ETV Bharat / state

नागपंचमी स्पेशल: राजीव मिश्रा सांपों की प्रजाति बचाने कला के सहारे कर रहे लोगों को जागरूक - मंडला न्यूज

मंडला जिले के राजीव मिश्रा नाग और सांपों की प्रजाति बचाने के लिए लकड़ी या बांस से सांप और नागों की आकृतियां बनाकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं.

Rajiv Mishra makes artwork of serpents
राजीव मिश्रा बनाते हैं नागों की कलाकृति
author img

By

Published : Jul 25, 2020, 3:48 PM IST

मंडला। नागलोक और नागों की दुनिया सभी को आकर्षित करती है, हर कोई इसके रहष्य को जानना चाहता है. दर्जनों फिल्में भी नाग नागिन की मोहब्बत, नागिन का बदला और अन्य विषय पर बन चुकी हैं, लेकिन एक ऐसे कलाकार हैं, जो सिर्फ नागों की ही कलाकृतियों को बनाते हैं और सांपों की प्रजाति बचाने के लिए काम कर रहे हैं. मंडला जिले के राजीव मिश्रा पेशे से शिक्षक हैं. उनकी कलाकृतियों की विशेषता है कि वो हर जगह लकड़ी या बांस की उन आकृतियों को तलाशते हैं जिनकी बनावट नाग या सांपों की प्रजाति जैसी दिखाई दें. इसके बाद उसे घर लाते हैं और उसमें कला की वो खूबसूरती भरते हैं जो हर किसी देखने वाले के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाए.

राजीव मिश्रा बनाते हैं नागों की कलाकृति

बचपन से ही रहा नागों का साथ-

ओरईं गांव के रहने वाले राजीव का कहना है कि उनका बचपन जिस घर में बीता वहां नागों का पूरा एक कुनबा ही था और घर में नाग-नागिन का चाहे जब निकल जाना आम बात थी, उनका छोटा भाई कई बार नागों को पकड़ कर दूर छोड़ आता था और हमेशा देखते रहने के चलते उन्हें कभी इनसे डर नहीं लगा. बल्कि उनसे एक लगाव सा हो गया, राजीव का कहना है कि जब तक लोग इन्हें किसी तरह से डिस्टर्ब न करें, ये कभी हमला नहीं करते, लेकिन लोग इन्हें आहिस्ता से भगाने की बजाय इन पर टूट पड़ते हैं और देखते ही मार देते हैं. जो सांपों या नागों की प्रजाति के कम होने का सबसे बड़ा कारण है.

सांपों की प्रजाति बचाने तैयार किए सर्पमित्र-

बचपन से सांप या नागों के बीच रहने के चलते इन्हें पकड़ना राजीव के लिए बहुत साधारण सी बात है जो एक कला है और इस कला को राजीव नई पीढ़ी को सिखाने का भी काम करते हैं. जिनके द्वारा दर्जन भर करीब सर्पमित्र तैयार किए गए हैं, जो कहीं भी निकलने वाले कितने भी जहरीले सांपों की प्रजाति को पकड़ने के साथ ही सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने का काम करते हैं और अब तक इन सर्पमित्रों ने हजारों की संख्या में सांपों को लोगों के द्वारा मारने से बचाया है.

एक दिन की पूजा नहीं हमेशा की जानी चाहिए सांपों की रक्षा-

हिन्दू धर्म में सांप या नाग को देवता का दर्जा मिला है, लेकिन लोग एक दिन तो इनकी पूजा करते हैं बाकी के सालभर इन्हें देखते ही मार देते हैं. जबकि ये प्रजाति मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को खाती है और प्रकृति के संतुलन में बहुत बड़ा योगदान देती है. ऐसे हमारी पृथ्वी को संतुलित करने के लिए हमेशा इस प्रजाति को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए.

कला को बनाया संरक्षण का जरिया-

राजीव कहते हैं कि सांप हो या फिर नाग या नागिन ये बहुत खूबसूरत और आबादी से दूर रहने वाले जीव हैं, जो जरा सी आहत पाते ही भाग जाते हैं, क्योंकि इन्हें मनुष्यों से डर लगता है, और ये तब तक हमला नहीं करते जब तक इन्हें खतरे का अहसास न हो, लेकिन मनुष्यों ने इनकी आबादी को बड़ी निर्दयता से कम करने का काम इनके प्रति भ्रांतियों के चलते किया है. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए राजीव नहीं लकड़ियों और बासों की जड़ों या टहनियों को माध्यम बनाया है. जिन्हें ये हूबहू सांप या नाग की शक्ल देते हैं, फिर उन्हें उतनी ही खूबसूरती से सजाते हैं और लोगों को उन्हें छूने और पकड़ने देते हैं, जिससे उनके मन से डर भाग जाए.

कलाकारी के जरिये खत्म हो रही नागों और सांपों की प्रजाति को बचाने के लिए एक तरफ जहां राजीव ने कला को माध्यम बनाया है. वहीं दूसरी तरफ सर्पमित्र भी तैयार कर रहे हैं. इस बात से समझा जा सकता है कि ये प्रजाति इंसानों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है. जरूरत है कि इस प्रजाति को भी जीने का अधिकार मनुष्यों द्वारा दिया जाए. इसके लिए जरूरत है, बस थोड़ी दया और सावधानी की. जिससे इनकी प्रजाति भी कायम रहे और इंसान भी सुरक्षित, वरना एक दिन ऐसा आएगा जब प्रकृति को संतुलित करने वाले ये जीव धरती से विलुप्त हो जाएंगे.

