो हवन के दौरान पर्यावरण को कम प्रदूषित करते हैं,साथ ही प्लास्टिक के खिलाफ इन महिलाओं के द्वारा पुरानी साड़ी या कपड़े के थैले भी बनाए जाते हैं और ये सभी चीज़ों को बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण भी दिया जाता है,,साथ ही इन महिलाओं के द्वारा बाजरे और मुरमुरे के लड्डू बनाए जाते हैं कुपोषण को रोकने में भी कारगर शिद्ध होते हैं


Conclusion:मकरसंक्रांति पर ये पहल है उन महिलाओं की जो त्यौहार के माध्यम से भी लोगों को पर्यावरण के प्रति सचेत करना चाहती हैं वहीं धर्म से जुड़ कर भी ऐसे कर्म का संदेश देती हैं जो कहीं न कहीं इन्शान के स्वास्थ्य से भी जुड़ा है,निश्चित ही इन महिलाओं की इस कोशिश को सरकार या सामाजिक संस्थाओं का सहारा मिले तो रोजगार के साथ ही लोगों की जरूरत बिना प्रदूषण के पूरी हो सके।

बाईट--सरिता अग्निहोत्री, सामाजिक कार्यकर्ता मण्डला
पीटूसी--मयंक तिवारी संवददाता मण्डला
Last Updated : Jan 15, 2020, 12:09 AM IST
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