ETV Bharat / state

झाड़ू ने विदेश में दिलाई पहचान, छिंद के पत्तों से बनाती हैं नई कलाकृतियां

मंडला जिले की तुइयापानी जैसे छोटे से गांव की कांता बाई ने देश विदेश में काफी नाम कमाया. कांता बाई ने केवल भारत में नहीं बल्कि अपनी कला का लोहा विदेशी जमीन पर भी मनवाया है.

author img

By

Published : Sep 1, 2019, 1:23 PM IST

Updated : Sep 1, 2019, 1:30 PM IST

कांता बाई पत्तियों से बनाती हैं नए-नए उत्पाद

मंडला। झाड़ू बनाने वाली छिंद की पत्तियों से सैकड़ों उत्पाद बना कर जिले की तुइयापानी जैसे छोटे से गांव की कांता बाई ने देश विदेश में काफी नाम कमाया. कांता बाई ने केवल भारत में नहीं बल्कि अपनी कला का लोहा विदेशी जमीन पर भी मनवाया है. आज देश के किसी भी प्रांत में कैसा भी आर्ट एंड क्राफ्ट मेला लगे, कांता बाई को वहां जरूर बुलाया जाता है.

कांता बाई के घर पर कई पीढ़ियों से झाड़ू बनाने का काम चलता था, लेकिन कांता बाई खड़गे को लगा कि झाड़ू में ही कुछ ऐसे प्रयोग किए जा सकते हैं, जिससे इसकी कीमत बढ़ जाए. फिर उस कला का जन्म हुआ जिसका सफर मण्डला जिले की पिण्डरी से नैनपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और यहां इनकी झाड़ू हाथों-हाथ बिकने लगीं. जिसने कांता बाई को और भी कुछ नया करने की प्रेरणा दी. जिसके बाद जिला पंचायत ने कांता बाई के उत्पादों को प्रदेश में लगाए जाने वाले मेलों में भेजना चालू किया. कांता बाई नए-नए उत्पाद बनाने को प्रेरित करता है और आज वे घर की जरूरत के 118 प्रकार के सामान जिनमें फ्लॉवर पॉट, हेट, बहुत प्रकार की झाड़ू, बेड डस्टर, लेपटॉप डस्टर, फ्रूट बकेट जैसी चीजें बना रही हैं.

कांता बाई पत्तियों से बनाती हैं नए-नए उत्पाद

जिला पंचायत कला दीर्घा के मैनेजर सुधीर कांस्कार बताते हैं कि ये एक महिला के उत्साह कला के प्रति लगन और मेहनत की वो कहानी है जो तुइयापानी जैसे छोटे से गांव से शुरू होती है और जिले का नाम देश विदेश में रोशन करती है. दिल्ली से लेकर हर प्रदेश के सभी मेलों में शिरकत करने वाली ये ग्रामीण महिला साऊदी अरब भी हो आईं है. जहां इनकी कला को खूब सराहा गया. 2019 के हरियाणा में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय सूर्य कुंड मेले में इन्हें कला मणि अवार्ड के साथ 11 हजार की राशि भी दी गयी थी.

मंडला। झाड़ू बनाने वाली छिंद की पत्तियों से सैकड़ों उत्पाद बना कर जिले की तुइयापानी जैसे छोटे से गांव की कांता बाई ने देश विदेश में काफी नाम कमाया. कांता बाई ने केवल भारत में नहीं बल्कि अपनी कला का लोहा विदेशी जमीन पर भी मनवाया है. आज देश के किसी भी प्रांत में कैसा भी आर्ट एंड क्राफ्ट मेला लगे, कांता बाई को वहां जरूर बुलाया जाता है.

