मंडला। नैनपुर तहसील मुख्यालय का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. यहां महिलाओं को प्रसूति वार्ड से बाहर बरामदे में पलंग पर भर्ती कर रखा जा रहा है, जबकि दवाई सहित जरूरी सामान टपकती छत और सीलन भरी दीवारों के बीच रखा जा रहा है. वहीं 100 बिस्तरों का नया अस्पताल उद्घाटन की बाट जोह रहा है.
नैनपुर में तीन जिलों के करीब 100 गांव के लोग इलाज कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आते हैं, जो इतने मरीजों का दबाव झेलने में विफल हो रहा है. पुरानी बिल्डिंग भी अब जबाब दे चुकी है, जिसकी छतों से पानी टपक रहा है. आलम यह है कि दीवारों में सीलन के साथ ही दीमक आसानी से दिख रहे हैं.
प्रसूति वार्ड में नहीं है जगह
शिशु रोग विशेषज्ञ और बीएमओ के अनुसार अस्पताल के पास एक दिन में 8 या 10 महिलाओं की ही डिलेवरी कराने की छमता है, जिसके उलट दिन में 12 से 15 के आसपास डिलेवरी के केस आते हैं, जिन्हें भर्ती करना जरूरी होता है. ऐसे में वार्ड में जगह नहीं होने के चलते बाहर बरामदे में पलंग लगाया जा रहा है, जो इलाज और सुरक्षा के लिहाज से लगातार परेशानी का सबब बनता जा रहा है.
टपकती छत और सीलन भरी दीवारें
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन काफी पुराना हो चुका है. बरसात के दिनों में इसकी छतें टपकने लगती हैं. इसी बीच मरीजों को भर्ती करने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और विभाग से जुड़े सारे कार्य करने होते हैं. दीवारों के आलम यह है पानी के रिसाव से सभी दीवारों में सीलन आ जाती है. इसकी वजह से दीमक भी लगने लगते हैं, जो दस्तावेज और दवाओं के लिहाज से नुकसान पहुंचाते है.
दवाई भी नहीं सुरक्षित
दवाई रखने के स्टोर रूम और सैम्पल जांच की प्रयोग शाला में गीली दीवारों के बीच कार्य करना पड़ता है. ऐसे में न तो दवाई सुरक्षित रहती है और न ही कर्मचारी निरापद हो पाते हैं, लेकिन मजबूरी यह कि पुराने समय से इन्ही स्थानों पर व्यवस्था की गईं हैं, जिसे कहीं ओर शिफ्ट करने का स्थान ही नहीं है.
उद्घाटन के इंतजार में 100 बिस्तर वाला भवन
जर्जर भवन और बढ़ते मरीजों की वजह से चिकित्सा स्टाफ को लगातार दिक्कतें हो रही है. इस दबाब को देखते हुए नैनपुर में ही 3 किलोमीटर दूर 100 बिस्तरों का अस्पताल बन कर तैयार हो गया है, जो बीएमओ के अनुसार विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया गया है, जहां पुराने अस्पताल को शिफ्ट किए जाने के संबंध में पत्र लिखा जा चुका हैं, लेकिन अभी भी इस नए अस्पताल का उद्घाटन नहीं हो पाया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा-जल्द होगा शिफ्ट
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि पुराने अस्पताल को जल्द शिफ्ट किया जायेगा. इस संबंध में प्रक्रिया चालू है, जिसका लाभ शीघ्र लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ मिलेगा.
जिले भर में कोरोना का प्रकोप रफ्तार पकड़ चुका है. ऐसे में संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए नए भवन में पुराने सामुदायिक केन्द्र को शिफ्ट किया जाना आवश्यक है, जिससे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा सुरक्षित इलाज और सेवाओं का अवसर मिल सके.
