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आखिर क्यो महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे सेनेटरी पैड ?

माहवारी को लेकर सरकार की चल रही उदिता योजना मंडला जिले के धर्मपूरी गांव में नाकाम साबित हुई. जिलें में 2304 आंगनवाड़ी हैं जिनमे 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं और 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग की एएनएम होने के बावजूद महिलाओं तक सेनेटरी पैड नहीं पहुंच पा रहे जिससे महिलाओं को मजबूरी में कपड़े का इस्तेमाल करना पड़ रहा हैं.

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महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे सेनेटरी पैड
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Published : Feb 15, 2020, 12:12 PM IST

Updated : Feb 15, 2020, 12:21 PM IST

मंडला। जिले के धर्मपूरी गांव में हमने ये तो आपको बताएं की कैसे ग्रामीण अंचलों में जानकारी के अभाव में महिलाओं को ये तक नहीं पता की पैड होता क्या और कपड़ा इस्तेमाल करने से क्या बीमारियां हो सकती है. वही पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में शुरु हुई उदिता योजना के बारे में भी लोगों को जानकारी नहीं हैं.जिससे कही ना कहीं महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की विफलता को दर्शाती है वहीं जिले में अनेक आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य विभाग के एएनएम कार्यकर्ता होने के बावजूद लोगों में जागरुकता का अभाव है.

महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे सेनेटरी पैड

क्या कहते हैं जानकार-

डॉ रूबीना भिंगारदिवे जो कि महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं उनका कहना है कि महिलाओं में जागरूकता के आभाव के चलते जननांगों की बीमारियां देखी जाती हैं. माहवारी के दौरान साफ सफाई न रखना के कारण ट्यूमर और बच्चादानी के कैंसर तक इन महिलाओं में देखे जाते हैं. वहीं माहवारी के बाद सफेद पानी का निकला नॉर्मल सी प्रक्रिया है लेकिन यह भी निश्चित मात्रा में हो तब तक ठीक है लेकिन ज्यादा होने के साथ ही बहुत दिनों तक होना या उसमें बदबू आना किसी बड़ी बीमारी की तरफ इशारा करता है . माहवारी के दौरान खून की मात्रा 50 मिलीलीटर से 200 मिली लीटर तक हो सकती है. लेकिन इसका भी कम या ज्यादा होना खतरनाक हो सकता है .

अनीता सेनगोत्रा जो कि महिलाओं को जागरूक करने के लिए बीते 12 सालों से काम कर रही हैं उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की को तो छोड़िए लड़कियों को भी पैड के बारे में जानकारी नहीं है जबकि हर गांव मे आंगनबाड़ी हुआ करती है. अनीता बताती हैं कि महिलाएं ही इस विषय पर बात करने से कतराती हैं और आज भी पुरानी सोच और परमपराओं में दब कर जो चला आ रहा है उसे ही आगे बढ़ा रही हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े-

बीते साल मण्डला में सात दिन का राहत शिविर लगाया गया था. इस शिविर के दौरान सिर्फ एक हफ्ते में 150 के करीब महिलाओं के ऑपरेशन हुए थे जो ट्यूमर या बच्चादानी से या फिर महिलाओं की बीमारियों से ही संबंधित थे.

क्या हैं सरकारी योजनाएं

शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 19 मई 2019 में प्रोजेक्ट उदिता की शुरुआत की थी. स्वसहायता समुहों के द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य था दूर दराज के क्षेत्रों में महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराना. स्कूल,कॉलेज,बालिका छात्रावास के साथ ही आंगनबाड़ियों में स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई सेनेटरी नैपकिन. सामाजिक संस्थाओं द्वारा कम कीमत या मुफ्त में पैड उपलब्ध करवाना साथ ही माहवारी के दौरान साफसफाई, खानपान, सावधानियों के बारे में किशोरियों और महिलाओं को जानकारी देना.

मण्डला में महिला बाल विकास का बड़ा अमला फिर भी जागरूकता का अभाव--

मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनवाड़ी हैं जिनमे 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं. इसके साथ ही हर ग्राम पंचायतों में आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग की एएनएम भी कार्यरत हैं बावजूद इसके जागरूकता का न होना कहीं न कहीं सिस्टम की लापरवाही ही कही जा सकती है.

