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इस बार नहीं दिखेगी गंगा-जमुनी तहजीब, कोरोना के चलते त्योहारों पर पड़ा असर

मंडला में हर साल की तरह मोहर्रम का त्योहार नहीं मनाया जाएगा, जिस वजह से सदियों से यहां की मशहूर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश नहीं होगी.

no celebration of Moharram festival
कोरोना के चलते त्योहारों पर पड़ा असर
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Published : Aug 28, 2020, 3:08 PM IST

Updated : Aug 28, 2020, 6:43 PM IST

मंडला। जिले का उदय चौक में हर साल एक ओर जहां गणपति बप्पा विराजते थे, वहीं दूसरी ओर पंजातन होता थे. गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल जो त्योहार पेश करते थे, वो इस साल कोरोना की चपेट में आने के कारण घरों के अंदर मनाए जाएंगे. यही वजह है कि इस बार उदय चौक में वीरानी सी छाई हुई है.

कोरोना के चलते त्योहारों पर पड़ा असर

देशभर के लिए था मिसाल

उदय चौक में जब गजानन की स्थापना होती तो मातमी पर्व मोहर्रम के पंजातन की पूरी साज सज्जा का जिम्मा गणेश उत्सव समिति उठाती, वहीं गजानन की पूजा-पाठ के समय मुस्लिम भाई गणेशोत्सव की सारी व्यवस्थाएं संभालते. ये वो गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतरीन नमूना हुआ करता था, जो मंडला के साथ ही हमारे देश की खासियत है, इसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है.

कोरोना के चलते नहीं हुई स्थापना

उदय चौक में इस साल उदय चौक के राजा की स्थापना नहीं हुई और न ही पंजतन का पंजा बैठाया गया, जिसके चलते पूरा माहौल ही सूना है. कोरोना संक्रमण को देखते ुहुए प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत इस साल कोई भी आयोजन नहीं हो रहा है. नहीं तो हर साल यहां एक ही चौक पर इन दिनों हिंदुओं और मुस्लिमों का बड़ी संख्या में तांता लगा रहता था और एक-दूसरे की आस्था और भावनाओं को पूरे तरह से सम्मान देते हुए सभी पूरे भाईचारे के साथ अपने-अपने पर्वों को मनाते थे.

ये भी पढ़ें- गणपति बप्पा की स्वयंभू प्रतिमा है 'चिंतामन गणेश', इस मंदिर में स्वयं भगवान राम ने की थी गणेशजी की पूजा

ताजिये तो बन रहे लेकिन नर्मदा में जल विहार की नहीं अनुमति

महीनों से मेहनत कर कचहरी चौक और दाता बंगाली शाह की दरगाह में मुस्लिम सम्प्रदाय द्वारा ताजिये बनाए जाते हैं, जो पूरे शहर में जुलूस के साथ निकाले जाते हैं और शहर गस्त के बाद जुलूस उदय चौक पहुंचता था. यहां आस्था का एक अलग ही नजारा होता था, लेकिन प्रशासन द्वारा इस साल लोगों को घरों में ही गणेशजी की स्थापना और ताजिये के विसर्जन के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मोहर्रम और ताजिये के जुलूस निकालने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.

no celebration of Moharram festival
ताजिया

ऐसे में न तो गणेश विसर्जन के लिए लोग झूमते, गाते दिखेंगे न ही बैंड बाजा और न डीजे का उत्साह. ठीक ऐसे ही ताजिये भी जहां बनाए जा रहे हैं, वहां पर भी सिर्फ पांच लोग ही इकट्ठा हो सकते हैं. वहीं जो भी रीति-रिवाजों की दरकार होती है, वो भी इस स्थान पर ही किया जाना है. जिसके बाद यहीं इन्हें ठंडे करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन करना संक्रमण से लोगों की हिफाजत के लिए जरूरी है, लेकिन त्योहारों का समाज में महत्व इसलिए है क्योंकि ये पर्व और त्योहार ही समाज को एकता की डोर में पिरोते हैं.

