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मंडला: कान्हा नेशनल पार्क में लगातार हो रहा है वन्यप्राणियों का शिकार, उपसंचालक ने दी ये बेतुकी दलील

कान्हा नेशनल पार्क में लगातार हो रहा है वन्यप्राणियों का शिकार, उपसंचालक ने दी ये बेतुकी दलील

कान्हा नेशनल पार्क
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Published : Feb 21, 2019, 3:44 PM IST

मंडला। जिले के विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क में जानवरों के लिए बीते 3 महीने बहुत बुरे बीते हैं. यहां लगातार जानवरों के शिकार या फिर उनके मारे जाने की खबरें आती रही हैं, जो कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक को उजागर कर रही है. वहीं दूसरी तरफ कान्हा नेशनल पार्क की उप संचालक सुचित्रा तिर्की ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि प्रोटीन के लिए जानवरों का शिकार होता है और एकदम से ग्रामीणों की आदत नहीं बदली जा सकती है.

mandla, mp
कान्हा नेशनल पार्क

अगर दिसम्बर 2018 से अब तक के आंकड़ों को देखें तो 5 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, 31 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, इस साल 5 जनवरी को बाघिन का शव, 6 जनवरी को चीतल का शिकार,11 जनवरी को तेंदुए की खाल,19 जनवरी को फिर बाघिन का शव, 8 फरवरी को तेंदुए की खाल और 19 फरवरी को चीतल और घुडरी के मांस-चमड़े बरामद हुए. इन मामलों में 4 आरोपी गिरफ्तार किए गए, जो बिजली के तार लगाकर जानवरों का शिकार करते थे.

कान्हा नेशनल पार्क

कान्हा नेशनल पार्क में शिकारियों के सक्रिय होने पर उप संचालक अंजना सुचिता तिर्की का कहना है कि आसपास के ग्रामीणों को प्रोटीन की जरूरत होती है और वे इसकी पूर्ति जंगली जानवरों के शिकार कर उनके मांस से करते हैं. आदिवासियों की आदत में शिकार करना शामिल है और इस आदत को एकदम से नहीं बदला जा सकता है. तेंदुए के लगातार हो रहे शिकार पर उप संचालक का कहना है कि कान्हा नेशनल पार्क में बाघ ज्यादा हैं और जहां बाघ होते हैं, उस क्षेत्र में तेंदुए नहीं रहते और वे जंगल से बाहर आबादी की तरफ भागते हैं, इसलिए उनका शिकार आसानी से हो जाता है.

मंडला। जिले के विश्व प्रसिद्ध कान्हा नेशनल पार्क में जानवरों के लिए बीते 3 महीने बहुत बुरे बीते हैं. यहां लगातार जानवरों के शिकार या फिर उनके मारे जाने की खबरें आती रही हैं, जो कहीं न कहीं सुरक्षा में चूक को उजागर कर रही है. वहीं दूसरी तरफ कान्हा नेशनल पार्क की उप संचालक सुचित्रा तिर्की ने बेतुका बयान देते हुए कहा कि प्रोटीन के लिए जानवरों का शिकार होता है और एकदम से ग्रामीणों की आदत नहीं बदली जा सकती है.

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कान्हा नेशनल पार्क

अगर दिसम्बर 2018 से अब तक के आंकड़ों को देखें तो 5 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, 31 दिसम्बर को तेंदुए की खाल, इस साल 5 जनवरी को बाघिन का शव, 6 जनवरी को चीतल का शिकार,11 जनवरी को तेंदुए की खाल,19 जनवरी को फिर बाघिन का शव, 8 फरवरी को तेंदुए की खाल और 19 फरवरी को चीतल और घुडरी के मांस-चमड़े बरामद हुए. इन मामलों में 4 आरोपी गिरफ्तार किए गए, जो बिजली के तार लगाकर जानवरों का शिकार करते थे.

कान्हा नेशनल पार्क

कान्हा नेशनल पार्क में शिकारियों के सक्रिय होने पर उप संचालक अंजना सुचिता तिर्की का कहना है कि आसपास के ग्रामीणों को प्रोटीन की जरूरत होती है और वे इसकी पूर्ति जंगली जानवरों के शिकार कर उनके मांस से करते हैं. आदिवासियों की आदत में शिकार करना शामिल है और इस आदत को एकदम से नहीं बदला जा सकता है. तेंदुए के लगातार हो रहे शिकार पर उप संचालक का कहना है कि कान्हा नेशनल पार्क में बाघ ज्यादा हैं और जहां बाघ होते हैं, उस क्षेत्र में तेंदुए नहीं रहते और वे जंगल से बाहर आबादी की तरफ भागते हैं, इसलिए उनका शिकार आसानी से हो जाता है.

