मंडला। जिला मूर्ति कलाकार संगठन ने सिंहवाहिनी वार्ड नर्मदा तट के किनारे एक बैठक आयोजित की. जहां कलाकारों ने प्रशासन के उस निर्देश को मूर्तिकला से जुड़े लोगों के लिए संवेदनहीन बताया जिसमें आगामी दुर्गाउत्सव के लिए सामूहिक स्थापना के साथ ही सभी मूर्तिकारों को कहा गया है कि वे बड़ी मूर्तियां न बनाएं.
जबकि कलाकारों का कहना है कि गणेश उत्सव के दौरान बनाई गईं कई सारी मूर्तियां कलाकारों के पास बच गई हैं जिससे उन्हें काफी घाटा हो रहा है. कलाकारों का कहना है कि उनके पास इस कला के अलावा घर चलाने का कोई और जरिया नहीं है, उनका पूरा परिवार इसी कला से जुड़ा है और सीजन में होने वाली कमाई से ही उनका भरण पोषण होता है. लेकिन कोरोना काल को देखते हुए जो निर्देश उन्हें दिए जा रहे हैं इससे कलाकारों के आर्थिक हालात पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा और अब गुजारा काफी मुश्किल हो गया है.
कलाकारों का कहना है कि प्रशासन ने सभी बाजारों को खोल दिया है, बसों को चलाने की अनुमति दे दी गई है तो उन्हें क्यों व्यवसाय से रोका जा रहा है. मूर्तिकला से जुड़े कलाकारों ने राज्यसभा सांसद संपतिया उइके और कलेक्टर हर्षिका सिंह को ज्ञापन सौंपते हुए सरकार से मांग की है कि अगर उन्हें अनुमति नहीं दी जाती है तो सभी कलाकारों को हर माह मुआवजा की राहत राशि प्रदान की जाए जिससे कि उनकी रोजी रोटी चल सके.
इन लोगों को भी हो रहा नुकसान--
मूर्तिकारों का कहना है कि दुर्गा उत्सव से पंडित, बाजे वाले, फूलवाले, टेंट लाइट वाले और भी बहुत से लोगों का व्यवसाय चलता है. ऐसे में दुर्गा उत्सव की अनुमति नहीं दी जाती है तो इन सभी के हालात और भी ज्यादा खराब हो जाएंगे. जिसके बाद सरकार को इस पर संवेदनशील होकर विचार करना चाहिए.
वहीं बैठक में निर्णय लिया गया कि अगर 10 दिनों के अंदर कोई निर्णय सरकार नहीं लेती है तो सभी कलाकार और इस व्यवसाय से जुड़े मूर्तिकार बड़ा आंदोलन करेंगे. क्योंकि अब उनके पास जीवन यापन का कोई और सहारा नहीं रह गया है साथ ही यही वह समय है जब वे दुर्गाउत्सव के लिए मूर्तियों को तैयार करते हैं, ऐसे में सरकार को जल्द निर्णय लेना होगा.