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भीषण गर्मी से सूखने लगे कुएं-नल, प्यास से व्याकुल जन-जन

गर्मी बढ़ते ही बुंदेलखंड के ज्यादातर हिस्सों में पानी की किल्लत बढ़ने लगी है, लोग पूरी रात जागकर बूंद-बूंद पानी का इंतजार कर रहे हैं, जबकि पानी के लिए कई किमी का फासला भी तय कर रहे हैं. बच्चे, बूढ़े, बुजुर्ग सब पूरे दिन पानी की तलाश में ही भटक रहे हैं और सरकार है कि कोई सुध ही नहीं ले रही.

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Published : May 29, 2019, 2:34 PM IST

Updated : May 29, 2019, 2:40 PM IST

पानी की किल्लत

दमोह/मंडला। ऊपर से आग उगलता सूरज, नीचे दहकती धरती और सूखते जल स्रोत जन-जन के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं. भीषण गर्मी के चलते पानी के लिए हाहाकार मचा है, इंसान ही नहीं जीव-जंतु भी प्यास से व्याकुल हैं, कई जगहों पर लोग बड़ी मुश्किल से बूंद-बूंद पानी जुटा कर गला तर कर रहे हैं. तो आदिवासी बाहुल्य मंडला के बीजाडांडी विकास खंड और दमोह के पथरिया से सटे लखरोनी में लोग एक बूंद पानी को तरस रहे हैं. नल से पानी नहीं आ रहा और कुएं सूख चुके हैं, कुछ कुओं में थोड़ा-थोड़ा पानी झरता रहता है, जिस पर दर्जनों लोग नजरें गड़ाये रहते हैं, जिसके लिए इन्हें पूरी रात जागना पड़ता है.

पानी की किल्लत

किस तरह लोग पानी के लिए पूरी रात जाग रहे हैं और कुएं की तह से झर रहे एक-एक बूंद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यहां पानी नहीं मिला तो उन्हें तीन किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा, तब कहीं जाकर उनकी प्यास बुझेगी. यही वजह है कि क्या बच्चे क्या बड़े और क्या बूढ़े, सब के सब दिन भर पानी की तलाश में भटकते रहते हैं और तमाम शिकायतों के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों में पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं है, हर चुनाव-हर मौके पर बुंदेलखंड की प्यास बुझाने के वादे-दावे होते रहे हैं, लेकिन आज तक बुंदेलखंड की प्यास बुझी नहीं. अब सरकार इनकी सुध लेती है या इन्हें इनके हाल पर छोड़ देती है, ये तो वक्त ही बतायेगा.

दमोह/मंडला। ऊपर से आग उगलता सूरज, नीचे दहकती धरती और सूखते जल स्रोत जन-जन के लिए संकट खड़ा कर रहे हैं. भीषण गर्मी के चलते पानी के लिए हाहाकार मचा है, इंसान ही नहीं जीव-जंतु भी प्यास से व्याकुल हैं, कई जगहों पर लोग बड़ी मुश्किल से बूंद-बूंद पानी जुटा कर गला तर कर रहे हैं. तो आदिवासी बाहुल्य मंडला के बीजाडांडी विकास खंड और दमोह के पथरिया से सटे लखरोनी में लोग एक बूंद पानी को तरस रहे हैं. नल से पानी नहीं आ रहा और कुएं सूख चुके हैं, कुछ कुओं में थोड़ा-थोड़ा पानी झरता रहता है, जिस पर दर्जनों लोग नजरें गड़ाये रहते हैं, जिसके लिए इन्हें पूरी रात जागना पड़ता है.

पानी की किल्लत

किस तरह लोग पानी के लिए पूरी रात जाग रहे हैं और कुएं की तह से झर रहे एक-एक बूंद का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं क्योंकि यहां पानी नहीं मिला तो उन्हें तीन किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा, तब कहीं जाकर उनकी प्यास बुझेगी. यही वजह है कि क्या बच्चे क्या बड़े और क्या बूढ़े, सब के सब दिन भर पानी की तलाश में भटकते रहते हैं और तमाम शिकायतों के बावजूद प्रशासन इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है.

बुंदेलखंड के ज्यादातर इलाकों में पानी की किल्लत कोई नई बात नहीं है, हर चुनाव-हर मौके पर बुंदेलखंड की प्यास बुझाने के वादे-दावे होते रहे हैं, लेकिन आज तक बुंदेलखंड की प्यास बुझी नहीं. अब सरकार इनकी सुध लेती है या इन्हें इनके हाल पर छोड़ देती है, ये तो वक्त ही बतायेगा.

