मंडला। भले ही सरकार हर जरूरतमंद को छत मुहैया कराने की बात कर रही है, लेकिन सरकार के मंसूबों पर जिम्मेदार किस तरह पानी फेर रहे हैं. इसकी बानगी देखने को मिली मंडला जिले के बिछिया विकास खंड के ककैया ग्राम पंचायत में, जहां मजबूर और गरीब दो हितग्राही परिवार हैं. जिनके आशियाने जर्जर हो चुके हैं. घर की छत से पानी टपक रहा है. आलम ये है कि इनके आशियाने कभी भी गिर सकते हैं. इन सबके बावजूद ग्राम पंचायत और जिम्मेदार अधिकारी अपनी आंखे बंद किए हादसे का इंतजार कर रहे हैं.
पंचायत भवन को बनाया आशियाना
मजबूर परिवार सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए कई अधिकारियों से मदद की गुहार लगा चुका है, लेकिन किसी ने इनकी सुध नहीं ली. जिसके बाद मजबूरन दोनों परिवार जरूरी सामान के साथ ग्राम पंचायत भवन पहुंच गए और उसी को अपना नया ठिकाना बना लिया है. जिसे देख ग्रामीण सकते में हैं. ग्रामीणों का कहना है कि जब तक उनके आवास नहीं बन जाते वे यहीं रहेंगे, जबकि जिम्मदारों का कहना है कि प्रक्रिया जारी है और प्राथमिकता के आधार पर आवास की स्वीकृति दी जा रही है.
9 साल से कर रहे स्वीकृति का इंतजार
प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकर हमेशा ही जिम्मदारों पर आरोप लगता है कि स्वीकृति की प्राथमिकता जर्जर भवन नहीं, उनके करीबी होते हैं. ऐसे में पक्के मकान वालों को पहले और जरूरतमन्दों को सालों तक स्वीकृति का इंतजार करना पड़ता है. बहरहाल 2011-12 से इंतजार कर रहे ये ग्रामीण एक बार फिर आश्वासन की गठरी लिए पंचायत भवन पहुंच गए हैं.