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खाद की किल्लत से परेशान अन्नदाता, ऐसे कैसे होगी अच्छी पैदावार ? - तहसीलदार अनिल जैन

शायद ही ऐसा कोई सीजन आता हो, जब किसानों को बिना तरसे खाद, बीज या खेती की जरूरी चीजें उपलब्ध हो जाती हों. बुवाई का सीजन शुरुआत से ही किसानों के लिए मुसीबत लेकर आया है. खाद की किल्लत से किसानों को दो-चार होना पड़ रहा है.

Shortage of manure
खाद की किल्लत
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Published : Jul 10, 2020, 1:09 PM IST

Updated : Jul 10, 2020, 1:24 PM IST

मंडला। बुवाई का सीजन शुरु हो गया है. लेकिन किसानों को खाद की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. जिसका सीधा असर यह होगा कि, पौधों का बढ़ना रुक जाएगा और शुरुआत में ही धान की फसल कमजोर हो जाएगी. ऐसे में एक बार फिर अन्नदाता का पसीना मिट्टी में तो बहेगा, लेकिन इससे वो पैदावार नहीं होगी. जिसके लिए ये दिन रात एक करते हैं.

मंडला में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं

लेट लतीफी से हो रहा नुकसान

किसानों का कहना है कि, शासन- प्रशासन के पास हिसाब होता है, कि किस सीजन में किसानों को कितने खाद या बीज की जरूरत होती है. हर साल होने वाले सर्वे के बाद भी जरूरत के हिसाब से यूरिया, डीएपी या दूसरी तरह की खाद या बीज मंगाकर सोसायटी में नहीं रखा जाता और जब बुवाई का सीजन आता है, तो किल्लत शुरू हो जाती है. कुछ किसानों को खाद मिल पाती है, बाकी किसान बार-बार सोसायटी के चक्कर लगाते रहते हैं, आने वाले स्टॉक के हिसाब से इन्हें खाद मिलती है. जिससे सही समय पर फसलों को किसान खाद नहीं दे पाते और उपज सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

केसीसी बन रही मुसीबत

जिले के जिन किसानों ने सेवा सहकारी मर्यादित बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए हैं, उन्हें सोसायटी या फिर गोदामों से यूरिया और दूसरी खाद उपलब्ध हो रही है. जबकि जिले में ऐसे किसानों की बड़ी संख्या है, जो अन्य बैंकों से केसीसी बनवाते हैं. जिनके पास दूसरे बैंकों का केसीसी है, उन्हें खाद नहीं मिल पा रही.

Crowd to collect urea from godowns
गोदामों से यूरिया लेने के लिए लगी भीड़

जितनी जरूरत उसकी आधी मिल रही यूरिया

किसानों ने बताया कि, अगर उन्हें दस बोरी यूरिया की जरूरत है. तो गोदाम या सोसाइटी से उन्हें 2 बोरी से लेकर बड़े किसानों को 4 बोरी यूरिया दी जा रही है. ऐसे में धान की रोपाई के बाद डाली जाने वाली यूरिया उनके पास है ही नहीं, जिससे पौधे की बढ़ोतरी रुक जाएगी और पैदावार प्रभावित होगी.

Sowing women
बुवाई करती महिलाएं

क्या कहते हैं जिम्मदार ?

एक तरफ गोदामों में लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं. वहीं किसान रोज ही चक्कर काट कर वापस लौट रहा है, लेकिन जिला विपणन अधिकारी का कहना है कि, जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है. तहसीलदार अनिल जैन ने बताया कि, किसानों की शिकायत के बाद बिना केसीसी वाले किसानों को आधार कार्ड लाने पर खाद दिए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. जिसके तहत बड़े किसानों को 4 और छोटे किसानों को 2 बोरी यूरिया दी जाएगी, जबकि स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर जरूरत के हिसाब से किसान यूरिया ले जा सकेंगे, यह व्यवस्था भी की जा रही है.

अन्नदाता के सामने मुसीबत ये है कि, वे खेत में ट्रैक्टर या हल चलाएं, धान की रोपाई के लिए मजदूर खोजें या फिर यूरिया के लिए इस गोदाम से उस सोसायटी के चक्कर लगाकर खाली हाथ लौट कर फसलों को बिना यूरिया के कमजोर होता देखें. जिम्मदारों का कहना है कि, यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. ऐसे में बड़ा सवाल तो ये है कि, किसान अपनी मुसीबत किससे बयां करे.

