मंडला। क्या आपने अजगरों की बस्ती देखी है, अगर नहीं देखी तो चलिए हम आपको अजगरों की बस्ती की सैर कराते हैं. अपनी मस्ती में गुफाओं से बाहर आकर धूप सेंकते इतने सारे अजगरों को शायद आपने पहले कभी नहीं देखा होगा, लेकिन यहां सर्दी के मौसम में सैकड़ों अजगर इसी तरह विचरण करते नजर आते हैं. 4 फीट से लेकर 22 फीट तक लंबे सैकड़ों अजगरों को यहां एक साथ देखा जाता है. अजगरों की यह बस्ती मंडला जिला मुख्यालय से 35 किलोमीटर दूर ककैया वनक्षेत्र में मौजूद है. इन अजगरों को देखने के लिए भारी संख्या में लोग भी पहुंच रहे हैं.
दमदमा नाम से होती है पहचान
अजगरों की इस बस्ती को दमदमा नाम से जाना जाता है, क्योंकि इस स्थान की ऊपरी सतह बेहद ठोस है और भीतरी हिस्सा खोखला है, जो अजगरों के रहने और उनके परिवार को बढ़ाने के लिए अनुकूल माना जाता है. यहां पहुंचने वाले लोगों ने इस जगह पर जरूरी सुविधाओं का अभाव बताया और उन्हें पूरा करने की मांग की.
यहां पहुंचने वाला हर कोई रह जाता है हैरान
अजगरों का यह आशियाना करीब 4 से 5 एकड़ में फैला हुआ है. सर्दी के मौसम में जब धूप दस्तक देती है, तो अजगर गुफाओं से बाहर निकल आते हैं. सैकड़ों की संख्या में अजगरों को देख हर कोई हैरान रह जाता है. ग्रामीणों ने इस जगह को अजगर दादर नाम दिया था, जिसकी ख्याति अब दूर-दूर तक फैलने लगी है. स्थानीय विधायक नारायण सिंह पट्टा ने इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की पहल करने का वादा किया है और इसे संरक्षित करने का भरोसा भी दिया है.
क्यों पाए जाते हैं इतने अजगर
कान्हा नेशनल पार्क के अंतर्गत आने वाला यह क्षेत्र उस वक्त अस्तित्व में आया, जब साल 2011 में वन विभाग द्वारा झाड़ियों की कटाई की गई. कटाई के दौरान दर्जनों अजगरों को देख वनकर्मी दंग रह गए. कान्हा नेशनल पार्क के अधीक्षक ने ईटीवी भारत को बताया कि आखिर क्यों इस स्थान पर सैकड़ों की तादाद में अजगर पाए जाते हैं.
पहचान की दरकार
प्रशासन ने 2011 में इस स्थान को संरक्षण में लेकर फेंसिंग और वॉच टॉवर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया था, जो अब तक अधूरा है. इसी वजह से यह पर्यटन स्थल घोषित नहीं हो पाया. इसके बावजूद अजगरों को देखने के लिए यहां सैलानियों की भारी भीड़ उमड़ रही है. अब इस स्थान को सिर्फ पहचान की दरकार है.
इन सुविधाओं का अभाव
अजगरों की दिनचर्या के मुताबिक कृत्रिम गुफाएं या फिर रहने के लिए उचित स्थान बनाकर उनके भोजन की व्यवस्था कर दी जाए. सैलानियों के खाने-पीने की व्यवस्था भी यहां होनी चाहिए, क्योंकि फिलहाल अजगर के दीदार के लिए आने वाले लोग खाली हाथ वापस लौट जाते हैं. लोगों की बढ़ती संख्या के चलते अजगर अब यहां खुलकर विचरण नहीं कर पाते हैं. लोगों के द्वारा पत्थर फेंकने जैसी हरकतों से परेशान भी होते हैं.