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मंडला में वेंटिलेटर पर स्वास्थ्य सुविधाएं, दस्तक अभियान ने खोली स्वास्थ्य विभाग की पोल - mandla 44th rank in dastak abhiyan

जिले में चलाए गए दस्तक अभियान के आंकड़े काफी चौंकाने वाले आए हैं. आंकड़ों में मण्डला को 100 में से 44वां स्थान मिला है वहीं महिलाओं की स्थिति बेहद चिंताजनक है.

दस्तक अभियान की रिपोर्ट
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Published : Aug 5, 2019, 4:01 AM IST

मण्डला। जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं वेंटिलेटर पर हैं, क्योंकि दस्तक अभियान के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक मंडला में शून्य से लेकर 5 साल तक के बच्चों के परीक्षण में 44वां स्थान मिला है. इसके साथ ही महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है, क्योंकि जिले की ज्यादातर महिलाएं एनिमिया यानि खून की कमी से ग्रस्त हैं.

दस्तक अभियान की रिपोर्ट

परीक्षण के जारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में शून्य से 5 साल के 52.4% बच्चे अंडरवेट यानि की कम वजन के हैं, जिन्हें सीधे तौर पर कुपोषित कहा जा सकता है. वहीं 6 माह से 59 माह यानि करीब 5 साल तक के 69.7% बच्चे एनिमिया के शिकार हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं की बात करें तो 49 साल तक की 70 % महिलाएं एनिमिक हैं.

जारी आंकड़ों को देखा जाए तो सवाल उठता है कि साल भर स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगाए जाने वाले अवेयरनेस कैम्प जिनमें लाखों रुपए बहा दिए जाते हैं, इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिती दयनीय बनी हुई है.

पूरे मामले पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशांत दीप ठाकुर का कहना है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में जगरुकता की कमी के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. साथ ही कहा कि ऐसे सभी बच्चों की जांच कराकर उनका इलाज किया जायेगा.

मण्डला। जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं वेंटिलेटर पर हैं, क्योंकि दस्तक अभियान के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक मंडला में शून्य से लेकर 5 साल तक के बच्चों के परीक्षण में 44वां स्थान मिला है. इसके साथ ही महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है, क्योंकि जिले की ज्यादातर महिलाएं एनिमिया यानि खून की कमी से ग्रस्त हैं.

दस्तक अभियान की रिपोर्ट

परीक्षण के जारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में शून्य से 5 साल के 52.4% बच्चे अंडरवेट यानि की कम वजन के हैं, जिन्हें सीधे तौर पर कुपोषित कहा जा सकता है. वहीं 6 माह से 59 माह यानि करीब 5 साल तक के 69.7% बच्चे एनिमिया के शिकार हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं की बात करें तो 49 साल तक की 70 % महिलाएं एनिमिक हैं.

जारी आंकड़ों को देखा जाए तो सवाल उठता है कि साल भर स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगाए जाने वाले अवेयरनेस कैम्प जिनमें लाखों रुपए बहा दिए जाते हैं, इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिती दयनीय बनी हुई है.

पूरे मामले पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशांत दीप ठाकुर का कहना है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में जगरुकता की कमी के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. साथ ही कहा कि ऐसे सभी बच्चों की जांच कराकर उनका इलाज किया जायेगा.

Intro:मण्डला जिले को दस्तक अभियान में 0 से 5 साल के बच्चों के परीक्षण में प्रदेश में 44 वां स्थान मिला है जो स्वास्थ्य विभाग के हो या महिला बाल विकास विभाग के लिहाज से बहुत बेकार कहा जा सकता हैं क्योंकि इस जिले में सारी योजनाओं का क्रियान्वयन सही तरीक़े से नहीं हो रहा, बच्चे एनिमिक और कुपोषण का शिकार हो रहे हैं वहीं महिलाओं की भी इस्थिति कुछ अच्छी नहीं कही जा सक्तु


Body:मण्डला जिले में 0 से 5 साल के 52.4% अंडरवेट याने की कम बजन के हैं जिन्हें सीधे तौर पर कुपोषित कहा जा सकता है वहीं 6 माह से 59 माह मतलब करीब 5 साल के 69.7% बच्चे एनिमिया के शिकार हैं गर्ववती महिलाओं की बात करें तो 49 साल तक की तो नॉन प्रग्नेंट 15 से 49 साल की 70 % महिलाएं एनिमिक हैं,और ये आंकड़े बताने को काफी हैं कि मण्डला जिले के स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग के द्वारा चलाई जा रही बच्चों और महिलाओं की योजनाओं का कितना लाभ जमीनी स्तर तक पहुँच पा रहा है,प्रदेश के साथ ही जिले में अभी दस्तक अभियान चलाया गया था जिसमें घर घर जाकर स्वास्थ्य विभाग और आईसीडीएस के अमले ने बच्चों की जाँच की थी जिसके बाद जो आँकड़े सामने निकल कर सामने आए उसके अनुसार मण्डला को सारे जिलों के मुकाबले 44 वीं रैंकिंग मिली है जो यह बताने के लिए काफी है कि जिले में सेवाएं किस तरह की ग्रामीण स्तर तक पहुँच पा रही हैं,और बच्चे कुपोषण के साथ ही खून की कमी से प्रभावित हो रहे हैं


Conclusion:जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशांत दीप ठाकुर के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रो में जगरूकता की कमी के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे और उनकी जाँच कर सभी का उपचार किया जाता है लेकिन स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग के द्वारा फिर किस बात के केम्प साल भर लगाए जाते हैं या फिर लाखों रुपया अवेयरनेस प्रोग्राम आयोजित किये जाते हैं जब उनका कोई लाभ ही नज़र नहीं आ रहा।

बाईट--प्रशांत दीप ठाकुर,जिला म बा वि अधिकारी मण्डला
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