मंडला। कहते हैं इंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहीं होता, इंसानियत हर धर्म, मजहब, जाति, सीमा से परे होता है, इंसानियत सिर्फ दिलों का रिश्ता देखती है, जो हर उस दीवार को ढहा देती है, जो इंसानियत के बीच आती है. ऐसी ही कौमी एकता की मिसाल हैं नैनपुर के अंजनी तिवारी, जो रमजान के पाक महीने में रोजेदारों को इफ्तार कराते हैं. ऐसा ये पिछले 16 सालों से कर रहे हैं, हर बार रमजान के दौरान सैकड़ों रोजेदारों को इफ्तार कराते हैं.
अंजनी के पिता ने 16 साल पहले जो सिलसिला शुरू किया था, उसे अब वो आगे बढ़ा रहे हैं, अंजनी तिवारी रमजान में रोजेदारों को इफ्तार कराते हैं, जब इस बार लॉकडाउन हुआ तो एकबारगी ऐसा लगा कि इस बार इफ्तारी का ये सिलसिला टूट जाएगा, लेकिन जहां बात भाईचारे की होती है, वहां कोई मुश्किल भी ज्यादा देर तक नहीं टिक पाती है, इंसान हर मुश्किल में रास्ता निकाल ही लेता है.
अंजनी हर साल रमजान के मुबारक मौके पर नैनपुर के तमाम रोजेदारों को बड़ी ही शिद्दत से इफ्तार कराते हैं, इस बार लॉकडाउन के चलते इस सिलसिले के टूटने का डर था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और थोड़ी परेशानियों के बाद ही सही पर रोजेदारों के लिए जरूरी चीजें बनवाईं और उनके पैकेट बनवा कर निकल पड़े और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मस्जिद के बाद तमाम रोजेदारों के घर इफ्तार कराने.
अंजनी तिवारी करीब 200 लोगों के घर जाकर इफ्तार के लिए आलूबड़ा, गुलाब जामुन, नमकीन और केले दिए. वहीं मुस्लिम भाइयों ने भी उन्हें दिल से शुक्रिया किया, ये भारत में बसने वाले तमाम लोगों के बीच भाई चारे का वो उदाहरण है. जहां अंजनी महाराज इफ्तारी कराते हैं और काशिम अली उनका शुक्रिया अदा करते हैं.
अंजनी तिवारी के पिता आरएन तिवारी पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद राजनीति में हाथ आजमाए और पार्षद के बाद नगर पालिका नैनपुर के अध्यक्ष भी चुने गए, जिसकी वजह थी हिंदू-मुस्लिम सबको मानवता के चश्मे से देखना. खास बात तो ये है कि यही दिन थे, जब रमजान के मुबारक मौके पर रोजेदारों को इफ्तार कराते हुए उनकी सांस थम गई थी, जिसके बाद पिता की रीत को अंजनी पिछले 16 साल से खींचे जा रहे हैं. रमजान के पाक मौके पर ऊपर वाला भी ऐसे लोगों की मदद जरूर करता हैं, जो इस तहजीब के लिए विषम परिस्थितियों के बाद भी पीछे नहीं हटते हैं.