मंडला। नागलोक और नागों की दुनिया सभी को आकर्षित करती है, हर कोई इसके रहष्य को जानना चाहता है. दर्जनों फिल्में भी नाग नागिन की मोहब्बत, नागिन का बदला और अन्य विषय पर बन चुकी हैं, लेकिन एक ऐसे कलाकार हैं, जो सिर्फ नागों की ही कलाकृतियों को बनाते हैं और सांपों की प्रजाति बचाने के लिए काम कर रहे हैं. मंडला जिले के राजीव मिश्रा पेशे से शिक्षक हैं. उनकी कलाकृतियों की विशेषता है कि वो हर जगह लकड़ी या बांस की उन आकृतियों को तलाशते हैं जिनकी बनावट नाग या सांपों की प्रजाति जैसी दिखाई दें. इसके बाद उसे घर लाते हैं और उसमें कला की वो खूबसूरती भरते हैं जो हर किसी देखने वाले के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाए.

राजीव मिश्रा बनाते हैं नागों की कलाकृति

बचपन से ही रहा नागों का साथ-

ओरईं गांव के रहने वाले राजीव का कहना है कि उनका बचपन जिस घर में बीता वहां नागों का पूरा एक कुनबा ही था और घर में नाग-नागिन का चाहे जब निकल जाना आम बात थी, उनका छोटा भाई कई बार नागों को पकड़ कर दूर छोड़ आता था और हमेशा देखते रहने के चलते उन्हें कभी इनसे डर नहीं लगा. बल्कि उनसे एक लगाव सा हो गया, राजीव का कहना है कि जब तक लोग इन्हें किसी तरह से डिस्टर्ब न करें, ये कभी हमला नहीं करते, लेकिन लोग इन्हें आहिस्ता से भगाने की बजाय इन पर टूट पड़ते हैं और देखते ही मार देते हैं. जो सांपों या नागों की प्रजाति के कम होने का सबसे बड़ा कारण है.

सांपों की प्रजाति बचाने तैयार किए सर्पमित्र-

बचपन से सांप या नागों के बीच रहने के चलते इन्हें पकड़ना राजीव के लिए बहुत साधारण सी बात है जो एक कला है और इस कला को राजीव नई पीढ़ी को सिखाने का भी काम करते हैं. जिनके द्वारा दर्जन भर करीब सर्पमित्र तैयार किए गए हैं, जो कहीं भी निकलने वाले कितने भी जहरीले सांपों की प्रजाति को पकड़ने के साथ ही सुरक्षित स्थानों पर छोड़ने का काम करते हैं और अब तक इन सर्पमित्रों ने हजारों की संख्या में सांपों को लोगों के द्वारा मारने से बचाया है.

एक दिन की पूजा नहीं हमेशा की जानी चाहिए सांपों की रक्षा-

हिन्दू धर्म में सांप या नाग को देवता का दर्जा मिला है, लेकिन लोग एक दिन तो इनकी पूजा करते हैं बाकी के सालभर इन्हें देखते ही मार देते हैं. जबकि ये प्रजाति मनुष्य की सबसे अच्छी मित्र है, जो फसलों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों को खाती है और प्रकृति के संतुलन में बहुत बड़ा योगदान देती है. ऐसे हमारी पृथ्वी को संतुलित करने के लिए हमेशा इस प्रजाति को संरक्षित करने के प्रयास किए जाने चाहिए.

कला को बनाया संरक्षण का जरिया-

राजीव कहते हैं कि सांप हो या फिर नाग या नागिन ये बहुत खूबसूरत और आबादी से दूर रहने वाले जीव हैं, जो जरा सी आहत पाते ही भाग जाते हैं, क्योंकि इन्हें मनुष्यों से डर लगता है, और ये तब तक हमला नहीं करते जब तक इन्हें खतरे का अहसास न हो, लेकिन मनुष्यों ने इनकी आबादी को बड़ी निर्दयता से कम करने का काम इनके प्रति भ्रांतियों के चलते किया है. ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए राजीव नहीं लकड़ियों और बासों की जड़ों या टहनियों को माध्यम बनाया है. जिन्हें ये हूबहू सांप या नाग की शक्ल देते हैं, फिर उन्हें उतनी ही खूबसूरती से सजाते हैं और लोगों को उन्हें छूने और पकड़ने देते हैं, जिससे उनके मन से डर भाग जाए.

कलाकारी के जरिये खत्म हो रही नागों और सांपों की प्रजाति को बचाने के लिए एक तरफ जहां राजीव ने कला को माध्यम बनाया है. वहीं दूसरी तरफ सर्पमित्र भी तैयार कर रहे हैं. इस बात से समझा जा सकता है कि ये प्रजाति इंसानों के लिए कितनी महत्वपूर्ण है. जरूरत है कि इस प्रजाति को भी जीने का अधिकार मनुष्यों द्वारा दिया जाए. इसके लिए जरूरत है, बस थोड़ी दया और सावधानी की. जिससे इनकी प्रजाति भी कायम रहे और इंसान भी सुरक्षित, वरना एक दिन ऐसा आएगा जब प्रकृति को संतुलित करने वाले ये जीव धरती से विलुप्त हो जाएंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.