मंडला। जिले का उदय चौक में हर साल एक ओर जहां गणपति बप्पा विराजते थे, वहीं दूसरी ओर पंजातन होता थे. गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल जो त्योहार पेश करते थे, वो इस साल कोरोना की चपेट में आने के कारण घरों के अंदर मनाए जाएंगे. यही वजह है कि इस बार उदय चौक में वीरानी सी छाई हुई है.

कोरोना के चलते त्योहारों पर पड़ा असर

देशभर के लिए था मिसाल

उदय चौक में जब गजानन की स्थापना होती तो मातमी पर्व मोहर्रम के पंजातन की पूरी साज सज्जा का जिम्मा गणेश उत्सव समिति उठाती, वहीं गजानन की पूजा-पाठ के समय मुस्लिम भाई गणेशोत्सव की सारी व्यवस्थाएं संभालते. ये वो गंगा-जमुनी तहजीब का बेहतरीन नमूना हुआ करता था, जो मंडला के साथ ही हमारे देश की खासियत है, इसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है.

कोरोना के चलते नहीं हुई स्थापना

उदय चौक में इस साल उदय चौक के राजा की स्थापना नहीं हुई और न ही पंजतन का पंजा बैठाया गया, जिसके चलते पूरा माहौल ही सूना है. कोरोना संक्रमण को देखते ुहुए प्रशासन द्वारा जारी गाइडलाइन के तहत इस साल कोई भी आयोजन नहीं हो रहा है. नहीं तो हर साल यहां एक ही चौक पर इन दिनों हिंदुओं और मुस्लिमों का बड़ी संख्या में तांता लगा रहता था और एक-दूसरे की आस्था और भावनाओं को पूरे तरह से सम्मान देते हुए सभी पूरे भाईचारे के साथ अपने-अपने पर्वों को मनाते थे.

ये भी पढ़ें- गणपति बप्पा की स्वयंभू प्रतिमा है 'चिंतामन गणेश', इस मंदिर में स्वयं भगवान राम ने की थी गणेशजी की पूजा

ताजिये तो बन रहे लेकिन नर्मदा में जल विहार की नहीं अनुमति

महीनों से मेहनत कर कचहरी चौक और दाता बंगाली शाह की दरगाह में मुस्लिम सम्प्रदाय द्वारा ताजिये बनाए जाते हैं, जो पूरे शहर में जुलूस के साथ निकाले जाते हैं और शहर गस्त के बाद जुलूस उदय चौक पहुंचता था. यहां आस्था का एक अलग ही नजारा होता था, लेकिन प्रशासन द्वारा इस साल लोगों को घरों में ही गणेशजी की स्थापना और ताजिये के विसर्जन के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही मोहर्रम और ताजिये के जुलूस निकालने पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी गई है.

no celebration of Moharram festival
ताजिया

ऐसे में न तो गणेश विसर्जन के लिए लोग झूमते, गाते दिखेंगे न ही बैंड बाजा और न डीजे का उत्साह. ठीक ऐसे ही ताजिये भी जहां बनाए जा रहे हैं, वहां पर भी सिर्फ पांच लोग ही इकट्ठा हो सकते हैं. वहीं जो भी रीति-रिवाजों की दरकार होती है, वो भी इस स्थान पर ही किया जाना है. जिसके बाद यहीं इन्हें ठंडे करने के निर्देश भी दिए गए हैं.

कोरोना के लगातार बढ़ रहे मामलों के चलते शासन-प्रशासन के दिशा-निर्देश हैं, जिनका पालन करना संक्रमण से लोगों की हिफाजत के लिए जरूरी है, लेकिन त्योहारों का समाज में महत्व इसलिए है क्योंकि ये पर्व और त्योहार ही समाज को एकता की डोर में पिरोते हैं.

Last Updated : Aug 28, 2020, 6:43 PM IST
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