Intro:29-5-19 निवास/मंडला मप्र से राहुल सिसौदिया

स्लग-भीषण जल संकट

ऐंकर-जिले के निवास विधानसभा क्षेत्र के बीजाडांडी विकाशखंड के लोग भीषण जल संकट से जूझ रहें यहाँ पर शासन प्रशासन की सारी योजनाए धरासाई होती नजर आरही हैं क्षेत्र में पीने के पानी के लियें त्राहि त्राहि मची हुई है, पानी न होने की वजह से ग्रामीण जन काम धंधे पर भी नही जा पारहे हैं क्षेत्र के अधिकांस हैण्डपम्प, कुँआ, तालाब सूख चुके हैं यहाँ के बाशिंदे बूंद बूंद पानी को तरस रहें हैं, ग्रामीणों को कई किलोमीटर दूर पैदल चलकर दूसरे गाँवो से पीने का पानी लाना पड़ रहा है, क्षेत्र में पानी की कमी के चलते ग्रामीण जन अपने पालतू मवेसियो को बेंचने मजबूर है एक ऐसा गांव समनापुर है जो बीजाडांडी विकासखंड क्षेत्र में आता है यहाँ के बाशिंदे एक एक बूंद पानी के लियें तरस रहें है।

Body:ग्राम पंचायत समनापुर में रहने वाली राधाबाई बताती हैं, गांव के कुँए, तालाब, पूरी तरह सूख चुके है हेडपम्प वहा उगल रहें हैं गांव में नतो लोगो के लियें पानी हैं और नाही मवेशियों के लियें हम तो जैसे तैसे दूसरे गांव से पानी लाकर अपनी प्यास भुजालेते हैं लेकिन ये बे जुबान जानवर कहाँ जायें, पानी की समस्या के लिये हमने कई बार पंचायत वालो को बोला कई बार पीएचई विभाग को बोला लेकिन कोई भी इस तरफ ध्यान देने को तैयार नही हैं। कुँए से पानी भरना के लियें रात रात भर जागना पड़ता हैं क्यों कि दिन समय तो कुँए में पानी रहता नही हैं रात के समय कुँए में जब पानी इकठ्ठा हो जाता हैं तो सभी लोग अपनी अपनी बारी से पानी भरते हैं बो आधे से ज्यादा रह जाते हैं तो बो लोग यहाँ से करीब दो किमी दूर उदयपुर से पैदल चल कर पानी लाते हैं तब कही जाकर हमें पीने का पानी नसीब हो पाता हैं लेकिन अब उदयपुर में भी हैडपम्पो का जल स्तर घटना जारहा हैं जिस कारण वहाँ के लोग भी हमें पानी देने से मना करने लगें हैं, अगर जल्द से जल्द हमारे गांव में पानी की समस्या का समाधान नही हुआ तो हमें गांव छोड़ना पड़ेगा और मवेशियों को पियास मरना पड़ेगा।

Conclusion:बीजाडांडी विकाशखंड की दर्जनों ग्रामो में भीषण जल संकट छाया हुआ हैं जिसका जीता जागता सबूत आप ग्राम पंचायत समनापुर में देख सक्ते हैं गांव के कुएँ, तालाब, सूख चुके हैं। हैडपम्प हवा उगल रहें हैं यहाँ रहने वाले ग्रामीण बूंद बूंद पानी को तरस रहें हैं गांव में पानी की कमी के चलते ग्रामीण मवेशियों को बेंच रहें हैं। अपनी रोज मर्रा की जिंदगी चलाने के लियें ग्रामीण रात्रि के समय अपनी जान खतरे में डालकर रस्सी के सहारे कुँए के अंदर घुस कर डब्बे से बाल्टी को भरते तब कही जाकर कुछ ही परिवारों को कीचड़ से सना हुआ गंदा पानी नसीब होता हैं उसी पानी को ग्रामीण खाना पीना बनाने में स्तेमाल करते हैं अगर जिन ग्रामीण को कुएँ से पानी नही मिला तो बो लोग सुबह होते ही गांव से दो किमी दूर ग्राम उदयपुर से पानी लेने जाते है। वही कुछ ग्रामीणों का यह भी कहना हैं की पानी की कमी के चलते हम लोग मेहनत मजदूरी करने भी नही जा पारहे हैं। अगर शासन प्रशादन ने जल्द से जल्द पानी की समस्या का निवारण नही किया तो हमें मजबूरन गांव छोड़ना पड़ेगा। जब इस बारे में सरपंच सचिव से बात की गई तो उनका कहना हैं हमने कई बार पीएचई विभाग को बोला हैं लेकिन पीएचई विभाग समय रहते कोई कार्य नही करता जिस वजह से गांव में पानी की समस्या खड़ी हो गई हैं लेकिन बहुत जल्द इसका निदान कर दिया जाएंगे।

बाइट 1- राधा अग्रवाल- ग्रामीण
बाइट 2- सीमा पुट्टा- ग्रामीण
बाइट 3- सन्तर यादव- ग्रामीण
बाइट 4- ग्रामीण महिला

राहुल सिसौदिया-निवास/मंडला मप्र
7987536631
Last Updated : May 29, 2019, 2:40 PM IST
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