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देसी परिधान में आदिवासी महिलाओं ने दिखाया दम, मैदान में लगाए चौके-छक्के - women wear sarees wearing fours and sixes

ग्रामीण महिलाओं ने महात्मा गांधी मैदान में क्रिकेट प्रतियोगिता में साड़ी पहनकर जमकर चौके छक्के लगाए.

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ग्रामीण महिलाओं ने लगाए चौके छक्के
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Published : Dec 14, 2019, 9:29 PM IST

Updated : Dec 15, 2019, 5:31 PM IST

मण्डला। सर्वांगीण महिला विकास समिति ने महिला क्रिकेट का आयोजन किया. गांव से आई ग्रामीण महिलाओं की टीम ने पारंपारिक साड़ी में बल्ला थामकर क्रिकेट बॉल को बाउंड्री पार पहुंचाया. महिलाओं का क्रिकेट देख सभी लोग तारीफ करने को मजबूर हो गए.

ग्रामीण महिलाओं ने लगाए चौके-छक्के

झाड़ू, चौका, बर्तन और बेलन संभालने वाली महिलाओं ने अपने हाथों में बैट बॉल थाम कर ऐसा खेल दिखाया कि सब देखते रह गए. 2012 से मण्डला में आयोजित होने वाले इस क्रिकेट टूर्नामेंट की काफी धूम होती है. क्योंकि खिलाडियों के ड्रेसअप से इतर ये ग्रामीण महिलाएं अपनी पारम्परिक तरीके से पहने जाने वाली साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलती आई हैं.

ग्रामीण महिलाओं ने लगाए चौके-छक्के

आयोजनकर्ता समिति के प्रमुख शशि पटेल ने बताया की महिलाओं के लिए वे बीते कई सालों से काम करती आ रही हैं और उन्हें संबल बनाने के साथ ही उनमें आत्मविश्वास भरने के लिए क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
क्रिकेट खेलने वाली महिला खिलाड़ियों के मुताबिक घर के काम के अतिरिक्त इस खेल में भी वे पूरा समय देती हैं और क्रिकेट खेलना ऐसा लगता है कि जो पुरूष कर सकते वह काम हम भी कर सकते हैं.

महिला खिलाड़ियों के बताया कि क्रिकेट खेलने वाली महिलाओं को परिवार का समर्थन मिलता है. ऐसी ही एक खिलाड़ी के पिता ने बताया कि उनकी लड़की को क्रिकेट खेलने के लिए घर का हर सदस्य प्रोत्साहित करता है. वहीं यह गर्व की बात है कि आज बेटियां , महिलाएं भी पुरुषों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं.

मण्डला। सर्वांगीण महिला विकास समिति ने महिला क्रिकेट का आयोजन किया. गांव से आई ग्रामीण महिलाओं की टीम ने पारंपारिक साड़ी में बल्ला थामकर क्रिकेट बॉल को बाउंड्री पार पहुंचाया. महिलाओं का क्रिकेट देख सभी लोग तारीफ करने को मजबूर हो गए.

ग्रामीण महिलाओं ने लगाए चौके-छक्के

झाड़ू, चौका, बर्तन और बेलन संभालने वाली महिलाओं ने अपने हाथों में बैट बॉल थाम कर ऐसा खेल दिखाया कि सब देखते रह गए. 2012 से मण्डला में आयोजित होने वाले इस क्रिकेट टूर्नामेंट की काफी धूम होती है. क्योंकि खिलाडियों के ड्रेसअप से इतर ये ग्रामीण महिलाएं अपनी पारम्परिक तरीके से पहने जाने वाली साड़ी पहनकर क्रिकेट खेलती आई हैं.

ग्रामीण महिलाओं ने लगाए चौके-छक्के

आयोजनकर्ता समिति के प्रमुख शशि पटेल ने बताया की महिलाओं के लिए वे बीते कई सालों से काम करती आ रही हैं और उन्हें संबल बनाने के साथ ही उनमें आत्मविश्वास भरने के लिए क्रिकेट प्रतियोगिता का आयोजन किया जाता है.
क्रिकेट खेलने वाली महिला खिलाड़ियों के मुताबिक घर के काम के अतिरिक्त इस खेल में भी वे पूरा समय देती हैं और क्रिकेट खेलना ऐसा लगता है कि जो पुरूष कर सकते वह काम हम भी कर सकते हैं.

महिला खिलाड़ियों के बताया कि क्रिकेट खेलने वाली महिलाओं को परिवार का समर्थन मिलता है. ऐसी ही एक खिलाड़ी के पिता ने बताया कि उनकी लड़की को क्रिकेट खेलने के लिए घर का हर सदस्य प्रोत्साहित करता है. वहीं यह गर्व की बात है कि आज बेटियां , महिलाएं भी पुरुषों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं.

Intro:मण्डला के महात्मा गांधी मैदान में ग्रामीण महिलाओं की क्रिकेट स्पर्धा का आयोजन हुआ जिसमें साड़ी पहन कर दूर दराज से आईं महिलाओं ने बैट वॉल पर जम कर हाथ आजमाइश की


Body:सर्वांगीण महिला विकास समिति मण्डला के द्वारा आयोजित महिला क्रिकेट में गाँव से आई ग्रामीण महिलाओं की टीम के बीच जम कर भिड़न्त देखी गयी जहाँ झाड़ू चौका बर्तन और बेलन सम्हालने वाली महिलाओं ने अपने हाथों में बैट वॉल थाम कर ऐसा जौहर दिखाया कि सब देखते रह गए,सन 2012 से मण्डला में आयोजित होने वाले इस क्रिकेट टूर्नामेंट की काफी धूम होती है क्योंकि खिलाडियों के ड्रेसअप से इतर ये ग्रामीण महिलाएं अपनी पारम्परिक तरीके से पहने जाने वाली साड़ी पहन कर ही क्रिकेट खेलती हैं,इस आयोजन के विषय मे आयोजन कर्ता समिति की प्रमुख शशि पटेल ने बताया की महिलाओं के लिए वे बीते कई सालों से काम करती आ रही हैं और उन्हें सम्बल बनाने के साथ ही उनमें आत्मविश्वास भरने के लिए यह आयोजन किया जाता है वहीं क्रिकेट खेलने आयी महिलाओं ने बताया कि घर के काम के अतिरिक्त इस खेल में भी वे पूरा समय देती हैं और क्रिकेट खेलना ऐसा लगता है कि जो पुरूष कर सकते वह काम हम भी कर सकते हैं


Conclusion:इन ग्रामीण महिलाओं को परिवार का समर्थन भी पूरी तरह से मिलता है ऐसी ही एक खिलाड़ी के पिता ने बताया कि उनकी लड़की को क्रिकेट खेलने के लिए घर का हर सदस्य प्रोत्साहित करता है वहीं यह गर्व की बात है कि आज बेटियाँ या महिलाएं भी पुरुषों से किसी मामले में पीछे नहीं हैं

वाक थ्रू शशि पटेल के साथ
बाईट--क्रिकेटर महिलाएं
बाईट--क्रिकेट खिलाड़ी के परिजन
Last Updated : Dec 15, 2019, 5:31 PM IST
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