मंडला। बीते हफ्ते हुई लगातार बारिश के चलते मण्डला जिले की तमाम नदियां उफान पर आ गई हैं. बाढ़ ने सभी पुलों को अपने आगोश में ले लिया है. इसके बाद जब बारिश थमी और नदियों का जल स्तर कम हुआ तो पता चला कि अपनी उम्र जी चुके पुल इस कदर धराशायी या छतिग्रस्त हो गए कि इनकी मरम्मत करना अब शासन प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती बन गया है. कुछ यही हाल है मण्डला जिले को सिवनी, बालाघाट और महाराष्ट्र से जोड़ने वाले नैनपुर के थांवर पुल का. Thanwar bridge Connecting Mandla Seoni
कछुआ चाल से चल रहा निर्माण कार्य: थांवर पुल पर 3 दिन तो संपर्क पूरी तरह से टूटा रहा, इसके बाद भी इस पुल की मरम्मत नहीं हो पाई. लोगों को तकरीबन 25 से 30 किलोमीटर चलकर नैनपुर जाना पड़ रहा है. इसके बाद भी कोई जिम्मेदार यह बताने को सामने नहीं आ रहा कि ये हालात कब तक बने रहेंगे. ऐसा नहीं कि यह पुल सिर्फ इसी बरसात में डूबा हो. बारिश में पुल डूब जाने से हर साल यहां मार्ग अवरुद्ध हो जाता है. इसे देखते हुए नए पुल निर्माण की स्वीकृति भी हुई. कछुआ चाल से बन रहा पुल 2 सीजन निकल जाने के बाद भी पूरी तरह तैयार नहीं हुआ है.
सांसद ने भी नहीं दिया पुल की हालत पर ध्यान: देश के केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते (Faggan Singh Kulaste) के संसदीय क्षेत्र,सिवनी जिले और मण्डला को जोड़ने वाले पुल के कार्य को लेकर उन्होंने भी चिंता नहीं जताई. पुल का निर्माण तेज गति से होना चाहिए, लेकिन कार्य उतना ही धीरे चल रहा है जो शासन प्रशासन की अनदेखी का नजारा पेश करता है. जिससे परेशान वही जनता हो रही है जिनके दिये हुए टैक्स से ये तमाम निर्माण और विकास कार्य होते हैं. हांलकि इस जर्जर हो चुके पुल को फिर से जोड़कर आवागमन के लायक बनाने की बात की जा रही है. लेकिन इसकी मजबूती पर लग रहे प्रश्नचिन्ह के बाद भी लोग कब तक इस पुल से जाने को मजबूर होंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता. क्योंकि एक यही पुल है जो लोगों के लिए जरूरी भी है और मजबूरी भी.
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