नैनपुर का बदहाल अस्पताल, सीलन और टपकती छत के नीचे हो रहा इलाज
मंडला जिले में अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गुणवत्ताहीन होते जा रहे हैं, जहां बरसात के मौसम में सीलन और टपकती छत के नीचे मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
मंडला। नैनपुर तहसील मुख्यालय का सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह से बदहाल हो चुका है. यहां महिलाओं को प्रसूति वार्ड से बाहर बरामदे में पलंग पर भर्ती कर रखा जा रहा है, जबकि दवाई सहित जरूरी सामान टपकती छत और सीलन भरी दीवारों के बीच रखा जा रहा है. वहीं 100 बिस्तरों का नया अस्पताल उद्घाटन की बाट जोह रहा है.
नैनपुर में तीन जिलों के करीब 100 गांव के लोग इलाज कराने के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आते हैं, जो इतने मरीजों का दबाव झेलने में विफल हो रहा है. पुरानी बिल्डिंग भी अब जबाब दे चुकी है, जिसकी छतों से पानी टपक रहा है. आलम यह है कि दीवारों में सीलन के साथ ही दीमक आसानी से दिख रहे हैं.
प्रसूति वार्ड में नहीं है जगह
शिशु रोग विशेषज्ञ और बीएमओ के अनुसार अस्पताल के पास एक दिन में 8 या 10 महिलाओं की ही डिलेवरी कराने की छमता है, जिसके उलट दिन में 12 से 15 के आसपास डिलेवरी के केस आते हैं, जिन्हें भर्ती करना जरूरी होता है. ऐसे में वार्ड में जगह नहीं होने के चलते बाहर बरामदे में पलंग लगाया जा रहा है, जो इलाज और सुरक्षा के लिहाज से लगातार परेशानी का सबब बनता जा रहा है.
टपकती छत और सीलन भरी दीवारें
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन काफी पुराना हो चुका है. बरसात के दिनों में इसकी छतें टपकने लगती हैं. इसी बीच मरीजों को भर्ती करने के साथ ही स्वास्थ्य सेवाओं और विभाग से जुड़े सारे कार्य करने होते हैं. दीवारों के आलम यह है पानी के रिसाव से सभी दीवारों में सीलन आ जाती है. इसकी वजह से दीमक भी लगने लगते हैं, जो दस्तावेज और दवाओं के लिहाज से नुकसान पहुंचाते है.
दवाई भी नहीं सुरक्षित
दवाई रखने के स्टोर रूम और सैम्पल जांच की प्रयोग शाला में गीली दीवारों के बीच कार्य करना पड़ता है. ऐसे में न तो दवाई सुरक्षित रहती है और न ही कर्मचारी निरापद हो पाते हैं, लेकिन मजबूरी यह कि पुराने समय से इन्ही स्थानों पर व्यवस्था की गईं हैं, जिसे कहीं ओर शिफ्ट करने का स्थान ही नहीं है.
उद्घाटन के इंतजार में 100 बिस्तर वाला भवन
जर्जर भवन और बढ़ते मरीजों की वजह से चिकित्सा स्टाफ को लगातार दिक्कतें हो रही है. इस दबाब को देखते हुए नैनपुर में ही 3 किलोमीटर दूर 100 बिस्तरों का अस्पताल बन कर तैयार हो गया है, जो बीएमओ के अनुसार विभाग को हस्तांतरित भी कर दिया गया है, जहां पुराने अस्पताल को शिफ्ट किए जाने के संबंध में पत्र लिखा जा चुका हैं, लेकिन अभी भी इस नए अस्पताल का उद्घाटन नहीं हो पाया है.
केंद्रीय मंत्री ने कहा-जल्द होगा शिफ्ट
केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कहा कि पुराने अस्पताल को जल्द शिफ्ट किया जायेगा. इस संबंध में प्रक्रिया चालू है, जिसका लाभ शीघ्र लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ मिलेगा.
जिले भर में कोरोना का प्रकोप रफ्तार पकड़ चुका है. ऐसे में संक्रमण के खतरे को रोकने के लिए नए भवन में पुराने सामुदायिक केन्द्र को शिफ्ट किया जाना आवश्यक है, जिससे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों द्वारा सुरक्षित इलाज और सेवाओं का अवसर मिल सके.