मंडला। बुवाई का सीजन शुरु हो गया है. लेकिन किसानों को खाद की किल्लत से जूझना पड़ रहा है. जिसका सीधा असर यह होगा कि, पौधों का बढ़ना रुक जाएगा और शुरुआत में ही धान की फसल कमजोर हो जाएगी. ऐसे में एक बार फिर अन्नदाता का पसीना मिट्टी में तो बहेगा, लेकिन इससे वो पैदावार नहीं होगी. जिसके लिए ये दिन रात एक करते हैं.

मंडला में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं

लेट लतीफी से हो रहा नुकसान

किसानों का कहना है कि, शासन- प्रशासन के पास हिसाब होता है, कि किस सीजन में किसानों को कितने खाद या बीज की जरूरत होती है. हर साल होने वाले सर्वे के बाद भी जरूरत के हिसाब से यूरिया, डीएपी या दूसरी तरह की खाद या बीज मंगाकर सोसायटी में नहीं रखा जाता और जब बुवाई का सीजन आता है, तो किल्लत शुरू हो जाती है. कुछ किसानों को खाद मिल पाती है, बाकी किसान बार-बार सोसायटी के चक्कर लगाते रहते हैं, आने वाले स्टॉक के हिसाब से इन्हें खाद मिलती है. जिससे सही समय पर फसलों को किसान खाद नहीं दे पाते और उपज सीधे तौर पर प्रभावित होती है.

केसीसी बन रही मुसीबत

जिले के जिन किसानों ने सेवा सहकारी मर्यादित बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड बनवाए हैं, उन्हें सोसायटी या फिर गोदामों से यूरिया और दूसरी खाद उपलब्ध हो रही है. जबकि जिले में ऐसे किसानों की बड़ी संख्या है, जो अन्य बैंकों से केसीसी बनवाते हैं. जिनके पास दूसरे बैंकों का केसीसी है, उन्हें खाद नहीं मिल पा रही.

Crowd to collect urea from godowns
गोदामों से यूरिया लेने के लिए लगी भीड़

जितनी जरूरत उसकी आधी मिल रही यूरिया

किसानों ने बताया कि, अगर उन्हें दस बोरी यूरिया की जरूरत है. तो गोदाम या सोसाइटी से उन्हें 2 बोरी से लेकर बड़े किसानों को 4 बोरी यूरिया दी जा रही है. ऐसे में धान की रोपाई के बाद डाली जाने वाली यूरिया उनके पास है ही नहीं, जिससे पौधे की बढ़ोतरी रुक जाएगी और पैदावार प्रभावित होगी.

Sowing women
बुवाई करती महिलाएं

क्या कहते हैं जिम्मदार ?

एक तरफ गोदामों में लंबी-लंबी कतारें लगी हुई हैं. वहीं किसान रोज ही चक्कर काट कर वापस लौट रहा है, लेकिन जिला विपणन अधिकारी का कहना है कि, जिले में यूरिया की कोई कमी नहीं है. तहसीलदार अनिल जैन ने बताया कि, किसानों की शिकायत के बाद बिना केसीसी वाले किसानों को आधार कार्ड लाने पर खाद दिए जाने के निर्देश दिए जा चुके हैं. जिसके तहत बड़े किसानों को 4 और छोटे किसानों को 2 बोरी यूरिया दी जाएगी, जबकि स्टॉक की उपलब्धता के आधार पर जरूरत के हिसाब से किसान यूरिया ले जा सकेंगे, यह व्यवस्था भी की जा रही है.

अन्नदाता के सामने मुसीबत ये है कि, वे खेत में ट्रैक्टर या हल चलाएं, धान की रोपाई के लिए मजदूर खोजें या फिर यूरिया के लिए इस गोदाम से उस सोसायटी के चक्कर लगाकर खाली हाथ लौट कर फसलों को बिना यूरिया के कमजोर होता देखें. जिम्मदारों का कहना है कि, यूरिया पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है. ऐसे में बड़ा सवाल तो ये है कि, किसान अपनी मुसीबत किससे बयां करे.

Last Updated : Jul 10, 2020, 1:24 PM IST
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