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रामायण काल से जुड़ा है इस गांव का इतिहास, ग्रामीण मानते हैं मां सीता के पद चिन्हों की मौजूदगी

मंडला जिले के सीतारपटन गांव में मौजूद हैं रामायण काल से जुड़े निशान. कहा जाता है सीताजी ने अपना वनवास यहीं गुजारा था. सीतारपटन गांव को लवकुश का जन्मस्थान भी माना जाता है.

सीतारपटन गांव
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Published : Feb 9, 2019, 5:47 AM IST

मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके जितना अपनी खूबसूरती के लिये जाने जाते हैं, उतना ही पौराणिक कहानियों और रहस्यों के लिये. यहां के आदिवासी अंचल से न जाने कितनी पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. मंडला का सीता रपटन गांव भी ऐसे ही एक मिथक को संजोये हुये है. इस गांव में रखी विशाल शिला को ही सीता रपटन कहते हैं, जिसके नाम पर इस गांव का नाम पड़ा.

मान्यता है कि लंका से वापसी के बाद जब भगवान राम ने मां सीता को त्याग दिया था तब वह इसी जगह पर महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं. कहा जाता है कि लव-कुश का जन्म भी इसी जगह पर हुआ था. यहां रखी विशाल शिला से जुड़ी किंवदंती है कि जब लक्ष्मण, सीता को यहां छोड़ गए थे तब वे इस से फिसल गई थीं. इसी वजह से इस गांव और शिला दोनों का नाम सीता रपटन पड़ गया. सीता रपटन शिला पर इंसानी पैरों के निशान भी मिलते हैं जिन्हें सीता के पदचिन्ह माना जाता है. जबकि इसके आसपास की जमीन पर घोड़े के पैरों जैसे स्थाई निशान हैं जिन्हें उस घोड़े के पदचिन्ह माना जाता है जिसे अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लव-कुश ने बांध लिया था.

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वहीं धार्मिक जानकार भी इस जगह को रामायण से जुड़ा मानते हैं और कहते हैं कि राम के वनवास का भी खासा वक्त मैकल की इन्हीं पहाड़ियों पर गुजरा था. जहां मंडला बसा है उस जगह को पौराणिक काल में महिष्मति के नाम से जाना जाता था, जहां ऋषियों की तपोभूमि हुआ करती थी.पौराणिक किस्से-कहानियों से जुड़ी इस जगह की हकीकत शोध का विषय हो सकती है, लेकिन यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक आस्था के चलते ये जगह पर्यटन का केंद्र बनती जा रही है जिसे देखने हजारों सैलानी यहां आते रहते हैं.

मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके जितना अपनी खूबसूरती के लिये जाने जाते हैं, उतना ही पौराणिक कहानियों और रहस्यों के लिये. यहां के आदिवासी अंचल से न जाने कितनी पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. मंडला का सीता रपटन गांव भी ऐसे ही एक मिथक को संजोये हुये है. इस गांव में रखी विशाल शिला को ही सीता रपटन कहते हैं, जिसके नाम पर इस गांव का नाम पड़ा.

मान्यता है कि लंका से वापसी के बाद जब भगवान राम ने मां सीता को त्याग दिया था तब वह इसी जगह पर महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं. कहा जाता है कि लव-कुश का जन्म भी इसी जगह पर हुआ था. यहां रखी विशाल शिला से जुड़ी किंवदंती है कि जब लक्ष्मण, सीता को यहां छोड़ गए थे तब वे इस से फिसल गई थीं. इसी वजह से इस गांव और शिला दोनों का नाम सीता रपटन पड़ गया. सीता रपटन शिला पर इंसानी पैरों के निशान भी मिलते हैं जिन्हें सीता के पदचिन्ह माना जाता है. जबकि इसके आसपास की जमीन पर घोड़े के पैरों जैसे स्थाई निशान हैं जिन्हें उस घोड़े के पदचिन्ह माना जाता है जिसे अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लव-कुश ने बांध लिया था.

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वहीं धार्मिक जानकार भी इस जगह को रामायण से जुड़ा मानते हैं और कहते हैं कि राम के वनवास का भी खासा वक्त मैकल की इन्हीं पहाड़ियों पर गुजरा था. जहां मंडला बसा है उस जगह को पौराणिक काल में महिष्मति के नाम से जाना जाता था, जहां ऋषियों की तपोभूमि हुआ करती थी.पौराणिक किस्से-कहानियों से जुड़ी इस जगह की हकीकत शोध का विषय हो सकती है, लेकिन यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक आस्था के चलते ये जगह पर्यटन का केंद्र बनती जा रही है जिसे देखने हजारों सैलानी यहां आते रहते हैं.

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रामायण काल से जुड़ा है इस गांव का इतिहास, ग्रामीण मानते हैं मां सीता के पद चिन्हों की मौजूदगी 

 



मंडला। मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके जितना अपनी खूबसूरती के लिये जाने जाते हैं, उतना ही पौराणिक कहानियों और रहस्यों के लिये. यहां के आदिवासी अंचल से न जाने कितनी पौराणिक कहानियां जुड़ी हुई हैं. मंडला का सीता रपटन गांव भी ऐसे ही एक  मिथक को संजोये हुये है. इस गांव में रखी विशाल शिला को ही सीता रपटन कहते हैं, जिसके नाम पर इस गांव का नाम पड़ा. 



मान्यता है कि लंका से वापसी के बाद जब भगवान राम ने मां सीता को त्याग दिया था तब वह इसी जगह पर महर्षि वाल्मीकि के आश्रम में रही थीं. कहा जाता है कि लव-कुश का जन्म भी इसी जगह पर हुआ था. यहां रखी विशाल शिला से जुड़ी किंवदंती है कि जब लक्ष्मण, सीता को यहां छोड़ गए थे तब वे इस से फिसल गई थीं. इसी वजह से इस गांव और शिला दोनों का नाम सीता रपटन पड़ गया. सीता रपटन शिला पर इंसानी पैरों के निशान भी मिलते हैं जिन्हें सीता के पदचिन्ह माना जाता है. जबकि इसके आसपास की जमीन पर घोड़े के पैरों जैसे स्थाई निशान हैं जिन्हें उस घोड़े के पदचिन्ह माना जाता है जिसे अश्वमेघ यज्ञ के दौरान लव-कुश ने बांध लिया था.





वहीं धार्मिक जानकार भी इस जगह को रामायण से जुड़ा मानते हैं और कहते हैं कि राम के वनवास का भी खासा वक्त मैकल की इन्हीं पहाड़ियों पर गुजरा था. जहां मंडला बसा है उस जगह को पौराणिक काल में महिष्मति के नाम से जाना जाता था, जहां ऋषियों की तपोभूमि हुआ करती थी.



पौराणिक किस्से-कहानियों से जुड़ी इस जगह की हकीकत शोध का विषय हो सकती है, लेकिन यहां की प्राकृतिक खूबसूरती और धार्मिक आस्था के चलते ये जगह पर्यटन का केंद्र बनती जा रही है जिसे देखने हजारों सैलानी यहां आते रहते हैं. 


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