कांता बाई के घर पर कई पीढ़ियों से झाड़ू बनाने का काम चलता था, लेकिन कांता बाई खड़गे को लगा कि झाड़ू में ही कुछ ऐसे प्रयोग किए जा सकते हैं, जिससे इसकी कीमत बढ़ जाए. फिर उस कला का जन्म हुआ जिसका सफर मण्डला जिले की पिण्डरी से नैनपुर रेलवे स्टेशन पहुंचा और यहां इनकी झाड़ू हाथों-हाथ बिकने लगीं. जिसने कांता बाई को और भी कुछ नया करने की प्रेरणा दी. जिसके बाद जिला पंचायत ने कांता बाई के उत्पादों को प्रदेश में लगाए जाने वाले मेलों में भेजना चालू किया. कांता बाई नए-नए उत्पाद बनाने को प्रेरित करता है और आज वे घर की जरूरत के 118 प्रकार के सामान जिनमें फ्लॉवर पॉट, हेट, बहुत प्रकार की झाड़ू, बेड डस्टर, लेपटॉप डस्टर, फ्रूट बकेट जैसी चीजें बना रही हैं.

कांता बाई पत्तियों से बनाती हैं नए-नए उत्पाद

जिला पंचायत कला दीर्घा के मैनेजर सुधीर कांस्कार बताते हैं कि ये एक महिला के उत्साह कला के प्रति लगन और मेहनत की वो कहानी है जो तुइयापानी जैसे छोटे से गांव से शुरू होती है और जिले का नाम देश विदेश में रोशन करती है. दिल्ली से लेकर हर प्रदेश के सभी मेलों में शिरकत करने वाली ये ग्रामीण महिला साऊदी अरब भी हो आईं है. जहां इनकी कला को खूब सराहा गया. 2019 के हरियाणा में लगने वाले अंतर्राष्ट्रीय सूर्य कुंड मेले में इन्हें कला मणि अवार्ड के साथ 11 हजार की राशि भी दी गयी थी.

Intro:क्या आप सोच सकते हैं कि झाड़ू बनाने वाली छींद की पत्तियों (खजूर) से सैकड़ों उत्पाद बना कर कोई देश विदेश में नाम कमा सकता है,लेकिन कांता बाई वो महिला है जिसने न केवल भारत मे बल्कि अपनी कला का लोहा विदेशी जमीन पर भी मनवाया है आज देश के किसी भी प्रांत में कैसा भी आर्ट एंड क्राफ्ट मेला लगे कांता बाई को वहाँ जरूर बुलाया जाता है।


Body:घर पर कई पीढियों से झाड़ू बनाने का काम चलता था लेकिन कांता बाई खड़गे को लगा कि झाड़ू में ही कुछ ऐसे प्रयोग करें कि इसकी कीमत बढ़ जाए और फिर उस कला का जन्म हुआ जिसका सफर मण्डला जिले की पिण्डरी से नैनपुर रेलवे स्टेशन पहुँचा और यहाँ इनकी झाड़ू हाथों हाथ बिकने लगी जिसने कांता बाई को और भी कुछ नया करने की प्रेरणा दी,फिर जिला पंचायत ने कांता बाई के उत्पादों को प्रदेश में लगाए जाने वाले मेलों में भेजना चालू किया और फिर कांता ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा,दिल्ली से लेकर हर प्रदेश के सभी मेलों में शिरकत करने वाली यह ग्रामीण महिला साऊदी अरब भी हो आईं है जहाँ इनकी कला को खूब सराहा गया। 2019 के हरियाणा में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय सूर्य कुंड मेले में इन्हें कला मणि अवार्ड के साथ ही 11 हजार की राशि भी दी गयी थी।


Conclusion:जिला पंचायत कला दीर्घा के मैनेजर सुधीर कांस्कार बताते हैं कि यह एक महिला के उत्साह कला के प्रति लगन और मेहनत की वो कहानी है जो तुइयापानी जैसे छोटे से गाँव से शुरू होती है और जिले का नाम देश विदेश में रौशन करती है,वहीं कांता बाई का कहना है कि उनकी कला को मिलने वाला सम्मान उनकी प्रेरणा है जो नए नए उत्पाद बनाने को प्रेरित करता है और आज वे घर के जरूरत के 118 प्रकार के सामान,जिनमे,फ्लॉवर पॉट,हेट, बहुत प्रकार की झाड़ू,बेड डस्टर,लेपटॉप डस्टर,फ्रूट बकेट जैसी चीजें बना रही हैं।

बाईट--सुधीर कांस्कार, मैनेजर,कला दीर्घा
बाईट--कांता बाई,छींद कलाकार
Last Updated : Sep 1, 2019, 1:30 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.