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पालकों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे छात्र, कलेक्टर से कहा- साहब बनवा दो स्कूल का भवन

बिछिया तहसील से स्कूली बच्चे अपने पालकों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे और स्कूल के जर्जर भवन की शिकायत कलेक्टर से की.

पालकों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे छात्र
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Published : Aug 27, 2019, 10:04 PM IST

मण्डला। बिछिया तहसील के उर्दली गांव के ग्रामीण अपने बच्चों के साथ कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचे. जहां बच्चों ने स्कूल के जर्जर भवन के मरम्मत कराने की गुहार लगाई. बच्चों का कहना है कि स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है. अधिकारी स्कूल में आते हैं, देखते हैं, पर कुछ करते नहीं हैं.

पालकों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे छात्र

बच्चों के परिजनों का कहना है कि 2016 से अपने बच्चों के लिए एक प्राथमिक स्कूल के भवन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए जिले के आला अधिकारियों से लेकर मंत्री और जनप्रतिनिधियों तक से आवेदन, निवेदन कर चुके हैं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई.

स्कूल का भवन पुराना है और जर्जर हो चुका है, इसलिए स्कूल के अंदर बैठकर पढ़ना नामुनकिन है. इमारत पूरानी होने की वजह से स्कूल के कमरों की छत से पानी टपकता रहता है, जिससे पूरे कमरे में पानी भर जाता है. जिसकी वजह से दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है.

स्कूली बच्चों के पालकों और शिक्षकों के अनुसार कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, जिसके चलते स्कूल भवन को छोड़कर अब निजी मकान में स्कूल लगाया जा रहा है, पर जहां ये स्कूल लगाया जाता है, वहां शौचालय की सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से बच्चे परेशान होते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी तीन बार वे लोग जनसुनवाई में आ चुके हैं और अपनी समस्या अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस पर जनसुवाई में मौजूद अधिकारी का कहना है कि ये समस्या पहली बार उनके संज्ञान में आया है, जल्द ही इस पर काम किया जाएगा.

मण्डला। बिछिया तहसील के उर्दली गांव के ग्रामीण अपने बच्चों के साथ कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचे. जहां बच्चों ने स्कूल के जर्जर भवन के मरम्मत कराने की गुहार लगाई. बच्चों का कहना है कि स्कूल की इमारत जर्जर हो चुकी है. अधिकारी स्कूल में आते हैं, देखते हैं, पर कुछ करते नहीं हैं.

पालकों के साथ जनसुनवाई में पहुंचे छात्र

बच्चों के परिजनों का कहना है कि 2016 से अपने बच्चों के लिए एक प्राथमिक स्कूल के भवन की मांग कर रहे हैं. इसके लिए जिले के आला अधिकारियों से लेकर मंत्री और जनप्रतिनिधियों तक से आवेदन, निवेदन कर चुके हैं, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई.

स्कूल का भवन पुराना है और जर्जर हो चुका है, इसलिए स्कूल के अंदर बैठकर पढ़ना नामुनकिन है. इमारत पूरानी होने की वजह से स्कूल के कमरों की छत से पानी टपकता रहता है, जिससे पूरे कमरे में पानी भर जाता है. जिसकी वजह से दुर्घटना का खतरा भी बना रहता है.

स्कूली बच्चों के पालकों और शिक्षकों के अनुसार कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है, जिसके चलते स्कूल भवन को छोड़कर अब निजी मकान में स्कूल लगाया जा रहा है, पर जहां ये स्कूल लगाया जाता है, वहां शौचालय की सुविधा नहीं है, जिसकी वजह से बच्चे परेशान होते हैं.

ग्रामीणों ने बताया कि पहले भी तीन बार वे लोग जनसुनवाई में आ चुके हैं और अपनी समस्या अधिकारियों को बता चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या पर किसी ने ध्यान नहीं दिया. इस पर जनसुवाई में मौजूद अधिकारी का कहना है कि ये समस्या पहली बार उनके संज्ञान में आया है, जल्द ही इस पर काम किया जाएगा.

Intro:मण्डला के योजना भवन में होने वाली जनसुनवाई में जब प्राथमिक शाला मे पढ़ने स्कूली बच्चे पहुँचे, तो आननफानन ही अधिकारी यहाँ वहाँ फोन लगाते दिखे इन स्कूली बच्चों ने बताया कि बहुत साल से स्कूल का भवन जर्जर हो चुका है स्कूल में साहब आते हैं देखते हैं लेकिन स्कूल कोई नही बनवा रहा


Body:मण्डला जिले की बिछिया तहसील के अंतर्गत आने वाले उर्दली गाँव के ग्रामीण 2016 से अपने बच्चों के लिए एक अदद प्राथमिक स्कूल के भवन की माँग कर रहे है जिले के आला अधिकारियों से लेकर मंत्री और जनप्रतिनिधियों तक सभी से आवेदन निवेदन कर चुके लेकिन इनकी गुहार किसी ने नहीं सुनी और स्कूल का पुराना भवन और भी ज्यादा जर्जर हो चुका,अब इस स्कूल के भीतर बैठ कर पढ़ना नामुनकिन है जिसकी वजह है स्कूल के कमरों में टपक कर भरने वाला पानी और गिरता हुआ छत का मालवा,स्कूली बच्चों के पालकों और शिक्षकों के अनुसार कभी भी कोई हादसा हो सकता है जिसके कारण स्कूल भवन को छोड़ कर अब निजी मकान में स्कूल लगाया जा रहा है लेकिन यह व्यवस्था भी ऐसी की बच्चों को सौचालय की समस्या का सामना करना पड़ता है,ग्रामीणों ने बताया कि जनसुनवाई में वे इसके पहले भी तीन बार आ चुके लेकिन कोई सुनवाई हुई ही नहीं


Conclusion:लगभग 100 किलोमीटर दूर से स्कूली बच्चों को पढाई छोड़ कर जिला मुख्यालय तक अपने अधिकार की लड़ाई के लिए पहुँचना पड़े किसी भी शासन प्रशासन के लिए इस से बड़ी शर्म की बात हो ही नहीं सकती इसके लिए निश्चित ही वे जिम्मेदार हैं जो इंतजार करते हैं कि जनता अपने हक के लिए सड़क पर उतरे वरना क्या वजह हो सकती है कि 2016 से न तो भवन की स्वीकृति हो पाई न ही बच्चों के लिए किसी ऐसी बिल्डिंग की तलाश की ये अपना भविष्य सुरक्षित तरीके से तलाश सकें,बाहरहाल अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि उनकी सुनवाई जल्द की जाएगी।

बाईट--स्कूली बच्चे
बाईट--अनिता नरेती,
नरसिंह यादव पालक ग्रामीण
बाईट--योगेश शर्मा,समन्वयक सर्व शिक्षा अभियान
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