मंडला। जिले के धर्मपूरी गांव में हमने ये तो आपको बताएं की कैसे ग्रामीण अंचलों में जानकारी के अभाव में महिलाओं को ये तक नहीं पता की पैड होता क्या और कपड़ा इस्तेमाल करने से क्या बीमारियां हो सकती है. वही पूर्व सीएम शिवराज सिंह के कार्यकाल में शुरु हुई उदिता योजना के बारे में भी लोगों को जानकारी नहीं हैं.जिससे कही ना कहीं महिलाओं के स्वास्थ्य के प्रति सरकार की विफलता को दर्शाती है वहीं जिले में अनेक आंगनबाड़ी और स्वास्थ्य विभाग के एएनएम कार्यकर्ता होने के बावजूद लोगों में जागरुकता का अभाव है.

महिलाओं तक नहीं पहुंच पा रहे सेनेटरी पैड

क्या कहते हैं जानकार-

डॉ रूबीना भिंगारदिवे जो कि महिला एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ हैं उनका कहना है कि महिलाओं में जागरूकता के आभाव के चलते जननांगों की बीमारियां देखी जाती हैं. माहवारी के दौरान साफ सफाई न रखना के कारण ट्यूमर और बच्चादानी के कैंसर तक इन महिलाओं में देखे जाते हैं. वहीं माहवारी के बाद सफेद पानी का निकला नॉर्मल सी प्रक्रिया है लेकिन यह भी निश्चित मात्रा में हो तब तक ठीक है लेकिन ज्यादा होने के साथ ही बहुत दिनों तक होना या उसमें बदबू आना किसी बड़ी बीमारी की तरफ इशारा करता है . माहवारी के दौरान खून की मात्रा 50 मिलीलीटर से 200 मिली लीटर तक हो सकती है. लेकिन इसका भी कम या ज्यादा होना खतरनाक हो सकता है .

अनीता सेनगोत्रा जो कि महिलाओं को जागरूक करने के लिए बीते 12 सालों से काम कर रही हैं उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं की को तो छोड़िए लड़कियों को भी पैड के बारे में जानकारी नहीं है जबकि हर गांव मे आंगनबाड़ी हुआ करती है. अनीता बताती हैं कि महिलाएं ही इस विषय पर बात करने से कतराती हैं और आज भी पुरानी सोच और परमपराओं में दब कर जो चला आ रहा है उसे ही आगे बढ़ा रही हैं.

क्या कहते हैं आंकड़े-

बीते साल मण्डला में सात दिन का राहत शिविर लगाया गया था. इस शिविर के दौरान सिर्फ एक हफ्ते में 150 के करीब महिलाओं के ऑपरेशन हुए थे जो ट्यूमर या बच्चादानी से या फिर महिलाओं की बीमारियों से ही संबंधित थे.

क्या हैं सरकारी योजनाएं

शिवराज सिंह चौहान सरकार ने 19 मई 2019 में प्रोजेक्ट उदिता की शुरुआत की थी. स्वसहायता समुहों के द्वारा संचालित इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य था दूर दराज के क्षेत्रों में महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन उपलब्ध कराना. स्कूल,कॉलेज,बालिका छात्रावास के साथ ही आंगनबाड़ियों में स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा बनाई गई सेनेटरी नैपकिन. सामाजिक संस्थाओं द्वारा कम कीमत या मुफ्त में पैड उपलब्ध करवाना साथ ही माहवारी के दौरान साफसफाई, खानपान, सावधानियों के बारे में किशोरियों और महिलाओं को जानकारी देना.

मण्डला में महिला बाल विकास का बड़ा अमला फिर भी जागरूकता का अभाव--

मण्डला जिले में कुल 2304 आंगनवाड़ी हैं जिनमे 4608 कार्यकर्ता और सहायिकाएं काम करती हैं जिनकी निगरानी के लिए 78 सुपरवाइजर और 9 ब्लॉक में 9 परियोजना अधिकारी हैं. इसके साथ ही हर ग्राम पंचायतों में आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्य विभाग की एएनएम भी कार्यरत हैं बावजूद इसके जागरूकता का न होना कहीं न कहीं सिस्टम की लापरवाही ही कही जा सकती है.

Last Updated : Feb 15, 2020, 12:21 PM IST
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