मण्डला। जिले में स्वास्थ्य सुविधाएं वेंटिलेटर पर हैं, क्योंकि दस्तक अभियान के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं. इन आंकड़ों के मुताबिक मंडला में शून्य से लेकर 5 साल तक के बच्चों के परीक्षण में 44वां स्थान मिला है. इसके साथ ही महिलाओं की स्थिति बेहद खराब है, क्योंकि जिले की ज्यादातर महिलाएं एनिमिया यानि खून की कमी से ग्रस्त हैं.
परीक्षण के जारी आंकड़ों के मुताबिक जिले में शून्य से 5 साल के 52.4% बच्चे अंडरवेट यानि की कम वजन के हैं, जिन्हें सीधे तौर पर कुपोषित कहा जा सकता है. वहीं 6 माह से 59 माह यानि करीब 5 साल तक के 69.7% बच्चे एनिमिया के शिकार हैं. वहीं गर्भवती महिलाओं की बात करें तो 49 साल तक की 70 % महिलाएं एनिमिक हैं.
जारी आंकड़ों को देखा जाए तो सवाल उठता है कि साल भर स्वास्थ्य विभाग और महिला बाल विकास विभाग द्वारा लगाए जाने वाले अवेयरनेस कैम्प जिनमें लाखों रुपए बहा दिए जाते हैं, इसके बावजूद जिले में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिती दयनीय बनी हुई है.
पूरे मामले पर जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी प्रशांत दीप ठाकुर का कहना है कि, ग्रामीण क्षेत्रों में जगरुकता की कमी के चलते बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. साथ ही कहा कि ऐसे सभी बच्चों की जांच कराकर उनका इलाज किया जायेगा.