मंडला। जिले के विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क में जानवरों के लिए बीते 3 महीने बहुत बुरे बीते हैं. यहां लगातार जानवरों के शिकार या फिर उनके मारे जाने की खबरें आती रही हैं, जो कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक को उजागर कर रही है. वहीं दूसरी तरफ कान्हा नेशनल पार्क की उप संचालक सुचित्रा तिर्की ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि प्रोटीन के लिए जानवरों का शिकार होता है और एकदम से ग्रामीणों की आदत नहीं बदली जा सकती है.
अगर दिसम्बर 2018 से अब तक के आंकड़ों को देखें तो 5 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, 31 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, इस साल 5 जनवरी को बाघिन का शव, 6 जनवरी को चीतल का शिकार,11 जनवरी को तेंदुए की खाल,19 जनवरी को फिर बाघिन का शव, 8 फरवरी को तेंदुए की खाल और 19 फरवरी को चीतल और घुडरी के मांस-चमड़े बरामद हुए. इन मामलों में 4 आरोपी गिरफ्तार किए गए, जो बिजली के तार लगाकर जानवरों का शिकार करते थे.
कान्हा नेशनल पार्क में शिकारियों के सक्रिय होने पर उप संचालक अंजना सुचिता तिर्की का कहना है कि आसपास के ग्रामीणों को प्रोटीन की जरूरत होती है और वे इसकी पूर्ति जंगली जानवरों के शिकार कर उनके मांस से करते हैं. आदिवासियों की आदत में शिकार करना शामिल है और इस आदत को एकदम से नहीं बदला जा सकता है. तेंदुए के लगातार हो रहे शिकार पर उप संचालक का कहना है कि कान्हा नेशनल पार्क में बाघ ज्यादा हैं और जहां बाघ होते हैं, उस क्षेत्र में तेंदुए नहीं रहते और वे जंगल से बाहर आबादी की तरफ भागते हैं, इसलिए उनका शिकार आसानी से हो जाता है.