Intro:(नोट-इस समाचार के और वीडियो ftp से भेजे हैं, slag-mp_mandla_shikari.21.02.19.,plz चैक कर उन्हें भी उपयोग कर लीजिए)

मंडला जिले के विश्व प्रसिद्ध कान्हा नैशनल पार्क की बीते तीन महीनों की यदि बात की जाए तो ये तीन महीने कान्हा नैशनल पार्क के जानवरों के लिहाज से बहुत बुरे बीते हैं यहाँ से लगातार जानवरों के शिकार या फिर उनके मारे जाने की खबरें आती रही हैं जो यह बताने को काफी है कि कहीं न कहीं कान्हा के जानवरों की सुरक्षा में चूक हो रही है वहीं दूसरी तरफ कान्हा की उप संचालक सुचित्रा तिर्की का कहना है कि प्रोटीन के लिए जानवरो का शिकार होता है और एकदम से ग्रामीणों की शिकार को लेकर आदत नहीं बदली जा सकती



Body:एक तरफ जहाँ कान्हा और उसके वफर जोन से लगातार जानवरों के शिकार की खबरें सामने आ रही हैं या फिर किन्ही और कारणों से बाघ या तेंदुए जैसे जानवर मारे जा रहे हैं वहीं कान्हा प्रबन्धन की इसको लेकर दी जा रही दलीलें बड़ी अजीब हैं सिर्फ दिसम्बर से अब तक के आंकड़े देखें तो 5 दिसम्बर को तेंदुए की खाल,31 दिसम्बर को तेंदुए की खाल,5 जनवरी को बाघिन का शव,6 जनवरी को चीतल के शिकारी,11 जनवरी को तेंदुए की खाल,19 जनवरी को फिर बाघिन का शव,8 फरवरी को तेंदुए की खाल और 19 फरवरी को चीतल और घुडरी के माँस चमड़े सहित चार आरोपी पकड़े गए जो करेंट लगा कर जानवरों का शिकार करते थे,दो मामले पुलिस के द्वारा मुखबिर की सूचना से तेंदुए की खाल सहित वन अमले द्वारा भी आरोपी पकड़े जाने के सामने आए तो दो मामलों में अस्तित्व की लड़ाई में बाघ प्रजाति का शव मिला लेकिन नुकसान हो रहा है जानवरों का ही,कान्हा नेशनल पार्क पर शिकारियों के सक्रीय होने पर यहां की उप संचालक अंजना सुचिता तिर्की का कहना है कि आसपास के ग्रामीणों को प्रोटीन की जरूरत होती है और वे इसकी पूर्ति जंगली जानवरों के शिकार कर उनके माँस से करते हैं साथ ही उनकी यह भी दलील है कि आदिवासियों की आदत में शिकार करना शामिल है और इस आदत को एक दम से नहीं बदला जा सकता इसमें सौ साल तक लग जाते हैं,मैडम को सायद यह लग रहा कि कान्हा अभी अभी ही अस्तित्व में आया है


Conclusion:तेंदुए के लगातार हो रहे शिकार पर भी उप संचालक तिर्की का बयान ऐसा है जो तेंदुओं की सुरक्षा कम शिकारियों की मदद ज्यादा करेगा,तिर्की का कहना है कि कान्हा में बाघ ज्यादा हैं और जहाँ बाघ होता है उस क्षेत्र में तेंदुए नहीं रहते और वे जंगल से बाहर आबादी की तरफ भागते हैं इस लिए उनका शिकार आसानी से हो जाता है,कान्हा को देखने विश्व भर से लोग आते हैं और यहाँ से सुनहरी यादें साथ ले जाते हैं लेकिन इस तरह के प्रबन्धक यदि कान्हा में होंगें तो निश्चित ही कान्हा जनवरों के लिहाज से लगातार हो रहे शिकार के चलते बस याद बन कर रह जाएगा।

बाइट--अंजना सुचिता तिर्की,उप संचालक कान्हा नैशनल पार्क मण्डला
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